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रांची। शहरी क्षेत्रों में बेहतर आधारभूत संरचनाओं से लैस स्कूलों में शिक्षण कार्य करना तो आसान है, लेकिन सुविधाविहीन और सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में विपरीत परिस्थितियों में भी शिक्षा के क्षेत्र मे सेवा देने को तत्पर रहने का जज्बा बहुत कम देखने को मिलता है। झारखंड की औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में पली, बढ़ी और पढ़ी डॉ.रोमी झा इसकी मिसाल हैं। इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत सेवा करने का जो संकल्प लिया है, समाज के लिए अनुकरणीय है। डॉ. रोमी झा फिलवक्त राजधानी के अरगोड़ा-कटहल मोड़ रोड स्थित चापु टोली (वार्ड नं.35 ) में मदर्स इंटरनेशनल स्कूल की प्राचार्या हैं। इनके बारे में स्कूल के निदेशक व प्रख्यात शिक्षाविद अंबुज झा बताते हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा जमशेदपुर में हुई। वहीं के वीमेंस कॉलेज से इंटर व स्नातक किया। उच्च शिक्षा के लिए भागलपुर विश्वविद्यालय गई। वहाँ से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की व पीएचडी किया। डॉक्टेरेट की उपाधि ली। उनके भीतर समाज के निचले तबके के बच्चों के प्रति बचपन से ही दया व स्नेह की भावना रही। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं देने और गरीब बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लिया। उनकी इस इच्छा को पूरा करने में शिक्षाविद अंबुज झा ने सहयोग किया। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र चापु टोली में स्कूल की शुरुआत की। पहले शिक्षा से वंचित आसपास के ग्रामीण बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे उनका यह प्रयास रंग लाने लगा। डॉ.रोमी झा शुरुआत के दिनों में अथक परिश्रम कर बच्चों को स्कूल आने के लिए अभिभावकों को भी जागरूक करने लगी। जल्द ही इसका सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा। उनके प्रयास से स्कूल में बच्चों की संख्या में निरंतर वृद्धि होने लगी। बच्चों संग वात्सल्यमयी वातावरण में समय बिताने की उनकी कला के जादू ने ऐसा असर दिखाया कि स्कूल के बच्चे उन्हें अपने परिवार का सदस्य व अभिभावक समझने लगे। स्कूल के छात्र उनमें ममतामयी मां की छांव सरीखे अनुभव का एहसास करने लगे। नतीजतन स्कूल के प्रति बच्चों का रुझान बढ़ने लगा।उनके प्रयास से स्कूल की लोकप्रियता काफी बढ़ रही है। शिक्षा के प्रति समर्पित व्यक्तित्व डॉ.रोमी झा के अथक प्रयासों का प्रतिफल है कि स्कूल कदम दर कदम आगे बढ़ रहा है। हाल ही में उनके निर्देशन में रांची जिले के ब्रांबे स्थित जाहेर गांव में मदर्स इंटरनेशनल स्कूल की एक नई शाखा की स्थापना की गई है। वहां सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों के बच्चों के लिए छात्रावास सहित शिक्षा सुविधा उपलब्ध है। शिक्षा सेवा के प्रति समर्पित शिक्षकों की टीम वहां डॉ. रोमी झा के नेतृत्व में छात्रों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। वह कहती हैं कि शिक्षा से ही देश समृद्धशाली हो सकता है। स्वस्थ्य और स्वच्छ समाज के लिए शिक्षा जरूरी है। अभी भी हमारे देश में साक्षरता दर अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। शिक्षा से वंचित समाज के बीच शिक्षा के प्रति रुचि जगाने का काम जनहित का अहम काम है। थोड़ा कम शिक्षण शुल्क लेकर और गरीबों को नि:शुल्क शिक्षा देकर हम शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं दें तो काफी हद तक सेवा का संकल्प सार्थक होगा।
रांची। शहरी क्षेत्रों में बेहतर आधारभूत संरचनाओं से लैस स्कूलों में शिक्षण कार्य करना तो आसान है, लेकिन सुविधाविहीन और सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में विपरीत परिस्थितियों में भी शिक्षा के क्षेत्र मे सेवा देने को तत्पर रहने का जज्बा बहुत कम देखने को मिलता है। झारखंड की औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में पली, बढ़ी और पढ़ी डॉ.रोमी झा इसकी मिसाल हैं। इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत सेवा करने का जो संकल्प लिया है, समाज के लिए अनुकरणीय है। डॉ. रोमी झा फिलवक्त राजधानी के अरगोड़ा-कटहल मोड़ रोड स्थित चापु टोली (वार्ड नं.35 ) में मदर्स इंटरनेशनल स्कूल की प्राचार्या हैं। इनके बारे में स्कूल के निदेशक व प्रख्यात शिक्षाविद अंबुज झा बताते हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा जमशेदपुर में हुई। वहीं के वीमेंस कॉलेज से इंटर व स्नातक किया। उच्च शिक्षा के लिए भागलपुर विश्वविद्यालय गई। वहाँ से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की व पीएचडी किया। डॉक्टेरेट की उपाधि ली। उनके भीतर समाज के निचले तबके के बच्चों के प्रति बचपन से ही दया व स्नेह की भावना रही। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं देने और गरीब बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लिया। उनकी इस इच्छा को पूरा करने में शिक्षाविद अंबुज झा ने सहयोग किया। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र चापु टोली में स्कूल की शुरुआत की। पहले शिक्षा से वंचित आसपास के ग्रामीण बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे उनका यह प्रयास रंग लाने लगा। डॉ.रोमी झा शुरुआत के दिनों में अथक परिश्रम कर बच्चों को स्कूल आने के लिए अभिभावकों को भी जागरूक करने लगी। जल्द ही इसका सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा। उनके प्रयास से स्कूल में बच्चों की संख्या में निरंतर वृद्धि होने लगी। बच्चों संग वात्सल्यमयी वातावरण में समय बिताने की उनकी कला के जादू ने ऐसा असर दिखाया कि स्कूल के बच्चे उन्हें अपने परिवार का सदस्य व अभिभावक समझने लगे। स्कूल के छात्र उनमें ममतामयी मां की छांव सरीखे अनुभव का एहसास करने लगे। नतीजतन स्कूल के प्रति बच्चों का रुझान बढ़ने लगा।उनके प्रयास से स्कूल की लोकप्रियता काफी बढ़ रही है। शिक्षा के प्रति समर्पित व्यक्तित्व डॉ.रोमी झा के अथक प्रयासों का प्रतिफल है कि स्कूल कदम दर कदम आगे बढ़ रहा है। हाल ही में उनके निर्देशन में रांची जिले के ब्रांबे स्थित जाहेर गांव में मदर्स इंटरनेशनल स्कूल की एक नई शाखा की स्थापना की गई है। वहां सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों के बच्चों के लिए छात्रावास सहित शिक्षा सुविधा उपलब्ध है। शिक्षा सेवा के प्रति समर्पित शिक्षकों की टीम वहां डॉ. रोमी झा के नेतृत्व में छात्रों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। वह कहती हैं कि शिक्षा से ही देश समृद्धशाली हो सकता है। स्वस्थ्य और स्वच्छ समाज के लिए शिक्षा जरूरी है। अभी भी हमारे देश में साक्षरता दर अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। शिक्षा से वंचित समाज के बीच शिक्षा के प्रति रुचि जगाने का काम जनहित का अहम काम है। थोड़ा कम शिक्षण शुल्क लेकर और गरीबों को नि:शुल्क शिक्षा देकर हम शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं दें तो काफी हद तक सेवा का संकल्प सार्थक होगा।
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