कोलकाता की फ्रेब्रिकेशन कंपनी के अधिकारियों की कर दी फजीहत
न्यू इंडिया का मीडिया पूरा सच बताने में विश्वास नहीं करता। प्रथमदृष्टया
सूचना में सनसनी फैलाने का मसाला मिलने के बाद वह सूचना के निष्कर्ष तक जाने की
जहमत नहीं उठाता। कोलकाता की एक फेर्केशन कंपनी के दो अधिकारियों को आयकर विभाग से
क्लीन चिट मिलने के बाद भी फजीहत उठानी पड़ रही है। कोलकाता की एक सम्मानित फेब्रिकेशन
कंपनी के प्रबंध निदेशक एसके दत्ता और स्वप्न पाल 15 लाख नकद रकम लेकर
कंपनी के काम से वाराणसी गए थे। जब वे वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर
उतरे तो किसी प्रतिद्वंद्वी कंपनी ने नकदी की जानकारी दे दी। सीआइएसएफ ने उन्हें रोक
लिया और आयकर विभाग के अधिकारियों के हवाले कर दिया। बस मीडिया को यह एक अच्छा-खासा
मसाला मिल गया। फिर क्या था नमक मिर्च मिलाकर चटाखेदार खबर बना दी। जैसे कोई बड़ा
आतंकवादी या अंडरवर्ल्ड डॉन पकड़ा गया हो। खूब पगड़ी उछाली। अगले दिन यह खबर
सुर्खियों में रही। आयकर विभाग ने इस मामले में क्या किया यह जानने या पाठकों को
बताने की किसी रिपोर्टर ने जरूरत नहीं समझी। श्री दत्ता के मुताबिक सीआइएसएफ और
आयकर अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभाई लेकिन मीडिया ने तो सिर्फ कीचड़ उछालने का
काम किया।
दरअसल आयकर विभाग की पूछताछ के क्रम में श्री दत्ता ने अधिकारियों के
सवालों का संतोषजनक जवाब दिया और अपने कोलकाता कार्यालय से आवश्यक दस्तावेज़
मंगाकर सौंप दिए। विभाग को राशि के स्रोत और उपयोग की पूरी जानकारी दे दी।
अधिकारियों ने उनके जवाब से संतुष्ट होने के बाद रकम वापस लौटा दी। लेकिन मीडिया
के लिए यह खबर नहीं बन सकी। संभवतः इसमें सनसनी की कोई गुंजाइश नहीं दिखी। आयकर
विभाग ने श्री दत्ता से पूछताछ की तो उन्होंने बतलाया कि उनकी कंपनी रेलवे के ले
स्पेयर पार्ट्स के निर्माण से संबंधित रेलवे इंजन का सुपर स्ट्रक्चर बनाने का
कार्य करती है। वाराणसी में उनकी कंपनी को रेलवे का बड़ा काम मिला है। इसीलिए यहां
ब्रांच ऑफिस खोलना है। इसी उद्देश्य से वे
नकदी लेकर आए थे। उन्होंने कंपनी के कैशबुक और बैंक एकाउंट की प्रति सौंप दी जिससे
यह प्रमाणित हो गया कि कंपनी ने अपने एकाउंट से दो किस्तों में 15 लाख की रकम
निकाली और श्री दत्ता को सौंपा। इस रकम से उन्हें आफिस के फर्नीचर और अन्य उपकरण लेने
थे। 10-15 स्टॉफ भी बहाल करने थे। आयकर विभाग के अधिकारियों ने उनके दस्तावेज़ों
और विवरण से संतुष्ट होकर रकम वापस कर दी और उन्हें मुक्त कर दिया। श्री दत्ता ने मीडिया
को इसकी जानकारी दी लेकिन किसी ने उनका पक्ष जनता तक पहुंचाने की जरूरत नहीं समझी।
बाद में उन्होंने कुछ मीडिया संस्थानों को लीगल नोटिस भी भेजा है।
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