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बुधवार, 17 जुलाई 2019

बुंडू में शिव गुरु महोत्सव का आयोजन


रांची। शिव शिष्य परिवार के द्वारा मंगलवार को बुंडू के देवी कम्प्लेक्स में शिव गुरू महोत्सव आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम का आयोजन महेश्वर शिव के गुरू स्वरूप से एक-एक व्यक्ति का शिष्य के रूप में जुड़ाव हो सके इसी बात को सुनाने और समझाने के निमित्त किया गया था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिव शिष्य परिवार के उपाध्यक्षा श्रीमती बरखा सिन्हा ने कहा कि शिव केवल नाम के नहीं अपितु काम के गुरू हैं। शिव के औढरदानी स्वरूप से धन, धान्य, संतान, सम्पदा आदि प्राप्त करने का व्यापक प्रचलन है, तो उनके गुरू स्वरूप से ज्ञान भी क्यों नहीं प्राप्त किया जाय? किसी संपत्ति या संपदा का उपयोग ज्ञान के अभाव में घातक हो सकता है। श्रीमती बरखा ने कहा कि शिव जगतगुरू हैं अतएव जगत का एक-एक व्यक्ति चाहे वह किसी धर्म, जाति, संप्रदाय, लिंग का हो शिव को अपना गुरू बना सकता है। शिव का शिष्य होने के लिए किसी पारम्परिक औपचारिकता अथवा दीक्षा की आवश्यकता नहीं है। केवल यह विचार कि ‘‘शिव मेरे गुरू हैं’’ शिव की शिष्यता की स्वमेव शुरूआत करता है। इसी विचार का स्थायी होना हमको आपको शिव का शिष्य बनाता है।
उन्होंने आगे कहा कि शिव के शिष्य एवं शिष्याएँ अपने सभी आयोजन ‘‘शिव गुरू हैं और संसार का एक-एक व्यक्ति उनका शिष्य हो सकता है’’, इसी प्रयोजन से करते हैं। ‘‘शिव गुरू हैं’’ यह कथ्य बहुत पुराना है। भारत भूखंड के अधिकांश लोग इस बात को जानते हैं कि भगवान शिव गुरू हैं, आदिगुरू एवं जगतगुरू हैं। हमारे साधुओं, शास्त्रों और मनीषियों द्वारा महेश्वर शिव को आदिगुरू, परमगुरू आदि विभिन्न उपाधियों से विभूषित किया गया है।
सोमेंद्र ने कहा कि अंधविश्वास और अफवाहें सचमुच में एक व्याधि है जिसके निदान के लिए सबों को सजग रहना होगा और समाज में जागरूकता फैलानी होगी। सही गुरू का सानिध्य व्यक्ति को अंधविश्वासों से मुक्त करता है। सोमेंद्र ने बताया कि समाज में फैली कुरीतियों, कुसंस्कारों, अंधविश्वासों, अफवाहों के प्रति स्वच्छ जागरूकता पैदा करना एक-एक व्यक्ति का नैतिक कर्त्तव्य है। शिव का शिष्य होने में मात्र तीन सूत्र ही सहायक है।
पहला सूत्र :- अपने गुरू शिव से मन ही मन यह कहें कि ‘‘हे शिव! आप मेरे गुरू हैं। मैं आपका शिष्य हूँ। मुझ शिष्य पर दया कर दीजिए।’’
दूसरा सूत्र :- सबको सुनाना और समझाना है कि शिव गुरू हैं; ताकि दूसरे लोग भी शिव को अपना गुरू बनायें।
तीसरा सूत्र :- अपने गुरू शिव को मन ही मन प्रणाम करना है। इच्छा हो तो ‘‘नमः शिवाय’’ मंत्र से प्रणाम किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम में सरिता, अनिता, हेमन्त एवमअन्य वक्ताओं ने भी अपने -अपने विचार दिए। इस महोत्सव में लगभग 1200 लोग सामिल हुए। पूरा का पूरा इलाका शिवमय हुआ था। शिव गुरु की व्याप्ति और फैलाव के निमित्त इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगो ने भी हिस्सा लिया। उपस्थित लोगों में महिलाओं की संख्या काफी अधिक थी।
इस आयोजन में संजय जी, राजेश जी, धीरेन ,देव कुमार जी, राजू राय, अनिता ,बेबी, रेणु रीना आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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