* एफजेसीसीआई ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
रांची। डीवीसी और जेबीवीएनएल के आपसी विवाद के कारण उत्पन्न विद्युत संकट के स्थायी समाधान के लिए झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किया गया। चेंबर अध्यक्ष कुणाल आजमानी ने कहा कि यह चिंतनीय है कि राज्य में पर्याप्त एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत की उपलब्धता की दिशा में राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा कभी भी संज्ञान नहीं लिया गया। जबकि नियामक आयोग की बैठकों में नियमित रूप से विद्युत वितरण व्यवस्था को दुरूस्त करने की मांग की जाती रही है। प्रत्येक वर्ष जेबीवीएनएल के विद्युत शुल्क बढोत्तरी के प्रस्ताव पर सभी संगठनों के विरोध के बाद भी शुल्क में बढ़ोत्तरी की जाती रही है। श्री अजमानी ने कहा कि वर्तमान में झारखंड बिजली वितरण निगम उपभोक्ताओं से विद्युत शुल्क की शत प्रतिशत राशि संग्रह करने में भी सक्षम नहीं है। जिस कारण निगम को घाटा होता रहता है। चेंबर की ओर से सुझाव दिया गया कि डीवीसी कमांड एरिया में विद्युत वितरण की जिम्मेवारी से जेबीवीएनएल को मुक्त कर दिया जाय। इस निर्णय से सरकार के राजस्व संग्रह में 700 - 800 करोड रुपये की वृद्धि होगी। इसी प्रकार डीवीसी के लंबित बकाये के साथ ही जेबीवीएनएल के विद्युत शुल्क बकायों का आकलन अतिआवश्यक है। चेंबर के महासचिव धीरज तनेजा ने कहा कि सरकार ने बजट के माध्यम से यह माना है कि एटी एंड सी लॉस कम होने के बजाय बढा है तथा जेबीभीएनएल लोगों को पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। बजट में स्मार्ट मीटर की व्यवस्था की बात कही गई है , जबकि सरकार ने मीटर सहित अन्य उपकरणों में मेजर इन्वेस्टमेंट पूर्व में ही कर दिया है , ऐसे में आवश्यकता है उन मीटरों को लगाने की। यह आग्रह किया गया कि तुरंत प्रीपेड मीटरों को लगाने की प्रकिया शुरू की जाय और केंद्र सरकार की योजना की तर्ज पर प्रीपेड प्रणाली लागू किया जाय, जिससे सरकार को राजस्व एडवांस में मिलेगा और इससे जुड़ी कई अनियमितताएं भी दूर होगी । यह भी सुझाव दिया गया कि डीवीसी से कम दर पर गुणवत्तापूर्ण विद्युत संचरण / वितरण कराने हेतु निजी क्षेत्र से जुड़े कुशल उद्यमियों को आमंत्रित कर , उनसे दरों की मांग करनी चाहिए। कहा गया कि सरकार का कार्य गवर्नेंस का है ना कि व्यापार करना। पिछले एक दशक से झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अलावा अन्य व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठनों के द्वारा राजधानी रांची सहित अन्य प्रमुख शहरों की बिजली वितरण व्यवस्था अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रोफेशनल के हाथों में सौंपने की मांग की जाती रही है। लेकिन सरकार द्वारा अब तक कार्रवाई नहीं करना चिंतनीय है। उन्होंने सरकार से पुनः निवेदन किया कि राज्य की विद्युत वितरण व्यवस्था को प्रोफेशनल्स के हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाय।
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