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शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

नक्सलियों की नकेल कसने में माहिर हैं सीआरपीएफ कमांडेंट आनंद कुमार जेराई



चक्रधरपुर स्थित  सीआरपीएफ की 60वीं बटालियन के कमांडेंट आनंद कुमार जेराई नक्सलियों और आतंकियों के लिए खौफ का पर्याय रहे हैं। उनका मानना है कि देश की रक्षा सर्वोपरि है। देश भक्ति और अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना हर नागरिक में होना जरूरी है। यह सशक्त और समृद्ध राष्ट्र निर्माण में काफी सहायक होता है। ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति ही सच्चे देशभक्त कहलाने के हकदार होते हैं। ऐसा मानना है चक्रधरपुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की  60वीं बटालियन के कमांडेंट आनंद कुमार जेराई का। श्री जेराई देश प्रेम के जज्बे और जुनून से ओतप्रोत व आत्मविश्वास से लबरेज पुलिस अधिकारी हैं। उनके लिए राष्ट्र सेवा सर्वोपरि है। वह मानव सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं। बचपन से ही उनमें देशप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। यौवनावस्था में आने पर राष्ट्रप्रेम का जुनून उनके सिर चढ़कर बोलने लगा। देशप्रेम का जज्बा परवान चढ़ने लगा। इसी जज्बे से प्रेरित होकर वे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में शामिल हुए और देश सेवा का अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। श्री जेराई की प्रारंभिक शिक्षा चाईबासा में हुई। उनके पिता स्व. जयराम जेराई बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। वहीं, उनकी माता स्व.गौरी जेराई एक कुशल गृहिणी थी। उनके माता-पिता ने आनंद को संस्कार युक्त शिक्षा दिलाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। देश सेवा के प्रति आनंद के बढ़ते शौक को देखकर उनके माता-पिता हमेशा उन्हें प्रेरित करते रहे। चाईबासा में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आनंद ने रांची स्थित जिला स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की। मारवाड़ी कॉलेज, रांची से उन्होंने इंटरमीडिएट किया और इसके बाद रांची कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। वर्ष 96 बैच के पुलिस अधिकारी आनंद वर्ष 1997 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में नियुक्त हुए। उनकी बेसिक ट्रेनिंग आसाम में हुई। वह श्रीनगर में भी तीन साल पदस्थापित रहे। त्रिपुरा, राजस्थान,मेघालय व मिजोरम में भी पदस्थापना के दौरान उन्होंने अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन किया। श्री जेराई एनएसजी में भी पांच वर्षों तक पदस्थापित रहे। इस दौरान वह तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की सुरक्षा टीम में भी शामिल थे। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस एकेडमी, हैदराबाद में भी अपनी पदस्थापना काल में प्रतिभा का परचम लहराया। उन्हें नक्सलियों की नकेल कसने में महारत हासिल है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र छत्तीसगढ़ के सुकमा में भी स्थापित रहे। उनके कार्यकाल के दौरान नक्सलियों ने सर्वाधिक संख्या में आत्मसमर्पण किया। नक्सली उनके नाम से ही खौफ खाते हैं। श्री जेराई जहां कहीं भी पदस्थापित रहे, अपनी उत्कृष्ट कार्यशैली, व्यवहार कुशलता और अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार पहल से अपने मिशन में सफल रहे हैं। उनके निर्देशन और नेतृत्व में सीआरपीएफ बटालियन अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है। उनकी नेतृत्व क्षमता अद्भुत है। पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के मार्गदर्शन और उनके निर्देशों का सम्मान करते हुए वह सेवारत रहते हैं, वहीं, अपने मातहत सहकर्मियों के संग मित्रवत व्यवहार करते हैं। उनका मानना है कि टीम भावना से काम करने पर हम जल्द ही अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल हो जाते हैं। संगठन में शक्ति उनका आदर्श वाक्य है। वह अपने बटालियन में एक जांबाज पुलिस अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। समाज के प्रति अपने संदेश में श्री जेराई कहते हैं कि हर नागरिक को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। युवाओं के प्रति अपने संदेश में वह कहते हैं कि समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर अपने भविष्य निर्माण के प्रति गंभीर हों। युवा हमारे देश के भविष्य हैं। उनके कंधों पर हमारे देश का भविष्य टिका होता है। इसलिए युवाओं को अपनी ऊर्जा सकारात्मक कार्यों में लगाने की आवश्यकता है। तभी हमारा देश और समाज सशक्त और समृद्ध हो सकता है।
प्रस्तुति :  विनय मिश्रा

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