संदर्भ : विधानसभा चुनाव
नवल किशोर सिंह
झारखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक दल रेस हो गए हैं। सत्ता पक्ष सहित विपक्ष में शामिल दलों की भी सक्रियता बढ़ गई है। एक और भाजपा जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से जनता के साथ सीधे संवाद करने में जुटी है,वहीं दूसरी तरफ विपक्ष में शामिल प्रमुख दल झामुमो, कांग्रेस, झाविमो व राजद की ओर से भी अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। यहां सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ आजसू का तालमेल है। वहीं, बिहार में भाजपा की सहयोगी दल जदयू ने झारखंड में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने की घोषणा कर दी है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि झारखंड विधानसभा के चुनाव में भाजपा और आजसू गठबंधन चुनावी जंग में उतरेगी। वहीं, दूसरी ओर विपक्ष में शामिल दलों के महागठबंधन की तस्वीरें अभी साफ नहीं हुई है। कांग्रेस पार्टी रैलियों के माध्यम से सूबे में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।वहीं, झामुमो ने कल 19 अक्टूबर को राजधानी रांची में बदलाव रैली का आयोजन किया है। इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल की रैली 20 अक्टूबर को राजधानी में होने वाली है। इसके पूर्व विगत दिनों झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी राजधानी में रैली कर अपनी शक्ति प्रदर्शित की थी। लेकिन अभी तक विपक्षी महागठबंधन का खाका तैयार नहीं हो पाया है। विपक्षी दल कांग्रेस, झामुमो, झाविमो व राजद अपने-अपने स्तर से अपनी पार्टी की रैलियां आयोजित कर इसके माध्यम से जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हैं। भारतीय निर्वाचन आयोग के पदाधिकारियों के झारखंड दौरे के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि दीपावली के आसपास झारखंड में विधानसभा चुनाव की तिथियां घोषित कर दी जाएगी। इसके मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। भाजपा ने राज्य में विधि-व्यवस्था व निष्पक्ष मतदान कराने का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से यहां पांच चरणों में मतदान कराने की अपील की है। वहीं, विपक्ष में शामिल राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को एक ही चरण में पूरे झारखंड में चुनाव संपन्न कराने का प्रस्ताव दिया गया है। भाजपा की ओर से ईवीएम द्वारा मतदान कराने की बात कही गई। वहीं, विपक्षी दलों ने ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराने का चुनाव आयोग को प्रस्ताव दिया है। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से राजनीतिक दलों के नेताओं की वार्ता के बाद संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी जाएगी। चुनावी शंखनाद होते ही सभी दल अपने-अपने स्तर से सक्रिय रूप से चुनावी तैयारियों में जुट जाएंगे। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर यह भी कयास लगाया जा रहा है कि विपक्ष की ओर से महागठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ा जाएगा। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि झारखंड में झामुमो को छोड़कर कांग्रेस, झाविमो, राजद सहित अन्य दलों का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है। इसलिए उक्त दलों के महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की विवशता भी है। अपने बलबूते चुनावी मैदान में भारी शिकस्त की संभावना के मद्देनजर विपक्ष में शामिल सभी दल का प्रयास होगा कि सामूहिक रूप से महागठबंधन के तहत चुनाव लड़कर भाजपा के खिलाफ चुनावी जंग में उतरें। अब चुनावी बिगुल बजने ही वाला है। एक ओर भाजपा का स्टैंड तो बिल्कुल क्लियर नजर आ रहा है कि वह आजसू से पूर्व के समझौते के तहत उसे साथ लेकर चुनावी मैदान में उतरेगी। लेकिन विपक्षी महागठबंधन पर लगा धुंध अभी छंट नहीं रहा है। बहरहाल, चुनावी गठबंधन को लेकर विपक्ष में शामिल राजनीतिक दलों की क्या भूमिका होती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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