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शनिवार, 14 सितंबर 2019

जनसेवा को ही अपना धर्म समझते हैं जनप्रतिनिधि अशोक षाडंगी



जिंदगी जिंदादिली का नाम है। इस वाक्य को आत्मसात कर कुछ लोग जनसेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लेते हैं। अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए समाज सेवा के प्रति भी समर्पित रहते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं कोल्हान प्रमंडल के चक्रधरपुर निवासी लोकप्रिय समाजसेवी अशोक षाडंगी। श्री षाडंगी कोल्हान क्षेत्र के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं। जनसेवा का पाठ उन्होंने अपने पिता से सीखा। बचपन से ही समाज सेवा के प्रति जुड़ाव रखने वाले अशोक षाडंगी के पिता स्वर्गीय काली प्रसन्न षाडंगी और माता स्वर्गीय धीरीबाला षाडंगी ने उन्हें समाज सेवा के प्रति प्रेरित किया। श्री षाडंगी ने चक्रधरपुर स्थित महात्मा गांधी उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात चक्रधरपुर स्थित जेएलएन कॉलेज से इंटरमीडिएट किया। इसके बाद टाटा कॉलेज, चाईबासा से उन्होंने ग्रेजुएशन किया। रांची विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इस दौरान समाज सेवा से जुड़े रहे। छात्र जीवन से ही श्री षाडंगी सामाजिक कार्यों को तरजीह देते रहे। वह एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल से भी जुड़े हैं। राजनीति के क्षेत्र में पार्टी से जुड़ कर उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। वह राजनीति से जुड़े रहकर भी समाज सेवा के प्रति समर्पित रहे हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में उनके माता-पिता द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों की चर्चा आज भी चक्रधरपुर की जनता करती है। श्री षाडंगी के पिता चक्रधरपुर में 25 वर्षों तक निर्विरोध पार्षद चुने जाते रहे। उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया अशोक षाडंगी भी फिलवक्त चक्रधरपुर में वार्ड पार्षद है। साथ ही अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। उन्हें इस पद पर 17 अप्रैल 2017 को मनोनित किया गया था। इस पद पर रहकर वे अल्पसंख्यकों के कल्याण के कार्य करते रहे हैं। 17 अप्रैल 2020 तक इस पद पर वे आसीन रहेंगे। किसी भी जाति धर्म व संप्रदाय के पर्व त्योहार के अवसर पर व सामाजिक समरसता की मिसाल पेश करते हैं। पीड़ित, लाचार की सहायता करना उनकी दिनचर्या में शुमार है। समाज सेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना चहुंओर की जाती है। उनका मानना है कि समाज सेवा का दायरा काफी बड़ा होता है लोगों को राजनीति से ऊपर उठकर समाज सेवा करनी चाहिए। इससे हमारा देश और समाज सशक्त होगा।
प्रस्तुति :  विनय मिश्रा

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