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सोमवार, 18 जून 2018

झारखंड में यूरेनियम खनिज की कमी नहीं



दस वर्षों तक देश की आवश्यकता पूरी करने में सक्षम

समरेन्द्र कुमार

रांची। झारखंड के जादूगोड़ा, भाटिन, नरवा पहाड़ और तुमारडीह में यूरेनियम का खनन वर्षों से चल रहा है। वहां अभी युरोनियम खनिज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इस बीच पूर्वी सिंहभूम जिले के इलाकों में इसके अलावा 16 हजार टन का नया भंडार मिला है। यह अगले 10 वर्षों तक राष्ट्र की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। इसमें 11 हजार टन का भंडार बानाडुंगरी-सिमरीडुंगरी में मिला है जबकि 5 हजार टन का भंडार राजदा में मिला है।
परमाणु खनिज अन्वेषण व अनुसंधान निदेशालय की पूर्वी सिंहभूम शाखा के अधिकारियों ने इन भंडारों को ढूंढ निकाला है। एक वैज्ञानिक गोष्ठी में देशभर के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में इससे संबंधित शोधपत्र प्रस्तुत किया जा चुका है।तुरामडीह से पश्चिम की ओर 200 किलोमीटर के क्षेत्र में जमीन की दरारों के बीच यूरेनियम की शिराएं फैली हुई हैं। इनसे खनन करने की तैयारी की जा रही है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन भंडारों की भौगौलिक स्थिति खनन के लिए अनुकूल है और उनके पास जो तकनीक है उसमें रेडियेशन के कुप्रभावों से बचते हुए खनन किया जा सकता है। इस तकनीक में पहले सेटेलाइट से सर्वे के जरिए सटीक स्थल का चयन किया जाता है, इसके बाद तीन सेंटीमीटर के पाइप से खुदाई कर यूरेनियम का नमूना निकाला जाता है। फिर प्रयोगशाला में उसकी जांच की जाती है। इसके बाद पूरे क्षेत्र को प्रतिबंधित कर खनन शुरू किया जाता है। उल्लेख्य है कि जादूगोड़ा खदान से यूरेनिटम के खनन का घातक प्रभाव कुछ किलोमीटर तक की आबादी पर पड़ा है।

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