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रविवार, 15 सितंबर 2019

कर्तव्यनिष्ठा की प्रतिमूर्ति हैं एसपी इंद्रजीत माहथा


चाईबासा। कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और लगन के बलबूते इंसान सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जाता है।  कम समय में ही लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल करने में सफल हो जाता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं पश्चिम सिंहभूम के पुलिस आरक्षी अधीक्षक इंद्रजीत माहथा। श्री माहथा वर्ष 2009 बैच के आईपीएस हैं। अपनी बेहतरीन कार्यशैली से उन्होंने पुलिस महकमे में तो एक विशेष पहचान स्थापित कर ही ली है, इसके अलावा जनता के बीच भी उन्होंने अच्छी खासी लोकप्रियता अर्जित की है। अपने सेवाकाल के दौरान वह जहां भी पदस्थापित रहे, अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर जनता का दिल जीतने में सफल रहे हैं। श्री माहथा का भारतीय पुलिस सेवा में चयन होने के बाद पहला पदस्थापन राजधानी रांची के हटिया में एएसपी के पद पर हुआ। यहां उन्होंने अपनी बेहतरीन कार्यशैली का परिचय देते हुए बखूबी अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। मृदुभाषी, अनुशासन प्रिय और अपराध नियंत्रण के प्रति सदैव सक्रिय रहने वाले श्री माहथा अपने दायित्वों के प्रति सजग रहते हैं। सरायकेला-खरसावां जिले के पुलिस अधीक्षक पद पर रहते हुए उन्होंने अपराध नियंत्रण और नक्सली गतिविधियों को काबू करने की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए, जिसे उक्त जिले की जनता आज भी याद कर उनके प्रति सम्मान का इजहार करती है। सरायकेला-खरसावां जिले के निवासियों को उन्होंने बेहतर विधि व्यवस्था देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब सरायकेला-खरसांवा से उनका स्थानांतरण अन्यत्र हुआ, तब वहां के निवासियों ने उनका स्थानांतरण रुकवाने के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन भी किया। विभागीय कार्यों का निष्पादन और थानों में लंबित मामलों के जल्द से जल्द निपटान के लिए वह सदैव प्रयासरत रहते हैं। अपने मातहत कर्मियों को भी वह हमेशा निर्देशित करते रहते हैं कि मामलों को जल्द से जल्द निपटायें। उनका यह प्रयास होता है कि किसी भी मामले में निर्दोष व्यक्ति को नहीं फंसाया जाए। श्री माहथा तकरीबन ढाई वर्षों तक पलामू में भी एसपी के पद पर पदस्थापित रहे। पलामू के अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में नक्सल गतिविधियों पर नियंत्रण में उन्हें सफलता मिली। अपनी बेहतरीन कार्य कुशलता की बदौलत श्री माहथा जनता के चहेते पुलिस अधिकारियों की सूची में अग्रिम पंक्ति में हैं। शहर को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में वह सदैव प्रयासरत रहते हैं। आम जनता के साथ उनका मैत्रीपूर्ण संबंध होता है। पुलिस-पब्लिक फ्रेंडली वातावरण निर्माण के लिए वह सतत प्रयासरत रहते हैं। उनका मानना है कि पुलिस जनता की सेवक और रक्षक हैं। इसी रूप में जनता के साथ उनका मित्रवत व्यवहार होना जरूरी है। फिलवक्त श्री माहथा पश्चिम सिंहभूम चाईबासा जिले के एसपी हैं। जिले में अपराध पर काबू पाने के लिए उन्होंने सभी थानों को विशेष रूप से दिशा निर्देशित किया है। अपराध नियंत्रण उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने आदिवासियों के स्वशासन को भी मान सम्मान दिया है। कोल्हान- पोड़ेया हाट के इलाके में परंपरागत मानकी-मुंडा प्रशासन प्रचलित है। 1832 के कोल विद्रोह के बाद तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने विलकिंसंस रूल्स के जरिए इस व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता भी प्रदान की थी। आजादी के बाद लंबे समय तक इस व्यवस्था की उपेक्षा की गई। इंद्रजीत माहथा ने मानकी-मुंडा प्रशासन और पंचायती राज व्यवस्था के बीच एक संतुलन कायम किया। तमाम मानकियों और मुंडाओं को पहचान पत्र जारी किया और काम करने की आजादी दी। रघुवर सरकार ने भी उन्हें मालगुजारी की रसीद काटने का अधिकार देकर उनका मान बढ़ाया। विभागीय कार्यों के प्रति सजग और सक्रिय रहना श्री माहथा की दिनचर्या में शामिल है। वे कहते हैं कि जनता को स्वच्छ शासन-प्रशासन देना  सरकारी अधिकारियों का दायित्व बनता है। इस दिशा में सकारात्मक प्रयास के साथ जुटे रहना चाहिए। चाईबासा क्षेत्र के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के प्रति भी गंभीरता दिखाते हुए ग्रामीणों का दिल जीत लिया है। वह आम जनता के मित्र हैं, तो अपराधियों के लिए जानी दुश्मन के समान हैं। वह खासकर ग्रामीण युवाओं को समाज की मुख्यधारा से जुड़े रहकर अपने उज्जवल भविष्य निर्माण के प्रति संवेदनशील रहने की अपील करते हैं। श्री माहथा की कार्यशैली अन्य पुलिस कर्मियों के लिए अनुकरणीय हैं। उनका व्यक्तित्व प्रेरणास्रोत है।
प्रस्तुति : विनय मिश्रा

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