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शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

सादा जीवन उच्च विचार की प्रतिमूर्ति हैं अमित खोवाल



उच्च आदर्शों को आत्मसात करने वाले व्यक्ति के अंदर कोई बनावट, कोी दिखावा नहीं होता। यानी सरलता, सादगी और सामाजिक दायित्यों का गहरा बोध। ऐसी ही एक शख्सियत हैं, राजधानी रांची के लालपुर स्थित पीस रोड निवासी अमित खोवाल। वह सरलता और सादगी की प्रतिमूर्ति हैं। अनुशासनप्रिय, समय के पाबंद, हर परिस्थितियों में धीर-गंभीर और शांत चित्त रहने वाले अमित का जीवन मानवीय करुणा एवं संवेदनाओं से ओतप्रोत है। सुख की घड़ियां हो या उदासी के गहन पल, कभी विचलित न होना उनकी खासियत है। अमित अपने माता-पिता,गुरुजनों व महापुरुषों से प्रेरणा लेते हुए उनके बताए मार्गों पर चलते रहने के लिए संकल्पित हैं। अमित का जन्म रांची में एक जनवरी 1981 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा राजधानी स्थित गुरु नानक स्कूल से हुई। वहां से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात डीएवी पब्लिक स्कूल, हेहल से इंटरमीडिएट (12वीं) किया। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए अमित कोलकाता चले गए। वहां भवानीपुर कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। चार्टर्ड अकाउंटेंट पाठ्यक्रम में इंटरमीडिएट स्टेज क्लियर किया। लगभग पांच वर्षों तक कोलकाता में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वर्ष 2004 में अमित रांची वापस लौट आए और अपने पिता द्वारा स्थापित व्यवसाय में हाथ बंटाने लगे। वर्ष 2005 से उन्होंने अपनी व्यावसायिक गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेना शुरू किया। वह वर्तमान में मेडिकल- पैथोलॉजिकल उपकरण व सामग्री से संबंधित व्यावसायिक प्रतिष्ठान किरण ट्रेडिंग व श्री बालाजी बायोमेडिकल्स तथा कॉस्मेटिक और एफएमसीजी सामग्री से संबंधित सुहानी एजेंसी नामक फर्म का संचालन कर रहे हैं। अपने पिता राजेंद्र खोवाल और माता किरण देवी खोवाल की प्रेरणा से अमित ने व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना शुरू किया। अमित तीन फरवरी 2008 को वैवाहिक बंधन में बंधे। उनकी पत्नी वंदना खोवाल भी उनके स्वभाव के अनुरूप उन्हें हर कदम पर सहयोग करती हैं। वह अपने पुत्र सोहम और पुत्री सुहानी को बेहतर और संस्कारयुक्त शिक्षा दिला रहे हैं। अपनी पारिवारिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए अमित सामाजिक जीवन में भी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। उनका व्यक्तित्व इंसानियत के सारे गुणों का समायोजन है। जातिगत और धार्मिक भावनाओं से ऊपर उठकर समाज हित के लिए सोचना उनकी खासियत है। उनका आचार-विचार और व्यवहार  "सादा जीवन उच्च विचार" वाली कहावत को चरितार्थ करता है। समाज सेवा के कार्यों में शुरू से ही उनकी रूचि रही। समाज के प्रति त्याग, तपस्या, सेवा भाव रखना और रचनात्मक कार्यों में विश्वास उनके स्वभाव में समाहित है। ऊर्जावान व्यक्तित्व के धनी अमित खोवाल का मानना है कि ऐसा समाज निर्माण आवश्यक है,जो सहृदयता, समानता और शांति के सुमन खिला दे और प्रेम के पराग से मानवता सुगंधित हो जाए। वह कहते हैं कि सभी धर्म, संप्रदाय, जाति, लिंग, वर्ण एवं वर्ग के लोगों के कल्याण में जुटे रहना मानव का कर्तव्य है। समाज के हर वर्ग के लोगों के सुख-दुख में शामिल होना परम धर्म है। वह कहते हैं कि लोग सांसारिक सुखों की परिधि में मानव कल्याणकारी योजनाओं की परिकल्पना और जगत की अपनी अल्पकालिक यात्रा भूल जाते हैं। इससे सामाजिक विकृतियां सिर उठाने लगती है। ऐसे में सामाजिक समरसता पर खतरा मंडराने लगता है। इसलिए हमें आपसी भाईचारगी बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहना जरूरी है। यह स्वस्थ और स्वच्छ समाज निर्माण में  सहायक होता है। समाजसेवी की भूमिका में रचनात्मकता के वाहक अमित खोवाल जरूरतमंदों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इससे उन्हें सुखद अनुभूति होती है। अपने से बड़ों का आदर करना, छोटों को सम्मान देना उनकी आदत में शुमार है। वह कई सामाजिक व धार्मिक संगठनों से भी जुड़े हैं।  लायंस क्लब ऑफ रांची यूथ के सक्रिय सदस्य हैं। वहीं, जूनियर चेंबर इंटरनेशनल(जेसीआई), फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्य हैं। वह जेसीआई में बतौर जनसंपर्क अधिकारी, निदेशक (खेल), कोषाध्यक्ष व उपाध्यक्ष (व्यवसाय) सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाने में सफल रहे। अमित रक्तदान को महादान मानते हैं। जरूरतमंदों को रक्तदान करना वह सबसे बड़ा मानव धर्म समझते हैं। शहर में होने वाले सामाजिक, धार्मिक- आध्यात्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होकर अपनी सक्रिय सहभागिता निभाते हैं। महापुरुषों को वह अपने जीवन का आदर्श मानते हैं। वहीं अपने माता-पिता और गुरुजनों के प्रति आदर का भाव रखते हुए वह कहते हैं कि "हम तो पत्थर हैं,हमारे माता-पिता व गुरुजन शिल्पकार हैं, हमारी हर तारीफ के वही असली हकदार हैं"।
प्रस्तुति : नवल किशोर सिंह
(सांध्य दैनिक मेट्रो रेज से साभार)

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