रांची। छात्र क्लब चिकित्सक मंच द्वारा आज राज घराना बैंक्वेट हॉल, रातू रोड, रांची नाक, कान, गला (ENT) के विषय पर चिकित्सा परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव आदित्य विक्रम जयसवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में नाक कान गला के विशेषज्ञ डॉक्टर अभिषेक श्रीवास्तव, मंच के शिव किशोर शर्मा, सुमित साहू ,नीरज शुभम चौधरी मुख्य रूप से उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि आदित्य विक्रम जयसवाल ने अपने संबोधन में कहा की आज के भागदौड़ जीवन में हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। लोगों की स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है इसको बेहद ख्याल रखना चाहिए।अक्सर लोग कानदर्द की स्थिति में सरसों के तेल की कुछ बूंदें डाल लेते हैं। इससे संक्रमण और अधिक बढ़ सकता है इसलिए इसके प्रयोग से बचने की सलाह दी।
परामर्श कार्यशाला में डॉक्टर की टीम ने बताया कि बदलते मौसम के दौरान हर किसी को विशेष रूप से सजग रहने की जरूरत है। जिन लोगों को नाक कान, गला व अस्थमा की तकलीफ हो वे घर में एयर कंडीशनर (एसी) का प्रयोग कम से कम करें। एसी की हवा से नाक और गला दोनों खराब होने की आशंका रहती है। वैसे तो सावधानी ही उपचार है लेकिन यदि एलर्जी अधिक बढ़ जाए तो विशेषज्ञ की सलाह से मरीज नाक में डालने के लिए स्नॉजल स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं।
कान के लिए नमी सही नहीं होता है, कान के लिए शुष्कता या नमी ठीक नहीं है। इसके अलावा बारिश में भीगने से कान में पानी जाने पर संक्रमण और फंगस होने का खतरा बना रहता है। जब हम ईयरबड से वैक्स निकालने का प्रयास करते हैं तो वह बाहर निकलने की बजाय और अंदर चला जाता है। इससे कान में फंगस व पर्दे पर चोट लग सकती है और सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
मुख्य अतिथि आदित्य विक्रम जयसवाल ने अपने संबोधन में कहा की आज के भागदौड़ जीवन में हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। लोगों की स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है इसको बेहद ख्याल रखना चाहिए।अक्सर लोग कानदर्द की स्थिति में सरसों के तेल की कुछ बूंदें डाल लेते हैं। इससे संक्रमण और अधिक बढ़ सकता है इसलिए इसके प्रयोग से बचने की सलाह दी।
परामर्श कार्यशाला में डॉक्टर की टीम ने बताया कि बदलते मौसम के दौरान हर किसी को विशेष रूप से सजग रहने की जरूरत है। जिन लोगों को नाक कान, गला व अस्थमा की तकलीफ हो वे घर में एयर कंडीशनर (एसी) का प्रयोग कम से कम करें। एसी की हवा से नाक और गला दोनों खराब होने की आशंका रहती है। वैसे तो सावधानी ही उपचार है लेकिन यदि एलर्जी अधिक बढ़ जाए तो विशेषज्ञ की सलाह से मरीज नाक में डालने के लिए स्नॉजल स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं।
कान के लिए नमी सही नहीं होता है, कान के लिए शुष्कता या नमी ठीक नहीं है। इसके अलावा बारिश में भीगने से कान में पानी जाने पर संक्रमण और फंगस होने का खतरा बना रहता है। जब हम ईयरबड से वैक्स निकालने का प्रयास करते हैं तो वह बाहर निकलने की बजाय और अंदर चला जाता है। इससे कान में फंगस व पर्दे पर चोट लग सकती है और सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
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