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मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

मानव सेवा ही डा अनंत सिन्हा के जीवन का एकमात्र लक्ष्य



चिकित्सक को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है। चिकित्सा सेवा में आने के पूर्व डॉक्टर मानव सेवा की शपथ लेते हैं। कुछ चिकित्सक तो मानव सेवा को अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य ही बना लेते हैं। पीड़ित मानवता की सेवा करना और उन्हें हर संभव सहयोग करना उनकी दिनचर्या में शामिल रहता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं राजधानी रांची के बजरा स्थित देवकमल अस्पताल के संचालक व प्रख्यात शल्य चिकित्सक डॉ. अनंत सिन्हा। दया और करुणा की प्रतिमूर्ति डॉ.सिन्हा पीड़ित मानवता के प्रति समर्पित हैं। उनका नाम झारखंड के नामचीन शल्य चिकित्सकों में शुमार है। मूल रूप से बिहार के सिवान जिले के निवासी डाॅ. सिन्हा की प्रारंभिक शिक्षा झारखंड में हुई। उनके पिता एकीकृत बिहार के समय वन विभाग में अधिकारी थे। सेवानिवृत्ति के पश्चात उनका परिवार पटना आ गया। डॉ.सिन्हा ने पटना के ख्यातिप्राप्त शिक्षण संस्थान संत माइकल स्कूल में दाखिला लिया। वहां से मैट्रिक व प्लस टू की परीक्षा पास की। उन्हें चिकित्सक बनकर जन सेवा करने का शौक शुरू से ही रहा। इंटरमीडिएट विज्ञान की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने मेडिकल कॉलेज की ओर रुख किया। आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज ( एएफएमसी), पुणे में नामांकन हेतु उन्होंने तैयारियां शुरू की और इसमें सफल रहे। वहां से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद वह पुणे में ही प्रैक्टिस करने लगे।  लगभग 6 वर्षों के प्रैक्टिस के क्रम में उन्होंने अपने वरिष्ठ चिकित्सकों का मार्गदर्शन भी प्राप्त किया। इस दौरान उन्होंने मास्टर ऑफ सर्जरी और एमसीएच की डिग्री भी हासिल की। झारखंड से उनका लगाव शुरू से ही रहा। राज्य गठन होने के बाद डॉ. सिन्हा रांची आ गए और यहां देवकमल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना की। अपनी कुशल कार्यशैली, अनुभव और व्यवहार कुशलता के बलबूते डॉ. सिन्हा कदम दर कदम चिकित्सा के क्षेत्र में नित नई उपलब्धियां हासिल करने लगे। सर्जरी के क्षेत्र में उन्होंने कई ऐसे उत्कृष्ट कार्य किए हैं, जो चिकित्सा क्षेत्र में अद्भुत उपलब्धियां कही जा सकती है। कटे होंठ और तालू की सर्जरी में डॉ. सिन्हा को महारत हासिल है। उनकी इस विशेषज्ञता के आधार पर  चिकित्सा सेवा में लगी राष्ट्रीय स्तर की संस्था स्माइल ट्रेन  उन्हें अपना सहयोग दे रही है। उनके अस्पताल में स्थापना काल के बाद से लेकर अब तक दस हजार से ऊपर मरीजों के कटे होंठ और तालू का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया जा चुका है। उनके अस्पताल में विभिन्न रोगों से संबंधित कुशल और अनुभवी चिकित्सकों सहित समर्पित पारा मेडिकल कर्मियों की टीम है। देवकमल अस्पताल में अत्याधुनिक और विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होने की वजह से यहां झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्य बिहार, बंगाल, ओडिशा से भी मरीज आते हैं। मरीजों की मानें तो  डॉ. अनंत सिन्हा के व्यवहार से ही उनका आधा दुख दूर हो जाता है। मरीज उन्हें अपना मसीहा मानते हैं। डॉ. सिन्हा सभी धर्म व समुदाय के लोगों का समान रूप से आदर करते हैं। सर्वधर्म- समभाव के आदर्शो को अपने जीवन में आत्मसात कर चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित कर डॉ. सिन्हा मानव सेवा के अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर हैं। उनका मानना है कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इससे सुखद अनुभूति होती है। गरीबों, असहायों की सहायता करने से उन्हें सुकून मिलता है। ऐसे युग में जब चिकित्सा सेवा का तेजी से व्यवसायीकरण हो रहा है, वैसे में डॉ. सिन्हा द्वारा  मानव सेवा के उद्देश्य से चिकित्सा सेवा करना उनकी महानता का परिचायक है।
वह कहते हैं कि मरीज चिकित्सक में भगवान का रूप देखकर उनके पास आते हैं। ऐसे में चिकित्सकों की भी अहम जिम्मेदारी बनती है कि वे मरीजों के साथ उनकी आशा और अपेक्षा के अनुरूप हर संभव सहयोग करें, तभी चिकित्सक होने की सार्थकता है।
प्रस्तुति : नवल किशोर सिंह

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