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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

दूध और मछली उत्पादन में झारखंड अग्रणीः रणधीर सिंह




रांची।  ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड सम्मिट 2018 के आज फीड एंड फूडर सेशन में कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि सरकार राज्य में डेयरी के क्षेत्र में लगातार तेजी से काम कर रही है झारखंड के किसान पशुपालक के रूप में जुड़े हुए हैं उन कि सानों को निश्चित रूप दूध उत्पादन के क्षेत्र में राष्ट्रीय मानक में लाने के लिए तेजी से काम शुरू किया गया है ।उन्होंने कहा कि किसानों के द्वारा उत्पादित दुग्ध को मार्केट के लिए मिल्क फेडरेशन का गठन किया है।सरकार ने पिछले 2 साल में 32000 बीपीएल महिलाओं को दो दो गाय देने का काम किया है उनके द्वारा  दूध को प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है।दुग्ध उत्पादक कृषकों को एक नया बाजार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों में बल्क मिल्क कूलर लगाया जा रहा है ।
श्री सिंह ने कहा कि देसी नस्ल की गाय में सुधार करते हुए दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार की प्राथमिकता है झारखंड में ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन देसी नस्ल की गाये से हो । उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि किसान स्वयं मछली पालन कर इसके मालिक बने। सरकार झारखंड के किसानों को अपने पैरों पर खड़ा करना चाहती है
कांके विधायक डॉ जीतू चरण राम ने कहा कि संतुलित आहार मनुष्य के साथ साथ पशुओं की भी लिए भी काफी जरूरी है आज स्थिति यह है कि ना हम खुद संतुलित आहार खाते हैं और ना ही जानवर को खिलाते हैं अच्छे संतुलित आहार से ही अच्छे दुग्ध उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार मछली पालन के क्षेत्र में भी काम कर रही है उन्होंने कहा कि   कृषि उद्योग के रूप में लें और इसे विकसित करें
कार्यक्रम में पषु आहार के द्वोत्र में जानेमाने विषेषज्ञ एके वर्मा ने बताया की झारखंड में 56 प्रतिषत पशु आहार की समस्या है उन्होंने पशु आहार के बारे में विस्तार से चर्चा की उन्होंने कहा कि झारखंड में प्रति पशु चारा उत्पादन कम है
आईसीएआर के डॉक्टर गिरिधर ने पशु आहार के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पशुओं के आहार को और अधिक पौष्टिक कैसे बनाया जाए इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने पशु के लिए उन्नत किस्म के चारा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हरा चारा को पशु के लिए बेहतर बताया
आईसीएआर के फॉर्मर डायरेक्टर डॉ पीके घोष ने चारा के महत्व के बारे में प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि पशु के द्वारा कम दूध का उत्पादन में 50 प्रतिषत चारा का दोष्ष है अगर हम अच्छा चारा नहीं खिलाएंगे तो हम ज्यादा दूध की भी उम्मीद नहीं कर सकते। हमारे देश में चारा की कमी है।  उन्होंने चारा उगाने की तकनीकों के बारे में जानकारी दी।
 डॉ पवन कुमार कंसलटेंट एनिमल फीड प्रोग्राम यू एसएस ईसी ने पषु से दूध निकालने की विधि के बारे में बताया।
 झारखंड के पाकुड़ जिले से आए अभिनव किशोर ने बताया कि मैं पेशे से इंजीनियर हूं लेकिन घर से दूर रहने के कारण मैंने डेयरी उद्योग को चुना। 2009 में मैंने इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद दो गायों से इसकी शुरुआत की आज मेरे पास 50 गायें हैं, जिससे प्रतिदिन 450 लीटर दूध का उत्पादन होता है। उन्होंने पशुओं के चारे के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पशु का शारीरिक विकास एवं उत्पादन क्षमता संतुलित आहार पर ही निर्भर करता है।  मक्के का उत्पादन झारखंड में अधिक होता है साल में हम तीन फसल तैयार कर अधिक से अधिक मात्रा में हरा चारा एकत्रित कर सकते हैं जो पशुओं के लिए काफी लाभकारी है उन्होंने बताया कि किसान अगर मिल जुल कर काम करें जो अपनी आय को दुगना कर सकते हैं
एसके महनता ने दूध उत्पादन के बारे में जानकारी दी उन्होंने बताया कि झारखंड का पूरे देश में मात्र 1.3 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन का हिस्सा है । उन्होंने कहा कि झारखंड में देसी गाय के दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना होगा जब तक गायों के रिसोर्स पर खर्च नहीं करेंगे तब तक हम अच्छे आउटपुट की उम्मीद नहीं कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि सभी बात चारा पर निर्भर करती है जानवर को स्वस्थ रखना है तो उसे हरा चारा देना ही होगा
डेयरी, मुर्गी पालन एवं मछली पालन (पोषण के विरूद्ध संघर्ष) सेषन में डॉ एके श्री वास्तव ने कहा की झारखंड में पोषण की कमी को पूरा कर सकता तो वह डेयरी है। झारखंड में किसानों की उन्नति हो आय दुगनी हो तो डयेरी को महत्व देना होगा। डेयरी सेक्टर की इस राज्य में जरूरत ह।ै उन्होंने कहा कि झारखंड में पूरे देश का 3.4 प्रतिषत कैटल और बफेलो है हम देश में दुग्ध उत्पादन में 17 वे नंबर पर हैं। उन्होंने झारखंड में मुर्रा जैसे भैंसे आदि नस्ल की आवश्यकता जताई । उन्होंने पषुओं में होने वाले थनैला बीमारी एवं इसके उपचार के बारे में भी जानकारी दी । उन्होंने बताया कि ए2 मिल्क जितना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है उतना ही ए1 मिल्क भी लाभदायक है।  उन्होंने झारखंड में किसानों को डेयरी के क्षेत्र में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया
मुंबई आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ एल मूर्ति ने मछली पालन के क्षेत्र के बारे में जानकारी दी उन्होंने कहा कि झारखंड में मछली पालन की काफी संभावनाएं हैं और झारखंड के किसान क्षेत्र में काफी अच्छा कर रहे हैं और सरकार का लगातार इस क्षेत्र में किया जाने वाला प्रयास सराहनीय है उन्होंने मछली पालन और अधिक कैसे विकसित किया जाए इस बारे में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।

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