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मंगलवार, 3 सितंबर 2019

शिक्षा और सामाजिक विकास के प्रति समर्पित हैं सुनील कुमार


विनय मिश्र

संस्कार युक्त और गुणवत्ता युक्त शिक्षा से समाज सशक्त और समृद्धशाली होता है। शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है। शिक्षित समाज से सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है। ऐसा मानना है पश्चिम सिंहभूम क्षेत्र के चक्रधरपुर स्थित प्रतिष्ठित और ख्यातिप्राप्त शैक्षणिक संस्थान डीपीएस के प्रबंध निदेशक प्रख्यात शिक्षाविद सुनील कुमार का। कोडरमा के झुमरी तिलैया निवासी सुनील शिक्षा का अलख जगाने में जुटे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक विकास की दिशा में उन्होंने सराहनीय पहल की है। जिसकी चहुंओर प्रशंसा की जा रही है। श्री कुमार हजारीबाग में पले-बढ़े। वहीं से मैट्रिक की परीक्षा पास की। उसके बाद स्नातक की डिग्री हासिल किया। उनके पिता सुधीर प्रसाद सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त कर्मी हैं। वहीं उनकी माता चिंता देवी एक कुशल गृहणी हैं। सुनील कुमार को संस्कार युक्त शिक्षा दिलाने में उनके माता-पिता का अहम योगदान रहा है। वह अपना आदर्श अपने माता और पिता को मानते हैं। उनके भाई अनिल कुमार और दीपक कुमार सरकारी सेवा में है। सुनील शुरू से ही शिक्षा के प्रति समर्पित रहे हैं। पढ़ाई- लिखाई में हमेशा अव्वल रहने वाले सुनील कुमार दूसरों को भी शिक्षा के प्रति प्रेरित करते रहे हैं। शिक्षा के प्रति उनके जज्बे और जुनून ने उन्हें शैक्षणिक संस्थान खोलने के लिए प्रेरित किया। जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने चक्रधरपुर में डीपीएस की स्थापना की। उनका मानना है कि शिक्षित समाज स्वस्थ और स्वच्छ राष्ट्र निर्माण में सहायक होता है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर पर गंभीर चिंता जताते हुए वह कहते हैं कि सरकार के शिक्षा विभाग को इस दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता है। सभी सुविधाएं और आधारभूत संरचनाएं रहने के बावजूद सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर संतोषप्रद नहीं है। वहीं दूसरी तरफ गुणवत्ता युक्त शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्कूलों की महत्वपूर्ण सहभागिता रहती है। वह कहते हैं कि शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी जरूरी है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें खेलकूद के प्रति भी सजग रहने की आवश्यकता है। सुनील कुमार गरीब और असहाय बच्चों को शिक्षित करने में हर संभव सहयोग करते हैं। वह सामाजिक बदलाव के पक्षधर हैं। समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ प्रयासरत रहना उनकी खासियत है। वह कहते हैं कि शिक्षा के बिना सामाजिक विकास संभव नहीं है। शिक्षित समाज से ही राष्ट्र के नवनिर्माण का सपना साकार हो सकेगा। 

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