30 नवंबर से 5 चरणों में होंगे चुनाव, मतगणना 23 दिसंबर को
रांची। इंतजार तो सभी को था लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि चुनाव
आयोग अचानक झारखंड विधान सभा चुनाव की तिथियों की आधिकारिक घोषणा कर देगा और
राजनीतिक दलों को सोचने समझने और संभलने का जरा भी मौका नहीं देगा।। मुख्य चुनाव
आयुक्त सुनील अरोड़ा ने संवाददाता सम्मेलन का आयोजन कर चुनाव की तारीखों का एलान
कर दिया। यह चुनाव पांच चरणों में होंगे और मतगणना 23 दिसंबर को होगी। पहले चरण
में 30 नवंबर को 13 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान होगा। फिर 7 दिसंबर को 20, 12
दिसंबर को 17,16 दिसंबर को 15 और 20 दिसंबर को 16 सीटों के लिए चुनाव होंगे। चुनाव
में 81 विधानसभा क्षेत्रों के लिए कुल 2.26 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। उनमें
193736 नए मतदाता हैं। उल्लेख्य है कि मौजूदा रघुवर दास सरकार का कार्यकाल 5 जनवरी
2020 को खत्म हो रहा है। ससे पूर्व नई सरकार का गठन कर लिया जाना है। झारखंड के 19
जिले नक्सल प्रभावित हैं। उनके अंदर 67 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इन सीटों पर
शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराना प्रशासन के लिए चुनौती बनी रहती है।
भाजपा हमेशा चुनावी मोड में रहती है। लिहाजा उसकी तैयारी पूरी हो चुकी
है। रघुवर सरकार अबकि बार 65 पार का नारा देकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।
विपक्षी दलों के बीच लोकसभा चुनाव की तर्ज पर महागठबंधन बनने के प्रति कोई उत्साह
नज़र नहीं आ रहा है। भाजपा का आजसू के साथ गठबंधन है। पिछली बार भाजपा को 31
प्रतिशत वोट के साथ 37 और आजसू को 3.7 प्रतिश वोटों के साथ 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बाद में झाविमो के
8 में से 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके दलबदल को लेकर झाविमो ने चुनौती
दी थी। झाविमो को 10 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे और 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
विपक्षी दलों में सबसे अधिक 20.7 प्रतिशत वोट झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिले थे और
19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस 10,5 प्रतिशत वोटों के साथ 7 सीटों पर
जीती थी। 6 सीटें अन्य के खाते में गई थीं। उनमें माले और मासस शामिल थे। राजद,
जदयू आदि का सूपड़ा साफ हो गया था।
अभी झाविमो ने साफ कर दिया है कि वह सभी 81 सीटों पर उम्मीदवार
उतारेगी। कांग्रेस और झामुमो के बीच तालमेल पर बात चल रही है लेकिन किसी निर्णय तक
नहीं पहुंची है। जदयू भी सभी 81 सीटों पर लड़ने का एलान कर चुका है।
खरगोश और कछुए के बीच की दौड़
सब अचानक हो गया। लोग उम्मीद कर रहे थे कि चुनाव दिसंबर के दूसरे
सप्ताह में होगा लेकिन चुनाव आयोग ने झारखंड विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम कुछ इस अंदाज़
से घोषित किया कि जो दल पहले से तैयारी
नहीं कर सके हैं उनके लिए सोच-विचार का बिल्कुल समय नहीं है। इससे भाजपा को तो कोई
समस्या नहीं है क्योंकि उसकी तैयारी बहुत पहले पूरी हो चुकी है। समस्या विपक्षी
दलों की है जो चुनाव की घोषणा होने तक कुंभकर्णी निद्रा में सोए रहते हैं और इसके
बाद सीटों के बंटवारे और तालमेल पर विचार-विमर्श करते हैं। अभी तक विपक्षी दलों के
बीच कुछ भी स्पष्ट नहीं है। न सीट बंटे हैं न उम्मीदवार तय हैं। उन्हें अपनी इत्मिनान
से चलने वाली मंथर चाल का खमियाजा भुगतना होगा। पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को है।
लेकिन नामांकन 6 नवंबर से शुरू हो जाएगा। उसकी अंतिम तिथि 13 नवंबर और नामांकन
वापसी की तिथि 16 नवंबर निर्धारित है। इतने कम समय में विपक्षी दलों के लिए निर्णय
ले पाना संभव नहीं दिखता। भाजपा की गति बुलेट ट्रेन की है तो तो वे मीटर गेज़ की स्टीम
इंजन वाली ट्रेन की गति से मुकाबला करने क तैयारी में हैं
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