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बुधवार, 18 सितंबर 2019

महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित है नीतू झा




जीवन में कुछ बेहतर करने का जज्बा और जुनून हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी इंसान सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जाता है। ऐसे लोग गरीबी और अभाव के बीच रहते हुए भी अपने कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर रहते हैं। जीवन में कई झंझावातों को झेलते हुए अपने लक्ष्य की ओर संघर्ष करते हुए बढ़ते रहते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं, झारखंड के गोड्डा जिले की निवासी जुझारू महिला और लोकप्रिय समाजसेवी नीतू झा। वह समाजसेवा के प्रति समर्पित है। नीतू की  प्रारंभिक शिक्षा गोड्डा जिले के डुमरिया गांव में हुई। इनके गांव से सरकारी मिडिल स्कूल की दूरी तकरीबन 3 किलोमीटर है। नीतू प्रतिदिन अपनी सहेलियों संग पैदल चलकर मिडिल स्कूल आती-जाती और वहीं से आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात उच्च विद्यालय, मोतिया से वर्ष 1998 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। पढ़ाई लिखाई में अव्वल रहने वाली नीतू गोड्डा महिला कॉलेज से इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन किया। उनके पिता प्रभाकर झा सेना में थे। माता बिंदु देवी समाजसेवी के रूप में क्षेत्र में जानी जाती हैं। नीतू को समाज सेवा की प्रेरणा अपने परिवारजनों से मिली। वह सात बहनों में सबसे छोटी हैं। उनका जन्म वर्ष 1983 में हुआ। बचपन गरीबी में बीता। लेकिन शुरू से ही वह जज्बाती रही। पीड़ितों- गरीबों की सेवा करने का प्रति सक्रिय रहीं। छोटे से गांव में पली-बढ़ी नीतू ने स्वयं अपने हौसलों को उड़ान देना शुरू किया। वह वर्ष 2005 से सक्रिय समाज सेवा में जुट गई। नीतू एक महिला संगठन का भी नेतृत्व करती हैं। इसके बैनर तले वह महिला सशक्तिकरण की दिशा में विगत 5 वर्षों से जुटी हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उन्हें समुचित सम्मान दिलाना उनकी दिनचर्या में शुमार है।  समाज सेवा के प्रति उनके जज्बे और जुनून की सभी सराहना करते हैं। उनके परिवार में सात बहने हैं। दो बहन स्कूल का संचालन करती हैं, एक बहन ने समाज सेवा के क्षेत्र में काफी लोकप्रियता हासिल की है। वहीं, एक बहन पेंटिंग और चित्रकला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहीं हैं। उनकी एक बहन धार्मिक- आध्यात्मिक कार्यक्रमों में अपने प्रवचन से श्रद्धालुओं को आकर्षित करते रहती है। नीतू झा अपने माता-पिता की सांतवीं संतान हैं। उन्हें अपने परिवार जनों का हर संभव सहयोग मिलता रहता है। समाजसेवा के क्षेत्र में नीतू के कार्यों में उनकी बहनें भी प्रोत्साहित करती हैं। उन्हें सहयोग करती हैं। संथाल परगना के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में महिलाओं, युवतियों को स्वावलंबी बनाने, उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में वह सतत प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि महिला सशक्तिकरण के बिना महिला उत्थान की बातें बेमानी है। वर्तमान समय की मांग है कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में प्रयास तेज किए जांय। नीतू कहती हैं कि समाज सेवा के क्षेत्र में काफी महिलाएं आगे आ रही हैं। महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में काफी सहयोग मिल रहा है। इस दिशा में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। वह  कहती हैं कि समाज के नवनिर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। महिला हितों के संरक्षण के लिए भी प्रयास जरूरी है। इस दिशा में वह कार्य कर रही हैं। अपनी सकारात्मक ऊर्जा लगाते हुए महिलाओं के स्वाबलंबन के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहते हैं। संथाल क्षेत्र सहित आसपास के इलाकों में नीतू झा किसी परिचय की मोहताज नहीं है। समाज सेवा के क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है। समाज के कमजोर वर्ग और पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति भी नीतू सदैव समर्पित रहती हैं। किसी भी धर्म, जाति  और समुदाय के पीड़ितों की सेवा करने में उन्हें सुकून मिलता है। वह कहती हैं कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है।  पीड़ित मानवता की सेवा करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं। नीतू राजनेताओं को,  हर राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को भी नसीहत देते हुए कहती हैं कि समाज सेवा का कार्य दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करना चाहिए। इससे सामाजिक समरसता बनी रहती है और समाज सशक्त होता है। समाज व देश को समृद्धशाली बनाने  के लिए हम सबों को सामूहिक रूप से सामाजिक नवनिर्माण की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। यह देशहित राज्यहित और समाज हित में है।
 प्रस्तुति : विनय मिश्रा

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