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बुधवार, 8 मई 2019

संस्मरणः जब डा. मोती प्रसाद सिंह ने मुझे दो दिनों में चंगा कर दिया



देवेंद्र गौतम

अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चिकित्सक डा. मोती प्रसाद सिंह का आकस्मिक निधन रांची की बड़ी आबादी की तरह मेरे लिए भी व्यक्तिगत क्षति है। उनके निधन की खबर सुनने के बाद उनका चेहरा आंखों के सामने घूम गया। वर्ष 2010 में एक बार मैंने उनका वृहत इंटरव्यू लिया था। इसके कुछ ही दिनों बाद अचानक मेरी तबीयत खराब हुई। पत्रकार मित्र नवल किशोर सिंह मुझे उनके पास ले गए। डाक्टर साहब ने कुछ टेस्ट कराए। रिपोर्ट में टायफायड, यूरिन इंफेक्शन और डायबिटिज निकला। डाक्टर साहब ने मेरा पारिवारिक इतिहास जानने के बाद कहा कि डायबिटिज मुझे ज्यादा परेशान नहीं करेगा लेकिन जब-जब मानसिक तनाव होगा, यह बढ़ेगा। उन्होंने डायबिटिज के लिए एक दवा ग्लुकोनार्म जी वन लगातार खाने की सलाह दी और टीयफायड तथा यूरिन इंफेक्शन के लिए मात्र एक टैबलेट दिया। दो दिन के अंदर मैं पूरी तरह चंगा हो गया। आज भी मैं डायबिटिज के लिए उनकी लिखी दवा खाता हूं।
मैं जानता हूं कि उस समय किसी भी डाक्टर के पास गया होता तो वह पचीसों टेस्ट कराता और मुझे ठीक होने में अच्छा-खासा समय लग जाता। लंबे समय तक कमजोरी रहती। इतने कुशल और देवता समान चिकित्सकों की पीढ़ी अब खत्म होती जा रही है। हाल में ऐसे ही विश्व प्रसिद्ध न्यूरो चिकित्सक डां केके सिन्हा का निधन हो गया। पता नहीं ईश्वर ऐसी विभूतियों को अपने पास क्यों बुला लेते हैं जिनकी समाज को बेहद जरूरत होती है।
2013 में मैं दिल्ली चला गया था। इस बीच रांची आना भी हुआ तो बहुत कम समय के लिए। अभी जब रांची रहना हो रहा है तो कई बार नवल जी से कहा कि डाक्टर साहब से मिलना है। हम उनसे मिलने गए भी लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। उनका एक और इंटरव्यू लेने की इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

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