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शनिवार, 15 जून 2019

पूरे देश में चिकित्सा सेवा ठप्प होने की नौबत, त्राहिमाम की स्थिति



दीदी की जिद का खमियाजा मुगतेंगे मरीज


प. बंगाल में डाक्टरों की हड़ताल का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसकी आंच दिल्ली तक पहुंच चुकी है। आंदोलनरत डॉक्टरों के प्रति एकजुटता जताते हुये इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन ने तीन दिन के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ सोमवार 17 जून को हड़ताल का ऐलान किया है। भारत में डॉक्टरों के इस शीर्ष संस्था ने इंटर्न्स और डॉक्टर के खिलाफ हिंसा पर नियंत्रण के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने के साथ कानून का उल्लंघन करने वालों को सात साल की सजा के प्रावधान की मांग की है।

एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने पश्चिम बंगाल सरकार को हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया है। इस समय सीमा में मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। एम्स और सफ़दरजंग अस्पताल के डॉक्टर्स अभी हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं। रेसीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि इन दो अस्पतालों को छोड़कर शेष अस्पतालों में हड़ताल रहेगी। इमरजेंसी वॉर्ड को छोड़कर सभी वॉर्ड में काम नहीं होगा।

कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में हुई घटना के बाद से अब तक राज्य के करीब 700 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है।इसमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 107, एसएसकेएम के 175, नेशनल मेडिकल कॉलेज के 100, चितरंजन मेडिकल कॉलेज के 16, सागर दत्ता अस्पताल के 18 और स्कूल ऑफ ट्रापिकल मेडिसिन के 33 डॉक्टर शामिल हैं.

आईएमए ने यह भी कहा कि शुक्रवार से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा। इसमें डॉक्टर काले रंग के बिल्ले लगायेंगे, धरना देंगे और शांति मार्च निकालेंगे। आईएमए के महासचिव आरवी असोकन ने कहा कि आईएमए एनआरएस मेडिकल कॉलेज में हिंसक भीड़ का शिकार बने डॉ. परिबाहा मुखर्जी के प्रति हुई हिंसा की निंदा करता है।
आइएमए ने सोमवार को सभी चिकित्सा सेवा संस्थानों में गैर आवश्यक सेवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर ठप्प करने का आह्वान किया। सुबह छह बजे से ओपीडी सेवाएं बंद कर दी जायेंगी और इस दौरान आपातकालीन सेवाएं काम करती रहेंगी।

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