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अपने लिए तो हर कोई जीता है। परोपकार की भावना लिए समाज के लिए जीना महानता कहलाता है। इसे चरितार्थ कर रहे हैं एच ई सी आवासीय परिसर स्थित सीडी 659, सेक्टर टू निवासी समाजसेवी नंद किशोर यादव। श्री यादव ने वर्ष 2014 में एच ई सी से रिटायर होने के बाद समाजसेवा को अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया। अपने लगन और परिश्रम के बलबूते इन्होंने इस क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है। श्री यादव अपनी पत्नी रांची नगर निगम की पार्षद उर्मिला यादव को प्रेरणास्रोत मानते हैं। वह कहते हैं कि यूं तो सामाजिक कार्यों के प्रति अभिरुचि बचपन से ही रही, लेकिन समाजसेवा की प्रेरणा वास्तव में पत्नी से ही मिली। श्री यादव की प्रारंभिक शिक्षा बिहार के बांका जिला स्थित मुखाराम डोकानिया उच्च विद्यालय से हुई। वर्ष 1971 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। वर्ष 1973 में कटिहार से आईटीआई किया। इसके बाद नौकरी की तलाश में जुट गए। इसी क्रम में रांची आए। एच ई सी के सीटीआई से दो साल तक अप्रेंटिस का कोर्स किया। तत्पश्चात वर्ष 1978 में एच ई सी में नियुक्त हुए। तकरीबन 35 वर्षों तक एच ई सी में सेवारत रहे। इस बीच अपने कार्यों के अलावा एच ई सी के श्रमिकों की समस्याओं के प्रति भी मुखर रहे। एच ई सी कर्मियों के बीच श्री यादव की छवि एक मृदुभाषी व सरल हृदय व्यक्ति की रही। सहकर्मियों के सुख-दुख में शामिल होना उनकी दिनचर्या में शुमार रहता था। अपने कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में (अंशकालिक) डिप्लोमा कोर्स किया। श्री यादव 31 जुलाई 2014 को सहायक प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए। बता दें कि श्री यादव कविता प्रेमी भी हैं। जब एच ई सी के स्वर्णिम दिन थे, उस समय प्रबंधन की ओर से हर साल शहीद मैदान, धुर्वा में कवि सम्मेलन का आयोजन होता था। इसमें देश के नामचीन कवि शामिल होते थे। श्री यादव वहां पहुंचते और कवि सम्मेलन का लुत्फ उठाते। यहीं से कविताओं के प्रति उनकी दिलचस्पी बढ़ी। कवियों से प्रेरित होकर स्वयं कविताओं की रचना करने लगे। काम से फुरसत निकालकर कविता लेखन की ओर उन्मुख हुए। वह अब तक 30 कविताओं की रचना कर चुके हैं। अपनी कविता संग्रह को अब पुस्तक का रूप देने के लिए प्रयासरत हैं। इसी बीच समाजसेवा के प्रति समर्पित श्री यादव की पत्नी उर्मिला यादव एच ई सी क्षेत्र से नगर निगम की पार्षद चुनी गई। वह अपनी पत्नी के कार्यों में सहयोग करने लगे। अपने वार्ड अंतर्गत जनसमस्याओं के समाधान के लिए सुबह से शाम तक प्रयासरत रहना यादव दंपति की दिनचर्या है। समाजसेवा के प्रति यादव दम्पति के समर्पण का ही प्रतिफल है कि क्षेत्र की जनता ने श्रीमती उर्मिला यादव को लगातार तीसरी बार अपना जनप्रतिनिधि चुना। नंदकिशोर जी कहते हैं कि समाज में साफ- सुथरी छवि बहुत मायने रखती है। दूसरों के सुख और दुख का ख्याल रखेंगे तो ऊपरवाले की कृपा आप पर होगी। वह यह भी कहते हैं कि समाजसेवा के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखता। सकारात्मक सोच से आप अपनी बढ़ती उम्र पर ब्रेक लगा सकते हैं। समाज के लिए कुछ बेहतर करने का जज्बा, जोश और जुनून हो तो उम्र को पीछे धकेलकर इससे आगे निकलने की ख्वाहिशें पूरी हो सकती है। वह कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद भी उम्रदराज लोग अपने अनुभवों के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सहभागिता निभा सकते हैं। साठ की उम्र पार करने के बाद भी जोश- खरोश और आत्मविश्वास से लबरेज रह सकते हैं। जरूरत है लगातार गतिशील रहने की।
* ( मेट्रो रेज, हिन्दी सांध्य दैनिक से साभार)
अपने लिए तो हर कोई जीता है। परोपकार की भावना लिए समाज के लिए जीना महानता कहलाता है। इसे चरितार्थ कर रहे हैं एच ई सी आवासीय परिसर स्थित सीडी 659, सेक्टर टू निवासी समाजसेवी नंद किशोर यादव। श्री यादव ने वर्ष 2014 में एच ई सी से रिटायर होने के बाद समाजसेवा को अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया। अपने लगन और परिश्रम के बलबूते इन्होंने इस क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है। श्री यादव अपनी पत्नी रांची नगर निगम की पार्षद उर्मिला यादव को प्रेरणास्रोत मानते हैं। वह कहते हैं कि यूं तो सामाजिक कार्यों के प्रति अभिरुचि बचपन से ही रही, लेकिन समाजसेवा की प्रेरणा वास्तव में पत्नी से ही मिली। श्री यादव की प्रारंभिक शिक्षा बिहार के बांका जिला स्थित मुखाराम डोकानिया उच्च विद्यालय से हुई। वर्ष 1971 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। वर्ष 1973 में कटिहार से आईटीआई किया। इसके बाद नौकरी की तलाश में जुट गए। इसी क्रम में रांची आए। एच ई सी के सीटीआई से दो साल तक अप्रेंटिस का कोर्स किया। तत्पश्चात वर्ष 1978 में एच ई सी में नियुक्त हुए। तकरीबन 35 वर्षों तक एच ई सी में सेवारत रहे। इस बीच अपने कार्यों के अलावा एच ई सी के श्रमिकों की समस्याओं के प्रति भी मुखर रहे। एच ई सी कर्मियों के बीच श्री यादव की छवि एक मृदुभाषी व सरल हृदय व्यक्ति की रही। सहकर्मियों के सुख-दुख में शामिल होना उनकी दिनचर्या में शुमार रहता था। अपने कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में (अंशकालिक) डिप्लोमा कोर्स किया। श्री यादव 31 जुलाई 2014 को सहायक प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए। बता दें कि श्री यादव कविता प्रेमी भी हैं। जब एच ई सी के स्वर्णिम दिन थे, उस समय प्रबंधन की ओर से हर साल शहीद मैदान, धुर्वा में कवि सम्मेलन का आयोजन होता था। इसमें देश के नामचीन कवि शामिल होते थे। श्री यादव वहां पहुंचते और कवि सम्मेलन का लुत्फ उठाते। यहीं से कविताओं के प्रति उनकी दिलचस्पी बढ़ी। कवियों से प्रेरित होकर स्वयं कविताओं की रचना करने लगे। काम से फुरसत निकालकर कविता लेखन की ओर उन्मुख हुए। वह अब तक 30 कविताओं की रचना कर चुके हैं। अपनी कविता संग्रह को अब पुस्तक का रूप देने के लिए प्रयासरत हैं। इसी बीच समाजसेवा के प्रति समर्पित श्री यादव की पत्नी उर्मिला यादव एच ई सी क्षेत्र से नगर निगम की पार्षद चुनी गई। वह अपनी पत्नी के कार्यों में सहयोग करने लगे। अपने वार्ड अंतर्गत जनसमस्याओं के समाधान के लिए सुबह से शाम तक प्रयासरत रहना यादव दंपति की दिनचर्या है। समाजसेवा के प्रति यादव दम्पति के समर्पण का ही प्रतिफल है कि क्षेत्र की जनता ने श्रीमती उर्मिला यादव को लगातार तीसरी बार अपना जनप्रतिनिधि चुना। नंदकिशोर जी कहते हैं कि समाज में साफ- सुथरी छवि बहुत मायने रखती है। दूसरों के सुख और दुख का ख्याल रखेंगे तो ऊपरवाले की कृपा आप पर होगी। वह यह भी कहते हैं कि समाजसेवा के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखता। सकारात्मक सोच से आप अपनी बढ़ती उम्र पर ब्रेक लगा सकते हैं। समाज के लिए कुछ बेहतर करने का जज्बा, जोश और जुनून हो तो उम्र को पीछे धकेलकर इससे आगे निकलने की ख्वाहिशें पूरी हो सकती है। वह कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद भी उम्रदराज लोग अपने अनुभवों के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सहभागिता निभा सकते हैं। साठ की उम्र पार करने के बाद भी जोश- खरोश और आत्मविश्वास से लबरेज रह सकते हैं। जरूरत है लगातार गतिशील रहने की।
* ( मेट्रो रेज, हिन्दी सांध्य दैनिक से साभार)
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