रांची । झारखंड ऊर्जा श्रमिक संघ ने जमशेदपुर व रांची में बिजली वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में दिए जाने के झारखंड ऊर्जा विकास निगम प्रबंध समिति के उस निर्णय का पुरजोर विरोध किया है, जिसमें रांची व जमशेदपुर को निजी कंपनी के द्वारा बिजली वितरण कराया जाना है। इस संबंध में संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि निगम बनने के बाद ऊर्जा निगम प्रबंध समिति द्वारा इस तरह के कई निर्णय आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से कराए जाने का लिया गया है, जो पूरी तरह फेल रही ।जितने भी आउटसोर्सिंग कंपनियां अलग अलग कार्यों के लिए रखी गई, वह पूरी तरह फेल है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण मैन पावर का है, जहां कर्मियों को आठ महीने से भुगतान नहीं हो पा रहा और वहीं राज्य के अलग अलग एरिया बोर्ड में एजेंसी नियुक्त किए जाने से निगम को भी लगातार करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है !
उन्होंने कहा कि निगम के इस निर्णय से प्रतीत होता है कि जिन अधिकारियों के ऊपर पूरी जवाबदेही है, बिजली वितरण सुचारू रूप से चलाये जाने का, वह अपनी जवाबदेही निभा पाने में पूरी तरह विफल रहे हैं और अपनी कमियां छुपाने के लिए इस तरह का निर्णय लेकर अपने को बचाने का प्रयास कर रहे हैं ।
अजय राय ने कहा कि मुख्यमंत्री इस विभाग के मंत्री भी हैं, वह खुद निगम की ओर से लिए गए आउट सोर्सिंग निर्णय जिसमें मीटर रीडिंग , मैन पावर और इससे संबंधित जो भी निर्णय लिये गये उसकी समीक्षा करें तो सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
अजय राय ने कहा कि पूर्व में भी एनटीपीसी के साथ जो ज्वाइंट वेंचर पीटीपीएस के लिए हुआ है और जिन शर्तो के साथ इकरारनामा हुआ, उसे क्रियान्वित नही किया जा रहा है , इसकी भी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि निगम के इस निर्णय से प्रतीत होता है कि जिन अधिकारियों के ऊपर पूरी जवाबदेही है, बिजली वितरण सुचारू रूप से चलाये जाने का, वह अपनी जवाबदेही निभा पाने में पूरी तरह विफल रहे हैं और अपनी कमियां छुपाने के लिए इस तरह का निर्णय लेकर अपने को बचाने का प्रयास कर रहे हैं ।
अजय राय ने कहा कि मुख्यमंत्री इस विभाग के मंत्री भी हैं, वह खुद निगम की ओर से लिए गए आउट सोर्सिंग निर्णय जिसमें मीटर रीडिंग , मैन पावर और इससे संबंधित जो भी निर्णय लिये गये उसकी समीक्षा करें तो सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
अजय राय ने कहा कि पूर्व में भी एनटीपीसी के साथ जो ज्वाइंट वेंचर पीटीपीएस के लिए हुआ है और जिन शर्तो के साथ इकरारनामा हुआ, उसे क्रियान्वित नही किया जा रहा है , इसकी भी जांच होनी चाहिए।
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