यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 9 जनवरी 2019

महागठबंधन के तहत चुनाव लड़़ना विपक्षी दलों की विवशता


* दमदार प्रत्याशी की तलाश में जुटे सभी दल

नवल किशोर सिंह
रांची : झारखंड में लोकसभा और  विधानसभा चुनाव को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा छोड़ कर अन्य दल अपने बलबूते सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए दमदार प्रत्याशी खड़ा करने में सक्षम नहीं है।
वर्ष 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में 14 में से 12 सीटों पर कब्जा जमाया, वहीं झामुमो के खाते में दो सीटें आई, जबकि कांग्रेस समेत अन्य दलों को निराशा हाथ लगी। वर्ष 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जहां 35 सीटें हासिल की थी, वहीं दूसरी तरफ 26 विधानसभा सीटों पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही। वहीं कुछ ही दिन बाद झाविमो टिकट पर जीते छह अन्य विधायक भी भाजपा खेमे में आ गये। इस तरह भाजपा विधायकों की संख्या 41 हो गयी। इस तरह 81 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से  67 सीटों पर भाजपा पहले और दूसरे स्थान पर रही। वहीं अन्य 14 सीटों में से 9 सीटें सहयोगी दल आजसू पार्टी के लिए भाजपा ने छोड़ दी थी।
दूसरी तरफ विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 18 सीटों पर जीत हासिल की और 19 स्थानों पर झामुमो प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। इस तरह झामुमो ने 81 में से सिर्फ 39सीटों पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में सफलता हासिल की, शेष अन्य विधानसभा सीटों पर झामुमो प्रत्याशियों की या तो जमानत जब्त हो गयी अथवा काफी कम वोट आये। कांग्रेस ने भी पिछले विधानसभा में करीब 13 प्रतिशत वोट जरूर प्राप्त किये, लेकिन कांग्रेस सिर्फ छह सीट हासिल कर सकी। हालांकि 12 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। झारखंड विकास मोर्चा ने भी करीब 11 प्रतिशत वोट हासिल कर कांग्रेस से दो सीट अधिक आठ विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया और पांच सीटों पर झाविमो प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। हालांकि बाद में झाविमो के आठ में से छह विधायक भाजपा में शामिल हो गये। इनके खिलाफ स्पीकर के न्यायाधीकरण में दल-बदल मामले की सुनवाई हो रही है, वहीं झाविमो के एक अन्य विधायक प्रकाश राम की भी भाजपा से नजदीकियां देखी जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल ने पिछले विधानसभा चुनाव में कोई सीट हासिल नहीं किया, लेकिन राजद के छह प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। इधर, सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी आजसू पार्टी के चार विधायक चुनाव जीत कर आये और तीन विधानसभा सीटों पर आजसू पार्टी प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। इसके अलावा 10 विधानसभा सीटों पर निर्दलीय और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। इस तरह से भाजपा छोड़ कर कोई  भी राजनीतिक दल अपने बलबूते सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सांगठनिक रूप से सक्षम नहीं दिख रहे हैं। हालांकि विपक्ष के सभी दल अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में दमदार प्रत्याशी की तलाश में जुट गए हैं। बहरहाल, लोकसभा चुनाव के लिए सूबे का सियासी पारा चढ़ने लगा है। विभिन्न दलों द्वारा विधानसभा चुनाव की भी रणनीति तैयार हो रही है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शाह साहब की दूरबीन

  हास्य-व्यंग्य हमारे आदरणीय गृहमंत्री आदरणीय अमित शाह जी दूरबीन के शौकीन है। उसका बखूबी इस्तेमाल करते हैं। अपने बंगले की छत पर जाकर देश के ...