* जल, पर्यावरण संरक्षण और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला सम्मान
रांची।सामाजिक,धार्मिक व आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ-साथ मानव हित के लिए आवश्यक तत्वों के संरक्षण के प्रति सक्रियता बहुमुखी प्रतिभा का परिचायक है। राजधानी रांची में ऐसी ही एक शख्सियत हैं अर्चित आनंद (अनु जी) । इनका जन्म पलामू में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा- दीक्षा पटना में हुई। उच्च शिक्षा के लिए इन्होंने दिल्ली का रुख किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने का मन बनाया। अर्चित के पिता बिहार सरकार के अधिकारी रह चुके हैं। उनसे प्रेरित होकर रांची को उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र चुना। समाजसेवा के क्षेत्र में उनके जज्बे ने ऐसा रंग दिखाया कि काफी कम समय में ही उनकी पहचान एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पूरे झारखंड में स्थापित हो गई। अलग झारखंड राज्य गठन के बाद से ही उन्होंने रांची को अपना कार्यक्षेत्र बना लिया। स्वयंसेवी संस्था "पेटसी" के माध्यम से झारखंड के अलावा बिहार के सीतामढ़ी व सिवान जिले में जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उनका मानना है कि जन, जंगल, जमीन, जल व जानवर, इन पांचों के बीच समन्वय स्थापित करना जरूरी है। पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में अपनी संस्था के माध्यम से लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं। झारखंड राज्य जलछाजन मिशन के सहयोग से धनबाद जिले के 82 गांवों में जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। उनका कहना है कि जिस तरह आज लोगों को बोतलबंद पानी पीना पड़ रहा है, यदि समय रहते हम नहीं चेते, तो आनेवाले समय में बोतलबंद ऑक्सीजन लेकर चलना पड़ेगा। उन्होंने इस दिशा में सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयास किए जाने पर बल दिया। वह कहते हैं कि सरकार को जल संरक्षण के लिए अलग से मंत्रालय बनाने की आवश्यकता है। अर्चित आनंद को पर्यावरण व जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए लायंस क्लब द्वारा पर्यावरण संरक्षण सम्मान, गांधी आश्रम द्वारा गांधी सेवा सम्मान, दिव्य प्रेम सेवा मिशन, हरिद्वार द्वारा पर्यावरण मित्र सम्मान सहित अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। वह अब तक करीब पांच लाख पौधरोपण कर चुके हैं। अर्चित अनु जी की रुचि खेलों के प्रति भी बचपन से ही रही है। क्रिकेट के जिला व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी शामिल हो चुके हैं। रांची में अपनी माता जी के नाम पर दीदी नीलम आनंद क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कर खेल प्रतिभाओं को आगे लाने और उन्हें समुचित सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उनके प्रयासों की चहुंओर सराहना की जाती है। इस टूर्नामेंट की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें झारखंड के अलावा विभिन्न राज्यों के खिलाड़ी भी शिरकत करते हैं। खेल के प्रति इनके समर्पण को देखते हुए हाल ही में इन्हें झारखंड कबड्डी एसोसिएशन का चेयरमेन मनोनीत किया गया है। राजधानी रांची में रॉकमेन्स क्रिकेट एकेडमी का भी संचालन अर्चित करते हैं। इसमें क्रिकेट के खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर उन्हें समुचित सुविधाएं दी जाती है। वह कई खेल संगठनों से भी जुड़े हैं। पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन में भी सक्रिय सदस्य हैं। अर्चित आनंद के अंदर साहित्यिक क्षमता भी है। वह धार्मिक मासिक पत्रिका " महागुरू महादेव " का प्रकाशन भी करते हैं। जिसका संपादन साहित्यकार व समाजसेवी अनुनीता जी करती हैं। अर्चित 'अनु ' बताते हैं कि धार्मिक पत्रिका महागुरू महादेव की 52 हजार प्रतियां प्रति माह बिक्री होती है। उनका मानना है कि समाज के हर धर्म के लोगों को समान आदर दिया जाना चाहिए। धार्मिक व आध्यात्मिक आयोजनों से सामाजिक वातावरण में शुद्धता आती है। वह कहते हैं कि लोगों को अपनी ऊर्जा सकारात्मक कार्यों में लगाने की आवश्यकता है। इससे समाज और देश सशक्त होगा।
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