jरांची। मारवाड़ी भवन हरमू में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन आचार्य बांके बिहारी गोस्वामी ने
श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया।
आचार्य गोस्वामी ने कृष्ण और सुदामा के प्रसंग सुनाते हुए कहा कि, सुदामा के आने की खबर पाकर श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे।
योगेश्वर श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा जी की आवभगत में इतने विभोर हो गए के द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अपने बाहों में भरकर जल भरे नेत्रो से सुदामा जी का हाल चाल पूछने लगे। कथा व्यास ने कहा कि, 'स्व दामा यस्य स: सुदामा' अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है।
उन्होने बताया कि कभी भी मित्र के साथ धोखा नही करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि भागवत कथा ही ऐसी कथा है जिसके श्रवण मात्र से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। भगवान कृष्ण के समान कोई सहनशील नही है। क्रोध हमेशा मनुष्य के लिए कष्टकारी होता है। कृष्ण भक्त वत्सल हैं। सभी के दिलों में विहार करते हैं। जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की।
कथा व्यास ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि मनुष्य स्वंय को भगवान बनाने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करे क्यों कि भक्ति भाव देख कर जब प्रभु में वात्सल्य जागता है तो वे सब कुछ छोड कर अपने भक्तरूपी संतान के पास दौडे चले आते हैं। गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में जीता है जब कि संत सद्भाव में जीता है। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोशी बन जाओ। संतोश सबसे बडा धन है। उन्होंने कहा कि, सुदामा की मित्रता भगवान के साथ नि:स्वार्थ थी उन्होने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की। लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गये चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सबकुछ प्रदान कर दिया।
उन्होंने ने गुरु भक्ति पे कहा कि, पापों का नाश करने के लिए भगवान धरती पर अवतार लेते हैं। धरती पर आने के बाद भगवान भी गुरु की भक्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि सच्चे गुरु के आशीर्वाद से जीवन धन्य हो जाता है। कलयुग में माता-पिता और गुरु भक्ति करने से पापों का नाश होता है।
कथावाचक ने कहा, जब सत्संग में जाएं तो सिर्फ कान न खोलें बल्कि आंख भी खोल कर रखें। उन्होंने कहा, मनुष्य को आत्मचिंतन और आत्म साक्षात्कार की आवश्यकता है।कथा केवल सुनने के लिए नहीं है बल्कि इसे अपने जीवन में उतारें इसका अनुसरण करें।
उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित को कथा के सातवें दिन ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने बताया कि बलराम पहले अपने धाम के लिए प्रस्थान किये। उसके बाद भगवान इस लोक को छोड़कर अपने धाम के लिए गमन कर गए। उन्होंने शुकदेव की विदायी, कंस वध के बारे में भी विस्तार पूर्ण वर्णन किया।
कथा के समापन के अवसर पर उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य अर्पण करें, भगवान को भोग लगाएं, गाय को रोटी दें और अपने आत्मविश्वास को हमेशा कायम रखें। अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा अच्छे कार्यों के लिए अवश्य निकालें। उन्होंने भगवत गीता के प्रथम और अंतिम श्लोक के साथ इस कथा का समापन किया।
कथा समापन के पश्चात मंगल आरती का पाठ किया गया। फूलों की होली खेली गयी व भक्तो के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।
कथा के अंतिम दिन के यजमान नारायण जालान, राजू पोद्दार, कृष्णा अग्रवाल जमशेदपुर, आयुष अग्रवाल, रोहित पोद्दार, कुणाल शर्मा, सोनू टाटा, श्रवण जालान, शंकर लाल अग्रवाल, प्रवीण नारसरिया, अजय कुमार पोद्दार, राज कुमार गाड़ोदिया, सुभाष अग्रवाल, पवन हलवाई थे।
मुख्य अतिथि के रूप में राँची के लोकसभा सांसद रामटहल चौधरी, राज्य सभा सांसद महेश पोद्दार , उपमहापौर संजीव विजयवर्गीय, विश्व हिंदू परिषद के संत प्रमुख डॉक्टर स्वामी दिव्यानंद जी, महिला आयोग सदस्य आरती राणा, राँची एसएसपी अनीश गुप्ता उपस्थित थे।
सहयोगी संस्था मारवाड़ी युवा मंच ने कथा समापन के पश्चात बताया कि 30 दिसम्बर को प्रातः 11 : 00 बजे मारवाड़ी भवन में भव्य भंडारा का आयोजन किया गया है।
आयोजन को सफल बनाने में मारवाड़ी युवा मंच राँची शाखा के सदस्य के रोहित शारदा, विष्णु प्रसाद, वरुण जालान, अनु पोद्दार, वर्तमान अध्यक्ष तुषार विजयवर्गीय, राजू खेतान, किरण खेतान, मीना टाईवाला, डिंपल सोनी, मनीष लोधा, सचिन मोतिका, दीपक गोयनका, रोहित पोद्दार, राजेश अग्रवाल, कन्हैया लाल भरतिया, अभिषेक चौधरी, अजय डिडवानिया, अमित सेठी, प्रमोद मोदी, संजय बजाज, अजय खेतान, अखिल टिकमानी, अर्पण जालान, आशीष जालान, सुनील जालान, सुभाष अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, रौनक पोद्दार, विकास गोयल, गौतम अग्रवाल सहित अन्य सदस्यों की मुख्य भूमिका रही।
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