यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

नवजागरण के अग्रदूत थे राजा राममोहन राय


महान समाज सुधारक और समाजसेवी राजा राममोहन राय का‌ जन्म बंगाल के हुगली जिला के राधा गांव में 22 मई 1772 को हुआ था।भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे। उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की। उनके आन्दोलनों ने जहां पत्रकारिता को चमक दी, वहीं, उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को भी सही दिशा दिखाने का कार्य किया। धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक राममोहन राय ने ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने आपको राष्ट्र सेवा में झोंक दिया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के अलावा वे दोहरी लड़ाई लड़ रहे थे। दूसरी लड़ाई उनकी अपने ही देश के नागरिकों से थी। जो अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे। राजा राममोहन राय  ने उन्हें झकझोरने का काम किया। बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का उन्होंने पुरजोर विरोध किया। धर्म प्रचार के क्षेत्र में अलेक्जेंडर डफ्फ  ने उनकी काफी सहायता की। देवेंद्र नाथ टैगोर उनके सबसे प्रमुख अनुयायी थे। आधुनिक भारत के निर्माता, सबसे बड़ी सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलनों के संस्थापक, ब्रह्म समाज, राजा राममोहन राय ने सती प्रणाली जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । वह भी अंग्रेजी, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और विज्ञान के अध्ययन को लोकप्रिय भारतीय समाज में विभिन्न बदलाव की वकालत की। राजा राममोहन राय ने 'ब्रह्ममैनिकल मैग्ज़ीन', 'संवाद कौमुदी', मिरात-उल-अखबार ,(एकेश्वरवाद का उपहार) बंगदूत जैसे स्तरीय पत्रों का संपादन-प्रकाशन किया। बंगदूत एक अनोखा पत्र था। इसमें बांग्ला, हिन्दी और फारसी भाषा का प्रयोग एक साथ किया जाता था। उनके जुझारू और सशक्त व्यक्तित्व का इस बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि वर्ष 1821 में अंग्रेज जज द्वारा एक भारतीय प्रतापनारायण दास को कोड़े लगाने की सजा दी गई। फलस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। इस बर्बरता के खिलाफ राजाराम मोहन राय ने एक लेख लिखा।
27 सितंबर 1833 को राजाराम मोहन राय ने परमधाम को गमन किया।
आज पुण्यतिथि पर महान विचारक,लेखक, संपादक एवं स्त्री समाज सुधार के प्रबल पुरोधा को नमन एवं श्रद्धांजलि।
 प्रस्तुति : डॉ.एच आर सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बांग्लादेशी मॉडल की ओर बढ़ता देश

  हाल में बांग्लादेश का चुनाव एकदम नए तरीके से हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार...