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शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में लागू हो पत्रकार सुरक्षा कानून: विस अध्यक्ष



रांंची। *झारखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन* का एक दिवसीय कार्यशाला 22 फरवरी 2020 शनिवार को झारखंड विधानसभा सभागार रांची में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में झारखंड जर्नलिस्ट एसोशिएशन के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने कहा कि यह पत्रकारों के लिए बहुत जरूरी कार्यशाला है जिसमें पत्रकार सूचना के अधिकार के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और अपने जीवन में इसका उपयोग करेंगे।
 संगठन के संस्थापक शहनवाज हसन ने कहा कि यह संस्था अपने स्थापना काल से लगातार आंचलिक  पत्रकारों के हितों की रक्षा  के लिए संघर्ष कर रही है।शाहनवाज़ हसन ने  बताया कि संस्था आंचलिक पत्रकारों की समस्या के समाधान के लिये 24x7 कार्य कर रही है।
 इस अवसर पर मुख्य अतिथि झारखंड  विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने कहा कि झारखण्ड ही नहीं देश भर में पत्रकारों की सुरक्षा एक गंभीर विषय है उन्होंने कहा कि जब तक चौथा स्तंभ मज़बूत नहीं होता है तब तक प्रजातंत्र को हम मज़बूत प्रदान नहीं कर सकते।विधानसभा अध्यक्ष ने छत्तीसगढ़ के तर्ज पर झारखंड में भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की हिमायत करते हुये छतीसगढ़ के तर्ज़ पर पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की हिमायत की।वरिष्ठ पत्रकार चंदन मिश्र ने कहा कि झारखण्ड के सभी जिलों के आंचलिक पत्रकार यहां उपस्थित हुए हैं जो यह दर्शाती है कि झटखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन सशक्त हुआ है और वह पूरी ईमानदारी से पत्रकार हितों की रक्षा के लिये कार्य कर रहा है।उन्होंने कहा कि पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून बहुत ही जरूरी है पिछली सरकार में इस विषय पर चर्चा हुई थी लेकिन यह सरकार इसे लागू करेगी इसका पूर्ण विश्वास है।अधिवक्ता सह सूचना का अधिकार कार्यकर्ता सुनील महतो ने अपने संबोधन में कहा कि सूचना का अधिकार 2005 से प्रारंभ हुआ है और लोगों को इसकी जानकारी लेनी चाहिए पत्रकारों का इसमें विशेष योगदान है वह सूचना के अधिकार अधिनियम का उपयोग कर सही और प्रत्यक्ष समाचार समाज को दे सकते हैं और पत्रकारों की पहचान सही समाचार देने में ही होती है। सूचना अधिकार अधिनियम से कई एक फर्जी शिक्षकों का धर पकड़ हुआ जबकि कई घोटालों का उजागर अभी तक हो चुका है इसीलिए यह एक ऐसा नियम है जो जनता के लिए एक हथियार के रूप में सामने आ रहा है लेकिन इसमें डरते हैं जिसका दुष्परिणाम भी समाज में देखने को मिलता है।पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने बताया कि झारखंड में जितने भी घोटाले का उजागर हुआ है उसमें इस कानून का बहुत बड़ा योगदान है 11 अफसर 44 गाड़ियां का उपयोग करते थे जबकि कई एक जगह कंप्यूटर उपलब्ध कराया गया था जहां बिजली थी इन्हीं अर्थात सरकार के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा था इसे रोकने की भरपूर चेष्टा की जा रही है एक सुझाव यह भी आया कि झारखंड में सभी सूचनाओं को अपडेट नहीं किया गया है जिससे जनता भ्रमित रहते हैं और उन्हें पता नहीं चलता कि अभी क्या कानून चल रहा है और उन्हें क्या करना चाहिए बहुत सारे ऐसे मामले हैं जो व्यक्तिगत रूप से लटक रहे हैं अर्थात 95% ऐसे आवेदन आते हैं जिसका कहीं ना कहीं व्यक्तिगत सरोकार होता है आरटीआई का उपयोग समाज कल्याण के लिए होना चाहिए आरटीआई कागज सही उपयोग करना है तो प्रलोभन से दूर रहना जरूरी है जब कहीं गड़बड़ होता है अधिकारियों से प्रलोभन देकर आरटीआई मांग करने वाले व्यक्ति को चुप कराना चाहते हैं जिससे सजग रहने की जरूरत है।
झारखण्ड के प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर ने अपने संबोधन में कहा कि विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका के बाद यदि कोई कर्तव्यशील है तो वह है मीडिया है  निश्चित तौर पर मीडिया कई कठिनाईयो को झेलते हुए समाज को एक सही रास्ते पर ले जाने का कार्य कर रही है और इसके लिये सूचना का अधिकार एक सशक्त माध्यम है।इस अवसर पर पत्रकारों से सहयोगात्मक रवैये के लिये झारखण्ड विधानसभा के जनसंपर्क अधिकारी ग़ुलाम मोहम्मद सरफराज, पुलिस मुख्यालय ग्रुप के सहायक अवर निरीक्षक निशिकांत पाठक, वरिष्ठ अधिवक्ता हामिद रज़ा खान को सम्मान पत्र और ट्रॉफी देकर विधानसभा अध्यक्ष ने सम्मानित किया।
कार्यशाला में रांची, जमशेदपुर, सरायकेला, धनबाद , पाकुड़, गोड्डा, साहेबगंज, दुमका,  हजारीबाग , लातेहार, चतरा, पलामू, गढ़वा सहित अन्य जिलों के पत्रकार शामिल हुये।कार्यक्रम का संचालन निशा रानी गुप्ता एवं धन्यवाद ज्ञापन कृपा सिंधु तिवारी बच्चन ने किया।

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