लोकतांत्रिक विरोध की आवाजें दबाना चाहती है सरकारः सुबोधकांत
रांची। रांची के मोरहाबादी मैदान में झारखंड स्थापना दिवस समारोह के दौरान पारा शिक्षकों और पत्रकारों पर लाठी चार्ज और हवाई फायरिंग की पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने तीखी भर्त्सना की है। उन्होंने कहा है कि जश्न की धूम में मगन भाजपा की सरकार लाठी-फायरिंग के दम पर लोकतांत्रिक विरोध के स्वरों को कुचलना चाहती है। इसके पहले रसोइया संयोजिकाओं को भी धरनास्थल से जबरन उठाकर जेल भेजा गया।
आंदोलित पारा शिक्षकों, रसोइया संयोजिकाओं की मांगों पर तार्किक तरीके से वार्ता कर परस्पर सहमति के साथ रास्ता निकाला जा सकता था, लेकिन इसके बदले यह सरकार दमन पर उतरी आयी है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का कवरेज कर रहे पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया, जबकि वे अपने कर्तव्य के निर्वहन में जुटे थे। असल में इन्हें यह भी गवारा नहीं कि पत्रकार इनका चेहरा उजागर करने की कोशिश करें।
रांची। रांची के मोरहाबादी मैदान में झारखंड स्थापना दिवस समारोह के दौरान पारा शिक्षकों और पत्रकारों पर लाठी चार्ज और हवाई फायरिंग की पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने तीखी भर्त्सना की है। उन्होंने कहा है कि जश्न की धूम में मगन भाजपा की सरकार लाठी-फायरिंग के दम पर लोकतांत्रिक विरोध के स्वरों को कुचलना चाहती है। इसके पहले रसोइया संयोजिकाओं को भी धरनास्थल से जबरन उठाकर जेल भेजा गया।
आंदोलित पारा शिक्षकों, रसोइया संयोजिकाओं की मांगों पर तार्किक तरीके से वार्ता कर परस्पर सहमति के साथ रास्ता निकाला जा सकता था, लेकिन इसके बदले यह सरकार दमन पर उतरी आयी है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का कवरेज कर रहे पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया, जबकि वे अपने कर्तव्य के निर्वहन में जुटे थे। असल में इन्हें यह भी गवारा नहीं कि पत्रकार इनका चेहरा उजागर करने की कोशिश करें।
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