पारा शिक्षकों की मांगों को ठहराया जायज
इटखोरी। इटखोरी एकीकृत पारा शिक्षक संघ ने अपने साथ हो रहे अन्याय के बारे में समाजसेवी सुधांशु सुमन को बताया। शिक्षकों ने वनभोज कार्यक्रम का आयोजन कर समाजसेवी सुधांशूु सुमन को आमंत्रित किया एवं वनभोज कार्यक्रम से पूर्व एक सभा विक्रम कुमार शर्मा, जो संघ के अध्यक्ष है ,.की अध्यक्षता में हुई। पारा शिक्षको ने अपनी मांगों की सूची सौपते हुए कहा कि राज्य के सभी विद्यालय पारा शिक्षकों की बदौलत ही चल रहे है। उसके बावजूद पंद्रह नवम्बर से पारा शिक्षक लगातार हड़ताल पर है, बच्चे विद्यालय में पढ़ाई नही कर पा रहे है। उसके बाद भी यह सरकार मांगों को नही मान रही है।बच्चे पढ़े ना पढ़े इस सरकार को कोई मतलब नही। पारा शिक्षकों ने समाजसेवी सुधांशू सुमन से यह आग्रह किया कि अपने संस्था के माध्यम से उनकी बात सरकार तक पहुंचाएं। पारा शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष विक्रम शर्मा ने बताया कि प्रखंड के 68 विद्यालय पूरी तरह से पारा शिक्षक पर निर्भर है एवं 275 पारा शिक्षक के परिवार पूरी तरह उनपर निर्भर हैं। ऐसे में सरकार के इस रवैया से बच्चे,शिक्षक एवं उनके पूरे परिवार प्रभावित है।पंचायत समिति सदस्य संतोष सोनी ने कहा कि पारा शिक्षक संघ के इस संघर्ष में प्रखंड के जनप्रतिनिधियों का भरपूर सहयोग मिलेगा ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। रे ग्राम सेवा फाउंडेशन तिरँगा सम्मान यात्रा के सूत्रधार व प्रसिद्ध समाजसेवी सुधांशु सुमन ने कहा कि पारा शिक्षकों की पीड़ा हृदयविदारक है। उन्होंने कहा शिक्षक समाज के आधार स्तंभ है, जिनके मार्गदर्शन से भावी पीढ़ी कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर सकेगीl इस बात को सोचते हुए मन में शिक्षक का स्थान बहुत ऊंचा हो जाता हैl किसी भी देश या समाज में शिक्षा की व्यवस्था को सुदृढ़ करने में प्राथमिक शिक्षकों की अहम भूमिका होती हैl उन्होंने कहा कि समस्त राज्य का यह कर्तव्य होना चाहिए कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेl सरकार भी इस विषय को लेकर गंभीर हैl हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चों की शिक्षा निर्विघ्न और गुणवत्तापूर्ण होl इस बात पर निर्णय करना एक अलग विषय है कि कौन से पारा शिक्षक गुणवत्तापूर्ण है और कौन नहींl लेकिन वर्तमान समय में अगर ये शिक्षा का अलख जगाने हेतु अपनी सेवा दे रहे हैं तो देश के अन्य राज्य यथा बिहार, छत्तीसगढ़ और यूपी के तर्ज पर झारखंड में भी पारा शिक्षकों को सम्मानजनक मानदेय मिलनी ही चाहिए l
इटखोरी प्रखंड में 104 प्राथमिक/मध्य विद्यालय में 275 पारा शिक्षक हैंl जो एक हज़ार रुपये मानदेय से अपनी सेवा शुरू करते हुये शिक्षा की गुणवत्ता में अपना योगदान देते हुए अब उम्र के तीसरे या चौथे पडाव तक पहुंच चुके हैंl प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में इनका योगदान अतुलनीय हैl ऐसे में इनके और इनके परिवारजनों के
भरण- पोषण हेतु इन्हें एक सम्मानजनक मानदेय अवश्य मिलनी चाहिएl उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में पारा शिक्षकों की स्थिति को देखते हुए जल्द इनके बेहतरी हेतु जो भी मुझसे हो सकेगा विशेष रूप से प्रयास करूंगा l
समाजसेवी सुधांशु सुमन ने सरकार से भी आग्रह किया है कि सुबे के पारा शिक्षक और विद्यार्थियों के हित में जल्द निर्णय ले, ताकि शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ रहे l
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें