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मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

दिव्यांगता नियमावली बनाने वाला देश का पहला राज्य बना झारखंड: सतीश चंद्रा


रांची। स्थानीय राज रेजीडेंसी होटल में एनसीपीईडीपी नई दिल्ली, स्वाभिमान उड़ीसा एवं झारखंड विकलांग मंच के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय आयोजित राज्य स्तरीय दिव्यांगता सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए राज्य निशक्तता आयुक्त श्री सतीश चंद्रा ने कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत झारखंड राज्य नियमावली बनाने वाला देश का पहला राज्य है सरकार दिव्यांग जनों के विकास के प्रति काफी संवेदनशील एवं प्रयत्नशील है झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां 5 वर्ष तक के बच्चों से ही स्वामी विवेकानंद निशक्त स्वालंबन प्रोत्साहन राशि ₹1000 प्रतिमाह दिया जाता है आने वाले समय में दिव्यांग जनों के स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य सरकार सोसाइटी का गठन करेगी एवं छोटे छोटे उद्योग चलाने में मदद किया जाएगा अभी का जिला स्तरीय मोबाइल कोर्ट जागरूकता शिविर अब प्रखंड स्तरीय एवं पंचायत स्तरीय लगाकर दिव्यांग जनों के लिए उपलब्ध सुविधाएं उन्हें सरल प्रक्रिया के माध्यम से उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा | प्रशिक्षण का प्रारंभ दीप जलाकर किया गया सभी अतिथियों को दीपावली के शुभ अवसर पर दिव्यांग जनों के द्वारा बनाया गया कैंडल भेंट किया गया | प्रशिक्षक के रूप में आए स्वाभिमान संस्था उड़ीसा के डॉक्टर श्रुति महापात्रा ने बतलाया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में वर्णित प्रावधानों के बारे में हमें गांव ग्राम के दिव्यांग जनों को जागरूक करना है उन्होंने इसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तार रूप से चर्चा किया | इस मौके पर दीपशिखा के फाउंडर अलका निजामी ने नेशनल ट्रस्ट के अंतर्गत विभिन्न प्रावधानों के ऊपर विस्तार रूप से प्रकाश डाला | एनसीपीईडीपी के राजीव रतौडी इन्हें संबोधित करते हुए बतलाया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत 21 प्रकार के दिव्यांग का श्रेणियों में बांटा गया है एवं रोजगार में 4% और गरीबी उन्मूलन में 5% आरक्षण का प्रावधान है | एनसीपीईडीपी के डायरेक्टर अरमान अली ने सरकारी योजनाओं के बारे में बतलाया जिसके अंतर्गत उन्होंने कहा कि निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अंतर्गत 18 वर्ष तक के दिव्यांग बच्चों को निशुल्क शिक्षा मुहैया कराना है कोई भी विद्यालय नामांकन लेने से मना नहीं कर सकता है सीबीएसई की गाइड लाइन के अनुसार सभी विद्यालय में विशेष शिक्षक की नियुक्ति सुनिश्चित किया जाना है | झारखंड उच्च न्यायालय के एडवोकेट सोनल तिवारी ने कहा कि यदि कोई कानून को लागू करने में कहीं पर कम ही दिखता है यह आपके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव होता है तो मामला हम तक जरूर लाएं हम उसे जनहित याचिका के रूप में न्यायालय में दायर कर आप को न्याय दिलाने में मदद करेंगे इस सेमिनार में झारखंड के विभिन्न जिलों से आए ६५दिव्यांगजन एवं संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

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