* महज 20 फीसदी लोगों को ही उपभोक्ता कानून की जानकारी
राकेश कुमार सिंह
रांची। झारखंड में उपभोक्ता कानूनों की जानकारी महज 20 से 25 प्रतिशत लोगों को ही है। इस संबंध में राज्य सरकार को उपभोक्ता संरक्षण परिषद की ओर से अद्यतन रिपोर्ट पेश की गई है। उपभोक्ता संरक्षण व अन्य संबंधित कानून के बारे में झारखंड के लोग कितने सजग हैं, यह जानने के लिए अलग-अलग प्रश्नावली ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया। इसका उत्तर सभी लोगों से जानने की कोशिश की गई। साथ ही साथ समस्या के समाधान के बारे में भी उन्हीं लोगों से पूछा गया। प्रश्नावली में पहला प्रश्न क्या आपको उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के बारे में पता है? दूसरा उपभोक्ता के न्याय दिलाने वाली उपभोक्ता फोरम शहर में कहां स्थित है? तीसरा प्रश्न आप अगर किसी वस्तु या सेवा से ठगे जाते हैं, तो क्या आप उपभोक्ता अदालतों में शिकायत करेंगे अगर नहीं तो क्यों? चौथा प्रश्न उपभोक्ता से संबंधित अलग-अलग कंट्रोलिंग एजेंसी कौन कौन सी है? पांचवा प्रश्न उपभोक्ताओ संबंधित मुख्य समस्याएं कौन सी है?
और आखिरी सुझाव के रूप में उनसे पूछा गया कि उपभोक्ता संरक्षण व जागरूकता के प्रचार के रूप में मुख्य तरीका क्या होना चाहिए? इसके अलावा समयानुसार अन्य बातों पर भी चर्चा की गई। इन प्रश्नावली के उत्तर व अध्ययन में निम्नलिखित पाया गया।
1, मूलभूत आवश्यकता से संबंधित : इस अधिकार अध्ययन में पाया गया मूलभूत आवश्यकता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयास से केवल 22% उपभोक्ता संतुष्ट पाए गए। वहीं , 53% उपभोक्ताओं का मानना है कि मूलभूत आवश्यकता में खाद्य, स्वास्थ्य जन शिक्षा ,स्वच्छता, ऊर्जा, परिवहन और संचार जैसे उत्पादों पर सेवाओं को कवर करने के लिए बुनियादी जरूरतों के अधिकार को लागू किया जाना चाहिए । लगभग 78 % इससे उपभोक्ता असंतुष्ट है।
2. सूचित करने का अधिकार एवं कंज्यूमर प्रोटेक्शन रिलेटेड लॉस उपभोक्ता के अधिकार के लिए बनाए गए अलग अलग कानून जैसे पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट 2011, कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 1986 इत्यादि कानून के संबंध में जब उपभोक्ताओं से पूछा गया तो 61% उपभोक्ताओं को किसी भी कानून की जानकारी नहीं है। मात्र 10% ऐसे लोग हैं, जिन्हें कानून की जानकारी है। 29% लोगों को थोड़ा बहुत जानकारी है।
3. निवारण का अधिकार : सामान्य तौर पर 75% लोग पहले बिक्रेता को शिकायत करते हैं। भुक्तभोगी उपभोक्ताओं के 93% लोग किसी भी फोरम में अपनी शिकायत नहीं रखते हैं। मात्र 7% लोग ही उपभोक्ता मंच से संपर्क करते हैं और उनमें 2% लोग उपभोक्ता अदालतों का दरवाजा खटखटाते हैं।
4. शिकायत निवारण तंत्र के साथ संतोष : शिकायत करने वाले में 17% लोग पूर्णता संतुष्ट है ,53% लोग थोड़ा बहुत संतुष्ट है, 30% लोग पूर्णता असंतुष्ट हैं।
5. अधिकार के बारे: जहां भारत में 42% लोगों को ही अपने अधिकारों की जानकारी हैं, वही झारखंड में मात्र 31% लोग ही उपभोक्ता के अधिकार के संबंध में जागरूक हैं।
नियामक प्राधिकरण के संबंध: इस संबंध में जानकारी हमारे राज्य और देश में अलग-अलग नियामक प्राधिकारी है। जैसे ईआरसी, ट्राई, एफएएसएसएआई,सेबी, आरबीआई, आईआरडीए आदि। इन नियामक आयोगों के बारे में जब पूछा गया तो अधिकतर लोग आरबीआई और एफएसएसएसआई का ही नाम सुने थे। अन्य नियामक प्राधिकार के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो कुछ लोग ही आरबीआई के बारे में जानते हैं और किसी भी प्रकार के आयोग के बारे में उन्हें नहीं पता।
अध्ययन में यह स्पष्ट रूप से आया कि मात्र 20 से 25% लोग ही उपभोक्ता के अधिकार और कानून के संबंध में जागरूक है जब शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं के साथ साथ विद्यार्थियों से उपभोक्ता जागरूकता के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव मांगे गए तो ग्रामीण क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सुझाव पहला आया कि ग्राम सभा को माध्यम बनाकर उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए। महिला मंडल या सखी मंडल को उपभोक्ता जागरूकता के प्रचार प्रसार के लिए उपयोग किया जा सकता है।
शहरी क्षेत्र के लिए जिला और राज्य स्तर पर कार्यशाला, उपभोक्ता जागरूकता यात्रा, शैक्षणिक संस्थाओं में संगोष्ठी, स्कूलों और कॉलेजों को उपभोक्ता जागरूकता का माध्यम बनाया जाए।
( लेखक झारखंड राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य हैं )
राकेश कुमार सिंह
रांची। झारखंड में उपभोक्ता कानूनों की जानकारी महज 20 से 25 प्रतिशत लोगों को ही है। इस संबंध में राज्य सरकार को उपभोक्ता संरक्षण परिषद की ओर से अद्यतन रिपोर्ट पेश की गई है। उपभोक्ता संरक्षण व अन्य संबंधित कानून के बारे में झारखंड के लोग कितने सजग हैं, यह जानने के लिए अलग-अलग प्रश्नावली ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया। इसका उत्तर सभी लोगों से जानने की कोशिश की गई। साथ ही साथ समस्या के समाधान के बारे में भी उन्हीं लोगों से पूछा गया। प्रश्नावली में पहला प्रश्न क्या आपको उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के बारे में पता है? दूसरा उपभोक्ता के न्याय दिलाने वाली उपभोक्ता फोरम शहर में कहां स्थित है? तीसरा प्रश्न आप अगर किसी वस्तु या सेवा से ठगे जाते हैं, तो क्या आप उपभोक्ता अदालतों में शिकायत करेंगे अगर नहीं तो क्यों? चौथा प्रश्न उपभोक्ता से संबंधित अलग-अलग कंट्रोलिंग एजेंसी कौन कौन सी है? पांचवा प्रश्न उपभोक्ताओ संबंधित मुख्य समस्याएं कौन सी है?
और आखिरी सुझाव के रूप में उनसे पूछा गया कि उपभोक्ता संरक्षण व जागरूकता के प्रचार के रूप में मुख्य तरीका क्या होना चाहिए? इसके अलावा समयानुसार अन्य बातों पर भी चर्चा की गई। इन प्रश्नावली के उत्तर व अध्ययन में निम्नलिखित पाया गया।
1, मूलभूत आवश्यकता से संबंधित : इस अधिकार अध्ययन में पाया गया मूलभूत आवश्यकता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयास से केवल 22% उपभोक्ता संतुष्ट पाए गए। वहीं , 53% उपभोक्ताओं का मानना है कि मूलभूत आवश्यकता में खाद्य, स्वास्थ्य जन शिक्षा ,स्वच्छता, ऊर्जा, परिवहन और संचार जैसे उत्पादों पर सेवाओं को कवर करने के लिए बुनियादी जरूरतों के अधिकार को लागू किया जाना चाहिए । लगभग 78 % इससे उपभोक्ता असंतुष्ट है।
2. सूचित करने का अधिकार एवं कंज्यूमर प्रोटेक्शन रिलेटेड लॉस उपभोक्ता के अधिकार के लिए बनाए गए अलग अलग कानून जैसे पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट 2011, कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 1986 इत्यादि कानून के संबंध में जब उपभोक्ताओं से पूछा गया तो 61% उपभोक्ताओं को किसी भी कानून की जानकारी नहीं है। मात्र 10% ऐसे लोग हैं, जिन्हें कानून की जानकारी है। 29% लोगों को थोड़ा बहुत जानकारी है।
3. निवारण का अधिकार : सामान्य तौर पर 75% लोग पहले बिक्रेता को शिकायत करते हैं। भुक्तभोगी उपभोक्ताओं के 93% लोग किसी भी फोरम में अपनी शिकायत नहीं रखते हैं। मात्र 7% लोग ही उपभोक्ता मंच से संपर्क करते हैं और उनमें 2% लोग उपभोक्ता अदालतों का दरवाजा खटखटाते हैं।
4. शिकायत निवारण तंत्र के साथ संतोष : शिकायत करने वाले में 17% लोग पूर्णता संतुष्ट है ,53% लोग थोड़ा बहुत संतुष्ट है, 30% लोग पूर्णता असंतुष्ट हैं।
5. अधिकार के बारे: जहां भारत में 42% लोगों को ही अपने अधिकारों की जानकारी हैं, वही झारखंड में मात्र 31% लोग ही उपभोक्ता के अधिकार के संबंध में जागरूक हैं।
नियामक प्राधिकरण के संबंध: इस संबंध में जानकारी हमारे राज्य और देश में अलग-अलग नियामक प्राधिकारी है। जैसे ईआरसी, ट्राई, एफएएसएसएआई,सेबी, आरबीआई, आईआरडीए आदि। इन नियामक आयोगों के बारे में जब पूछा गया तो अधिकतर लोग आरबीआई और एफएसएसएसआई का ही नाम सुने थे। अन्य नियामक प्राधिकार के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो कुछ लोग ही आरबीआई के बारे में जानते हैं और किसी भी प्रकार के आयोग के बारे में उन्हें नहीं पता।
अध्ययन में यह स्पष्ट रूप से आया कि मात्र 20 से 25% लोग ही उपभोक्ता के अधिकार और कानून के संबंध में जागरूक है जब शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं के साथ साथ विद्यार्थियों से उपभोक्ता जागरूकता के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव मांगे गए तो ग्रामीण क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सुझाव पहला आया कि ग्राम सभा को माध्यम बनाकर उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए। महिला मंडल या सखी मंडल को उपभोक्ता जागरूकता के प्रचार प्रसार के लिए उपयोग किया जा सकता है।
शहरी क्षेत्र के लिए जिला और राज्य स्तर पर कार्यशाला, उपभोक्ता जागरूकता यात्रा, शैक्षणिक संस्थाओं में संगोष्ठी, स्कूलों और कॉलेजों को उपभोक्ता जागरूकता का माध्यम बनाया जाए।
( लेखक झारखंड राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य हैं )
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