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शनिवार, 28 सितंबर 2019

कर्तव्यों के प्रति हिमालय की तरह दृढ़ हैं सिद्धार्थ चौधरी



समाज के प्रति श्रद्धा, विश्वास और समर्पण रखते हुए अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहना व्यक्ति की विशेषता कहलाता है। समाज में व्याप्त विसंगतियों में संगति की स्थापना कर स्वस्थ और स्वच्छ समाज को अंकुरित, पल्लवित और पुष्पित करने में सदैव प्रयासरत रहना इंसान की महानता का परिचायक होता है। जीवन का उद्देश्य सिर्फ धनोपार्जन ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति कर्तव्य बोध भी होना जरूरी है। ऐसी ही  सकारात्मक सोच से ओतप्रोत शख्सियत हैं राजधानी रांची निवासी सिद्धार्थ चौधरी। ममत्व में यमुना से गहराई और संस्कारों में हिमालय समान दृढ़ता लिए समाज की बगिया को सींचने-संवारने में जुटे रहना उनकी दिनचर्या में शामिल है। वह मानव सेवा को अपना परम धर्म मानते हैं। शहर में किसी भी धर्म व संप्रदाय का पर्व-त्यौहार हो, सिद्धार्थ चौधरी उसमें सेवा शिविरों के आयोजन के माध्यम से अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज कराते हैं। सिद्धार्थ शहर के युवा उद्यमियों के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं। उनका कुशल व्यवहार दूसरों को प्रेरित करने वाला है। सिद्धार्थ रांची में ही पले- बढ़े और पढ़े। संत जेवियर स्कूल, डोरंडा से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात डीएवी, श्यामली से प्लस टू किया। इसके बाद राजधानी के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान संत जेवियर कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई-लिखाई में सदैव अव्वल रहने वाले सिद्धार्थ चौधरी का रुझान व्यवसाय की ओर होने लगा। वह अपने दादा जी द्वारा स्थापित लगभग छह दशक पुरानी व्यवसायिक प्रतिष्ठान कोलकाता स्टोर सप्लाई काॅरपोरेशन में अपने पिताजी का हाथ बंटाने लगे। उनके पिता सज्जन चौधरी और माता मधु चौधरी भी अपने पारिवारिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बखूबी निभाते हुए सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सिद्धार्थ उक्त प्रतिष्ठान में अपने पिता के साथ उनके व्यवसायिक कार्यों में सहयोग करते हैं। पारिवारिक और व्यावसायिक व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर समाज सेवा के प्रति उनका परिवार समर्पित रहता है। शहर में होने वाले सभी सामाजिक, धार्मिक-आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होकर वह समाज सेवा के प्रति समर्पण का भाव प्रदर्शित करते रहते हैं। अपने कर्तव्य पथ पर सफल पथिक के रूप में सिद्धार्थ चौधरी अग्रसर हैं। वह विभिन्न संस्थाओं से जुड़कर सामाजिक कार्यों को गति प्रदान कर रहे हैं। वह अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक संस्था जूनियर चेंबर इंटरनेशनल, राउंड टेबल इंडिया, अग्रवाल सभा, डोरंडा ओल्ड जेवियरन (डॉक्स), फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल सोसाइटी, रेड क्रॉस सोसाइटी, रांची क्लब, जिमखाना क्लब, फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज से भी जुड़े हैं। इनमें से कई संस्थाओं के वह आजीवन सदस्य भी हैं। उनका पूरा परिवार समाज सेवा के प्रति समर्पित रहता है। सिद्धार्थ रक्तदान को  महादान मानते हैं। रक्तदान शिविरों का आयोजन कर वह मानवता की मिसाल पेश करते रहे हैं। वह कहते हैं कि स्वास्थ्य ही धन है, युवाओं के प्रति अपने संदेश में सिद्धार्थ कहते हैं कि अपने अनुभवों से काम को सफलतापूर्वक करने के लिए सतत प्रयासरत रहें। जीवन का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति भी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। सिद्धार्थ सर्वधर्म-समभाव की भावना को आत्मसात कर सभी धर्मों का समान आदर करते हैं।  वह सभी धर्मावलंबियों के प्रति आदर सम्मान का भाव रखते हैं। वह कहते हैं कि देश की अखंडता के लिए सामाजिक एकता और समरसता जरूरी है। देश के सर्वांगीण विकास के लिए समाज के प्रति प्रत्येक व्यक्ति का शिक्षित होना भी आवश्यक है। लोग शिक्षित होंगे, तभी देश व समाज का विकास रफ्तार पकड़ेगा। लोगों के सुख- दुख में शामिल होना उनकी दिनचर्या में शुमार है। गरीब और पीड़ितों की सेवा करने से उन्हें सुखद अनुभूति होती है, इससे उन्हें आंतरिक सुख मिलता है। बचपन से ही दयावान और मददगार रहे सिद्धार्थ चौधरी गरीबों और बेसहारों को देखकर द्रवित हो जाते हैं। उन्हें हर संभव सहयोग करने में आगे रहते हैं। वह कहते हैं कि समाज के निचले तबके के लोगों की मदद कर उन्हें ऊपर उठाना आगे बढ़ाना भी व्यक्ति का धर्म है। युवाओं के प्रति अपने संदेश में सिद्धार्थ कहते हैं कि युवा अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल सकारात्मक कार्यों में करें और अपने कार्यों में नैतिकता का ख्याल रखें,क्योंकि नैतिकता के बल पर ही आगे की मुश्किल राहें भी आसान हो जाती है। इसलिए नैतिक मूल्यों का क्षरण न हो, इस दिशा में प्रयासरत रहें।
प्रस्तुति : नवल किशोर सिंह

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