यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 8 जुलाई 2019

वामपंथी चिंतक शमीम फैज़ी को दी श्रद्धांजली


रांची। वाम दलों के कई पीढ़ियों को वैचारिक रूप से प्रशिक्षित करने वाले बहुचर्चित विद्वान और भाकपा के राष्ट्रीय सचिव शमीम फैजी को आज भाकपा राज्य कार्यालय में याद किया गया। उनकी स्मृति में आज पार्टी राज्य सचिव सह हजारीबाग के पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता की अध्यक्षता में शोक सभा आयोजित की गयी।
शोक सभा का प्रारंभ करते हुए श्री मेहता ने कहा कि शमीम फैजी समसामयिक विषयों पर कई पुस्तकों की रचना की और न्यू एज (अंग्रेजी साप्ताहिक) व हयात (उर्दू मासिक) के संपादक थे। उनसे देश के कई प्रख्यात विद्वान उनसे सलाह लिया करते थे। उनका निधन 6 मई को हो गया था।
इस मौके पर सीपीएम के राज्य सचिव गोपी कान्त बख्शी ने कहा कि शमीम फ़ैज़ी जैसे साथियों का जाना आज के समय में देश के लिए बड़ी क्षति है। एसयूसीआई (सी) के सिद्धेश्वर सिंह ने कहा कि वे उस पीढ़ी के व्यक्ति थे, जो मार्क्सवाद और वैज्ञानिक समाजवाद के सपने को भारत में साकार करने में अपना जीवन लगा दिया।
वहीं सीपीआई-माले के भुवनेश्वर केवट ने सुझाव दिया कि उनके याद में मार्क्सवादी साहित्य को लेकर झारखंड में संग्रहालय या पुस्तकालय स्थापित करने की जरूरत है, ताकि नयी पीढ़ी को मार्क्सवाद से जोड़ा जाए।
भाकपा नेता के.डी. सिंह ने कहा कि जब सच्चर कमीशन को लेकर देश में चर्चा चल रही थी, तब वे झारखण्ड आये थे। वे यहां की राजनैतिक-सामाजिक हलचलों पर बराबर नज़र रखते थे। वे एक बेबाक व स्पष्ट वक्ता थे। उन्होंने कहा कि जब देश मे राजनैतिक संकट है, तब ऐसे शख्सियत का जाना, सिर्फ वाम आंदोलन ही नहीं, देश के लिए अपूरणीय क्षति है।
शोक सभा मे सहायक राज्य सचिव महेंद्र पाठक, सुरेश यादव, अजय सिंह, उमेश नज़ीर, इसहाक अंसारी, शिवनारायण सिंह, आज़म खान, राजेन्द्र रविदास, श्यामल चक्रवर्ती, मनोज ठाकुर, फरजाना फारूकी, प्रिया परबीन, लोकेश आनंद, जितेंद्र महली सहित कई लोग उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पंकज त्रिपाठी बने "पीपुल्स एक्टर"

  न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान असुविधा के बावजूद प्रशंसकों के सेल्फी के अनुरोध को स्वीकार किया   मुंबई(अमरनाथ) बॉलीवुड में "पीपुल्स ...