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रविवार, 4 अगस्त 2019

राज ठाकरे को घेरने की तैयारी में भाजपा




देवेंद्र गौतम
राज ठाकरे केंद्र सरकार की आंख की किरकिरी बनते जा रहे हैं। उन्होंने ईवीएम विरोधी आंदोलन के लिए विपक्षी दलों को कजुट करना शुरू कर दिया है। सी क्रम में वे प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मिल चुके हैं। विपक्षी दलों का मानना है कि मोदी सरकार ईवीएम पर सवार होकर सत्ता में वापस लौटी है। लोकसभा चुनाव के बाद जहां-जहां भी बैलेट पेपर से निकाय चुनाव हुए भाजपा औंधे मुंह गिरी। इससे ईवीएम में गड़बड़ी का संदेह और पुष्ट हुआ। लेकिन मोदी सरकार विरोध को बिल्कुल सहन नहीं करती। इसलिए अब उसके रडार पर राज ठाकरे हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे की पार्टी लोकसभा चुनाव में शामिल नहीं हुई थी, लेकिन राज ठाकरे ने पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ लगातार रैलियां आयोजित कर आग उगली थी। शिवसेना और भाजपा पर वे लगातार हमलावर रहे हैं। चुनाव में भाजपा की प्रचंड बहुत के साथ वापसी के बाद उन्होंने चुनाव आयोग को खुली चेतावनी दी थी कि वे ईवीएम से महाराष्ट्र का चुनाव नहीं होने देंगे।
चुनाव कराना है तो बैलेट पेपर से कराए। इसके बाद वे भाजपा विरोधी ताकतों को वे एकजुट करने में लगे हुए हैं। भाजपा को इस बात का अहसास है कि महाराष्ट्र में मनसे की सत्ता की राजनीति में भले विशेष पकड़ नहीं हो लेकिन वह एक बड़ी राजनीतिक शक्ति है। उसके पास संगठन है और उसके समर्थक सड़कों पर उतर आए तो उनपर काबू पाना कठिन है। पूरे तंत्र पर हावी हो चुकी भाजपा इतना विरोध, इतना दुःसाहस कैसे सहन करती। लिहाजा राज ठाकरे की नकेल कसने के लिए ईडी को हरी झंडी दे दी। ईडी ने दादरी स्थित कोहिनूर मिल न.3 की खरीदारी मामले में राज ठाकरे को घेरने की तैयारी कर ली है। कोहिनूर मिल्स के चीफ फाइनेंस ऑफिसर से पूछताछ की जा चुकी है। अब जल्द ही राज ठाकरे से पूछताछ की जा सकती है। उन्हें इसके लिए समन जारी किया जा सकता है।
 सरकार का मानना है कि वे ईडी के चक्कर में फंसे रहेंगे तो विधानसभा चुनाव के दौरान ज्यादा विरोध नहीं कर पाएंगे और चुनाव को प्रभावित करने की उनकी कोशिशें धीमी पड़ जाएंगी। ईडी की जांच शुरू होने पर उनकी छवि भी प्रभावित होगी और समर्थकों के बीच उनकी पकड़ भी कमजोर हो जाएगी। मोदी-शाह की जोड़ी विरोध में उठे सर को कुचल डालने में परहेज़ नहीं करती। सरकार सत्ताबल के जरिए किसी को परेशान कर सकती है। भले बाद में वह बेदाग साबित हो जाए। लेकिन राज ठाकरे ज़मीन के नेता हैं। उनपर हाथ डालने से महाराष्ट्र में अशांति भी फैल सकती है।

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