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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

संघ प्रमुख मोहन भागवत रांची में चार दिवसीय प्रवास पर


* गुरुवार को स्वयंसेवको को करेंगे संबोधित

रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत की बुधवार से झारखंड प्रवास की शुरुआत हो गई। श्री भागवत शाम में रांची पहुंचे। बिहार और झारखंड के तीन प्रांतों में संगठनात्मक कार्यो को गति देने के उदेश्य से उनका मार्ग दर्शन स्वयंसेवकों को मिलेगा। उनके इस प्रवास में उत्तर पूर्व क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ उनके सानिध्य और कार्य विस्तार को एक दिशा देगी। इस संबंध में सह प्रान्त कार्यवाह राकेश लाल ने बताया कि हाल के वर्षों में संघ का कार्य काफी बढ़ गया है। झारखंड प्रवास के दौरान उनका पहला कार्यक्रम गुरुवार को सुबह 7 बजे से मोरहाबादी मैदान में एकत्रीकरण का है। रांची महानगर के इस कार्यक्रम में स्वंय सेवक गणवेश में इसके लिए 10 रुपए प्रवेशिका रखी गई है और किसी भी हालत में 7.15 बजे के बाद से प्रवेशद्वार बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चार दिवसीय प्रवास के दौरान विभिन्न वर्गों के साथ बैठकें होंगी और स्वंय सेवकों के साथ चिंतन भी होगा। बैठकों में छह मुद्दों पर गहन मंथन और सामाजिक विषयों पर चर्चा की जाएगी। प्रेस कांफ्रेस में यह जानकारी देते हुए प्रांतीय कार्यवाह राकेश लाल ने बताया कि मुख्य रूप से गौ सम्बर्धन, कुटुंब प्रबोधन, सामजिक समरसता व सद्भाव, ग्राम विकास, धर्म जागरण समन्वय और पर्यावरण व जल संरक्षण जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत की जाएगी। इस अवसर पर प्रान्त संघचालक सच्चिदानंद लाल अग्रवाल और सह प्रान्त प्रचार प्रमुख संजय कुमार आज़ाद उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि भारत की अस्मिता गौ से जुड़ी रही है ऐसे में गौ वंश पशु के रूप में नही बल्कि अपनी संस्कृति के मूल से जुड़ी है उनके समुचित सम्वर्धन अपनी कृषि और गाँव को सबल बनाएगी इस दिशा में अपना प्रयास तेज करना है। इसी तरह भारत गांवों का देश है इस नाते स्वावलंबी स्वच्छ स्वस्थ ग्राम की कल्पना को साकार कैसे किया जाए इस दिशा में अपना प्रयास चल रहा है। भारीतय समाज परिवार पर ही आधारित रहा है इस नाते परिवार की भावना को सबल बनाना है। एकल परिवार बच्चों को एकांकी तो वुजुर्गो को बृद्धाश्रम की ओर पलायन करती है जो भारतीय चिंतन के विपरीत है। उन्होंने बताया कि धर्म जागरण समन्वय का उद्देश्य धर्म के प्रति लोगो को दृढ़ीकरण करना,मेरी संस्कृति मेरा अभिमान इस नाते मतांतरण रोकना,वैसे जो अपने मूल धर्म से दूसरे मत में भटक गए उनके लिए घर वापसी जैसे कार्यों का संपादन करना है। समाज मे किसी भी प्रकार की ऊंच नीच प्रगति के बाधक है। इसलिए सब एक है यह भाव अपने समाज मे कैसे पुष्ट हो इस दिशा में कार्य विस्तार करना है। अपनी संस्कृति प्रकृति पोषण की रही है न कि शोषण की ऐसे में जल जंगल जमीन अपनी कैसे सुरक्षित व संरक्षित हो इस दिशा में लोक जागरण की पहल की जा रही है। सरसंघचालक 19 से 23 फरवरी तक रांची में रहेंगे।

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