:
साफ-सुथरी छवि के बलबूते बनी पहचान
रांची। समाज में आपकी छवि साफ-सुथरी है, तो हर जगह सम्मान पाएंगे। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक सहित किसी भी संगठन से जुड़ें तो समर्पण भाव से। तभी जीवन की सार्थकता है। इसे सच साबित कर दिखाया है राजधानी के चुटिया मुहल्ला निवासी सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता शशिभूषण राय ने। संगठन के प्रति समर्पण कोई उनसे सीखे। श्री राय की प्रारंभिक शिक्षा शहर के प्रतिष्ठित संत पॉल स्कूल से हुई। रांची कॉलेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। अपनी व्यवहार कुशलता से छात्र जीवन में ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विशिष्ट पहचान बनाई। साथियों के सुख- दुख में शामिल होना उनकी दिनचर्या में शुमार हो गया। पढ़ाई के अलावा समाज के लिए कुछ सकारात्मक कार्य करने के उनके जज्बे और जुनून देखकर कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई ) के तत्कालीन छात्र नेताओं ने उन्हें संगठन से जुड़ने की सलाह दी। उन दिनों रांची विश्वविद्यालय में छात्र संगठन एनएसयूआई काफी सक्रिय भूमिका में छात्र हित के लिए संघर्षरत रहा करता था। श्री राय एनएसयूआई से जुड़े और छात्र हित के लिए आंदोलन में अहम भूमिका निभाने लगे। संगठन के प्रति उनका समर्पण और उनकी कर्तव्यनिष्ठा देखकर वर्ष 1980 के दशक में उन्हें रांची जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष का पदभार दिया गया। सात वर्षों तक श्री राय यूथ कांग्रेस के प्रेसिडेंट पद का बखूबी निर्वहन करते रहे। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव मनोनीत किए गए। कांग्रेस के प्रवक्ता पद पर रहे। उनकी सांगठनिक क्षमता और राजनीतिक दूरदर्शिता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने फिलवक्त उन्हें झारखंड के पाकुड़ जिले का प्रभारी बनाया है।
गौरतलब है कि शशिभूषण राय के घर का माहौल भी पूर्व से ही सामाजिक और राजनीतिक रहा है। उनके पिता स्व. प्रह्लाद राय बिहार- झारखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता थे। उनके घर उन दिनों देश के दिग्गज राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आना-जाना लगा रहता था। बता दें कि उनका घर संयुक्त परिवार की मिसाल है। भाइयों व परिवार के अन्य सदस्यों के विपरीत राजनीतिक विचारधारा के बीच पारिवारिक सामंजस्य की बानगी देखनी हो, तो शशिभूषण राय के घर में देखें । कोई भाजपा के समर्थक हैं, तो कोई अन्य राजनीतिक- सामाजिक संगठनों के। फुरसत के क्षण में घर व प्रतिष्ठान में भी राजनीतिक हालातों पर इनके भाइयों व अन्य सदस्यों के बीच खुलकर चर्चा होती है। वहीं पारिवारिक माहौल को राजनीति से बिल्कुल दूर रखा जाता है। सभी व्यवसाय जगत से जुड़े हैं। राजनीतिक व व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा शशिभूषण सामाजिक संस्था "आयाम " से जुड़े हैं। इसके माध्यम से गरीब बच्चों की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य ,पोषण आदि के कार्यों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। श्री राय कहते हैं कि ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण के बलबूते ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं। मुकाम हासिल कर सकते हैं।
साफ-सुथरी छवि के बलबूते बनी पहचान
रांची। समाज में आपकी छवि साफ-सुथरी है, तो हर जगह सम्मान पाएंगे। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक सहित किसी भी संगठन से जुड़ें तो समर्पण भाव से। तभी जीवन की सार्थकता है। इसे सच साबित कर दिखाया है राजधानी के चुटिया मुहल्ला निवासी सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता शशिभूषण राय ने। संगठन के प्रति समर्पण कोई उनसे सीखे। श्री राय की प्रारंभिक शिक्षा शहर के प्रतिष्ठित संत पॉल स्कूल से हुई। रांची कॉलेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। अपनी व्यवहार कुशलता से छात्र जीवन में ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विशिष्ट पहचान बनाई। साथियों के सुख- दुख में शामिल होना उनकी दिनचर्या में शुमार हो गया। पढ़ाई के अलावा समाज के लिए कुछ सकारात्मक कार्य करने के उनके जज्बे और जुनून देखकर कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई ) के तत्कालीन छात्र नेताओं ने उन्हें संगठन से जुड़ने की सलाह दी। उन दिनों रांची विश्वविद्यालय में छात्र संगठन एनएसयूआई काफी सक्रिय भूमिका में छात्र हित के लिए संघर्षरत रहा करता था। श्री राय एनएसयूआई से जुड़े और छात्र हित के लिए आंदोलन में अहम भूमिका निभाने लगे। संगठन के प्रति उनका समर्पण और उनकी कर्तव्यनिष्ठा देखकर वर्ष 1980 के दशक में उन्हें रांची जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष का पदभार दिया गया। सात वर्षों तक श्री राय यूथ कांग्रेस के प्रेसिडेंट पद का बखूबी निर्वहन करते रहे। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव मनोनीत किए गए। कांग्रेस के प्रवक्ता पद पर रहे। उनकी सांगठनिक क्षमता और राजनीतिक दूरदर्शिता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने फिलवक्त उन्हें झारखंड के पाकुड़ जिले का प्रभारी बनाया है।
गौरतलब है कि शशिभूषण राय के घर का माहौल भी पूर्व से ही सामाजिक और राजनीतिक रहा है। उनके पिता स्व. प्रह्लाद राय बिहार- झारखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता थे। उनके घर उन दिनों देश के दिग्गज राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आना-जाना लगा रहता था। बता दें कि उनका घर संयुक्त परिवार की मिसाल है। भाइयों व परिवार के अन्य सदस्यों के विपरीत राजनीतिक विचारधारा के बीच पारिवारिक सामंजस्य की बानगी देखनी हो, तो शशिभूषण राय के घर में देखें । कोई भाजपा के समर्थक हैं, तो कोई अन्य राजनीतिक- सामाजिक संगठनों के। फुरसत के क्षण में घर व प्रतिष्ठान में भी राजनीतिक हालातों पर इनके भाइयों व अन्य सदस्यों के बीच खुलकर चर्चा होती है। वहीं पारिवारिक माहौल को राजनीति से बिल्कुल दूर रखा जाता है। सभी व्यवसाय जगत से जुड़े हैं। राजनीतिक व व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा शशिभूषण सामाजिक संस्था "आयाम " से जुड़े हैं। इसके माध्यम से गरीब बच्चों की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य ,पोषण आदि के कार्यों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। श्री राय कहते हैं कि ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण के बलबूते ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं। मुकाम हासिल कर सकते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें