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शनिवार, 14 सितंबर 2019

शिक्षाविद निरूप के संस्थान में सीआरपीएफ अधिकारियों का आगमन



चक्रधरपुर। नवनियुक्त सीआरपीएफ 60 बटालियन कमांडेंट आनंद जेराई ने निरूप प्रधान के कोचिंग संस्थान का दौरा किया। पिछले हफ्ते में शिक्षाविद निरुप कुमार प्रधान को शिक्षा जगत में नई क्रांति लाने हेतु  नेशन बिल्डर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उसी दौरान कमांडेंट साहब को श्री निरूप के कार्यों से रूबरू होने का मौका मिला। वे काफी प्रभावित हुए उनके भाषण को सुनकर एवं उन्होंने निश्चय किया कि वे बच्चों से मिलने अवश्य आएंगे एवं जिस संस्थान से इतने बच्चे नौकरी पाकर निकले हो उस संस्थान को देखने पहुंचेंगे ।

ऐसा ही हुआ बीते दिनों कमांडेंट साहब ने इच्छा जताई कि वे शिक्षा कोचिंग के संस्थान को देखने आएंगे और उन्होंने अपने साथ सेकंड कमांडर साधु शरण यादव एवं असिस्टेंट कमांडेंट जिया उल हक के साथ शिक्षा कोचिंग के लिए निकल पड़े ।

बाटा रोड में नई सड़क बनने पर पुरानी सड़क को उखाड़ दिया गया है जिससे उनकी गाड़ी बाजार के अंदर नहीं घुस सकती थी, इतने बड़े अधिकारी होकर भी उन्होंने अपनी गाड़ी वहीं छोड़कर अपने लोगों के साथ पैदल ही 1 किलोमीटर का फैसला तय कर कोचिंग संस्थान पहुंचे ।यहां आकर उन्होंने देखा के विश्वकर्मा मंदिर पर चलाए जाने वाला शिक्षा कोचिंग काफी जर्जर है एवं बिजली की तार अस्त-व्यस्त है उन्होंने तुरंत अपने लोगों को आदेश दिया कि वह बिजली के तारों की शीघ्र वायरिंग कर दें ताकि बच्चे क्षतिग्रस्त होने से बच पाए।

 साथ ही उन्होंने छत को देखते हुए इसके स्थान पर दूसरा विकल्प देने का भी निश्चय किया ऐसे अधिकारी विरले ही मिलते हैं जो स्थानीय लोगों के सुख-दुख को समझते हैं। जब समाज के उत्थान की बात हो और ऐसे अधिकारी आगे बढ़कर हाथ बढाएं तब मानो ऐसा लगता है कि सामाजिक स्तर अब ऊंचा उठ कर आएगा। कमांडेंट साहब ने बिना किसी हिचक के श्री प्रधान को आश्वासन दिया की।इस बात को आगे अधिकारियों तक भी पहुंचाएंगे ताकि उनकी भी कुछ मदद श्री प्रधान को मिल पाए।

 साथ ही उन्होंने श्री प्रधान को उनके कार्यक्रमों का एक फाइल तैयार करने को कहा जिसे वह किसी भी अन्य व्यक्ति को अपने कार्यों के बारे में दर्शा सकते हैं और वह भी फाइल अपने ही ऑफिस में उन्होंने बनवाने के लिए कहा ।

श्री प्रधान ने कहा कि वैसे अधिकारियों से मिलकर गदगद हो गए एवं उनकी प्रशंसा में जितना कहे उतना कम है यह कह कर भावुक से हो गए। आशा है की इनके रहते समाज में और भी शांतिमय वातावरण होगा एवं नि:शुल्क पढ़ने वाले बच्चों को उनके आगामी भविष्य में भी एक मार्गदर्शक मिलेगा।

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