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सोमवार, 23 सितंबर 2019

व्यस्तताओं के बीच समाज सेवा के प्रतीक हैं प्रतीक जैन



रांची। पारिवारिक जिम्मेदारियों और व्यावसायिक व्यस्तताओं के बीच समाज सेवा के लिए समय निकालना व्यक्ति की महानता का परिचायक है। संस्था के प्रति समर्पण भाव से लगे रहना इंसान के विशेषता कहलाता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं राजधानी के रातू रोड निवासी व्यवसायी व सामाजिक कार्यकर्ता प्रतीक जैन। शहर की सामाजिक, धार्मिक व आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल होकर उसमें अपने सहभागिता निभाना उनकी खासियत है। प्रतीक जैन विश्वस्तरीय संस्था जूनियर चेंबर इंटरनेशनल से जुड़े हैं। इसके माध्यम से वह विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्य को धरातल पर उतारने में जुटे रहते हैं। प्रतीक की प्रारंभिक शिक्षा राजधानी स्थित डीएवी हेहल से हुई। वहीं से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात राजधानी की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान संत जेवियर कॉलेज से उन्होंने इंटरमीडिएट व ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। पेशे से व्यवसायी प्रतीक अपने पिता दिलीप कुमार जैन को अपना आदर्श मानते हैं। उनकी माता मधु जैन एक कुशल गृहणी हैं। समाज सेवा की प्रेरणा उन्हें अपने माता-पिता व अन्य परिजनों से मिली। वह दिगंबर जैन समाज से भी जुड़े हैं। जैन जागृति समाज का सामाजिक कार्यों का दायरा बढ़ाने की दिशा में भी वह सतत प्रयासरत रहते हैं। उनका मानना है कि संस्था के प्रति समर्पण जरूरी है। किसी भी संस्था से जुड़ें और उसके लिए समय ना निकालें,  तो संस्था से जुड़ना का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। प्रतीक कहते हैं कि जैन समाज सभी धर्मों का समान आदर करती है। सर्वधर्म समभाव की भावना को आत्मसात कर सभी धर्मों के प्रति आदर सम्मान रखना चाहिए। इससे सामाजिक समरसता बरकरार रहती है। प्रतीक के कार्यों में उनकी पत्नी भी सहयोग करती हैं। प्रतीक को एक पुत्र व एक पुत्री हैं। दोनों को बेहतर शिक्षा दिला रहे हैं। बचपन से ही उनका शौक रहा है सामाजिक कार्यों के प्रति सक्रिय रहने का, कुछ नया करते रहने का। इस दिशा में वह सतत प्रयासरत रहते हैं। जूनियर इंटरनेशनल चैंबर से जुड़कर वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हुए कहते हैं कि इस संस्था से जुड़ने के बाद सामाजिक कार्य करने का जज्बा और बढ़ने लगा। जेसीआई से जुड़ने के बाद उनमें टीम भावना विकसित हुई है और समाज के नवनिर्माण के लिए सकारात्मक ऊर्जा के साथ लगे रहने की उनकी क्षमता विकसित हुई है। वह अपने पारिवारिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों को बखूबी संभालते हुए सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए भी समय निकाल लेते हैं। वह कहते हैं कि पीड़ित मानवता की सेवा करने में उन्हें सुखद अनुभूति होती है। मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। युवाओं के प्रति अपने संदेश में वह कहते हैं कि युवा अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाएं और राष्ट्र व समाज के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। इससे हमारा देश समृद्धशाली और सशक्त होगा।
 प्रस्तुति : नवल किशोर सिंह

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