-अभिमन्यु कोहाड़
अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाये गए प्रतिबंध 4 नवम्बर से लागू हो गए हैं। इन प्रतिबंधों के तहत अगर कोई भी देश ईरान के साथ व्यापार करता है तो उस देश की कंपनियों पर अमेरिका कड़ी पाबंदी लगाएगा और वो कंपनियां अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी। अमेरिका द्वारा सभी देशों पर ईरान से तेल न खरीदने का दबाव डाला जा रहा है। भारत ने उस दबाव के सामने झुकने से मना कर दिया है। ईरान पर यह प्रतिबन्ध अमेरिका ने लगाए हैं, संयुक्त राष्ट्र एवम यूरोपियन यूनियन इन प्रतिबंधों का समर्थन नहीं कर रही है। भारत सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को मानता है इसलिए भारत ने अमेरिका के इन प्रतिबंधों को मानने से मना कर दिया है। कल अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ ने भारत, रूस, चीन व इटली समेत 8 देशों को प्रतिबन्ध से छूट देने का फैसला किया है।
ईरान से तेल खरीदने में भारत को 5 फायदे हैं -
1). भारत ईरान के तेल का भुगतान रुपयों में करेगा जिस से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अधिक मजबूत होगा।
2). जब हम डॉलर में व्यापार करना बंद कर देंगे तो डॉलर के मुकाबले रुपया और उसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था स्वयं मज़बूत हो जाएंगे।
3). विदेश नीति के के लिहाज से ईरान के साथ मजबूत सम्बन्ध रखने के भारत को अनेक फायदे हैं। ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिये भारत अफ़ग़ानिस्तान व मध्य एशिया के अनेक देशों के साथ व्यापार आसानी से कर सकता है। पाकिस्तान व सऊदी अरब के बढ़ते रिश्तों को ध्यान में रखते हुए ईरान के साथ मज़बूत रिश्ते रखना भारत के लिए सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।
4). तेल व्यापार में फ्री इंश्योरेंस व शिपिंग जैसी सुविधाएं ईरान द्वारा भारत को दी जाती हैं, तेल का भुगतान करने के लिए ईरान द्वारा भारत को 60 दिन की समयसीमा भी दी जाती है जो अन्य देशों के मुकाबले बहुत अधिक है।
5). दुनिया में अमेरिका के एकाधिकार को चुनौती देने से विश्व-जगत में भारत का मान-सम्मान बढेगा और भारत की पहचान दुनियाभर में ऐसे राष्ट्र के तौर पर बढ़ेगी जो किसी विश्व-शक्ति के दबाव में काम नहीं करता है।
इसलिए भारत को अमेरिकी दबाव के सामने नहीं झुकना चाहिए और ईरान से तेल खरीदना जारी रखना चाहिए।
(लेखक विदेशी मामलों के जानकार व रक्षा विशेषज्ञ हैं)
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