चक्रधरपुर। जन्माष्टमी मेला सात दिनों तक रौनक बढ़ाकर चला गया और अपने पीछे छोड़ गया कचड़े का अंबार। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। हर वर्ष चक्रधरपुर में जन्माष्टमी मेला पूरे 7 दिनों का लगता है। जिसमें झूले और रंग-विरंग के सामानो एवं खाने-पीने से लेकर सभी चीजों की रंगारंग व्यवस्था रहती है परंतु मेले के समापन के बाद पोटर खोली का पूरा क्षेत्र कचड़े की गोद में लेट जाता है।
दो दिन हो गए मेले का समापन हुए फिर भी अब तक सफाई की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, पूरा क्षेत्र कचड़े से भरा है, आसपास के घर कचड़े के ढेर पर पड़े हुए हैं। ना तो रेलवे प्रशासन खओ इशकी चिंता है ना ही स्थानीय नगरपालिका की नजर इस पर जा रही है ।मेले में जिस चीज का बैन लगा है उसी का उपयोग ज्यादा हुआ है अर्थात प्लास्टिक का। पूरा क्षेत्र प्लास्टिक के सामानों और प्लास्टिक के थैलियों से भरा पड़ा है जो जानवरों एवं पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह है।
ऐसे में रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत आने के कारण रेलवे सफाई कर्मचारियों को इसका विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए एवं यथाशीघ्र इसकी सफाई करानी चाहिए जो अब तक नहीं हो पाई है। ऐसे में पर्यावरण को एवं स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है आशा है कि इस खबर के बाद वह इस चीजों पर नजर डालें एवं यथाशीघ्र सफाई की व्यवस्था करें।
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