सीएम रघुवर दास ने कहा-
★ 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने का कार्य पूरा करें
★ जल संचयन पर जोर रहे
रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने का कार्य पूरा करें। 6,676 जनजाति बहुल टोलों में पाइप लाइन से पेय जल कार्य प्रगति पर है। 75% जनजातीय टोलों में 15 अक्टूबर तक कार्य पूरा करें। नदियों पर वीयर योजना के तहत 6 से 10 फीट के बांध बनाकर वर्षा के जल को रोकने की योजना बनाएं। मुख्यमंत्री ने झारखण्ड मंत्रालय में पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन विभाग की समीक्षा करते हुए यह निदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 में झारखंड में पेयजल एक चुनौती थी। अलग राज्य बनने के बाद 14 सालों में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई थी। 2015 के शुरू में महज 12% आबादी तक पेयजल की सुविधा थी जो साढ़े 4 साल में बढ़कर कर 34.77% हो गई.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015 से पहले किसी आदिम जनजाति टोलों के लिए पेयजल कार्यक्रम नहीं था. 2015 के बाद योजनाएं बनीं और काम शुरू हुआ। 2,251 आदिम जनजातीय दोनों में पेयजल पहुंचाने का कार्य शुरू हुआ है.162 टोलों में कार्य पूरा हो गया है तथा 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइप लाइन से जल जाए यह सुनिश्चित करें।
इसी तरह राज्य गठन के 14 साल बाद पहली बार मुख्यमंत्री जन जल योजना के तहत आदिवासी बहुल 11,124 टोलों के लिए पेयजल का अभियान शुरू हुआ है. इनमें 6676 टोलों में कार्य शुरू हो गया है. 15 अक्टूबर तक 75 % लगभग 5000 से अधिक टोलों में पाइप लाइन से पेयजल पहुंच जाए यह सुनिश्चित करें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गैर जनजातीय आबादी के 28469 गांव में पाइप लाइन से जल पहुंचाने का कार्य डीएमएफटी, 14वें वित्त आयोग के फंड, आकांक्षी जिलों के लिए प्राप्त आवंटन, विधायक निधि से कार्य हो रहा है. इसकी लगातार मोनिटरिंग होनी चाहिए।
पिछले साढे 4 वर्षों में बढ़ कर शत-प्रतिशत घरों में शौचालय उपलब्ध
बैठक में स्पष्ट हुआ कि 2 अक्टूबर 2014 को 16.25% घरों में टॉयलेट था जो उस समय के राष्ट्रीय औसत 38.7% से पीछे था और आज झारखंड आज शत-प्रतिशत हो गया है, जो राष्ट्रीय औसत 99.26% से अधिक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी घर परिवार छूटे हुए पाए जाते हैं अथवा पुराने स्लिप शौचालय हैं उन सब को तत्काल पूरा करें.
6 से 10 फीट के बांध बनाकर वर्षा के जल को रोेकें
जल संसाधन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों पर वीयर योजना के तहत 6 से 10 फीट के बांध बनाकर वर्षा के जल को रोकने की योजना बनाएं इससे भूगर्भ जल स्तर भी बढ़ेगा तथा पेयजल और सिंचाई भी संभव हो सकेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015-16 में लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 6 चेक डैम की योजनाएं पूर्ण थी, जिससे केवल 290 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी लेकिन 2019 तक लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 1300 चेक डैम का निर्माण हुआ जिससे 70,067 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु सिंचाई प्रक्षेत्र क्षेत्र में 2015- 16 में 239 मध्यम सिंचाई योजना लागू थी, जो 2016 से 2018-19 तक 571 मध्यम सिंचाई योजनाएं लागू हुई, जिससे सिंचाई क्षमता बढ़कर 30,700 हेक्टेयर भूमि हो गई.
बैठक में पेयजल स्वच्छता एवं जल संसाधन विभाग के मंत्री रामचंद्र सहिस, मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी, अपर मुख्य सचिव सह जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉक्टर सुनील कुमार वर्णवाल, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव आराधना पटनायक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
★ 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने का कार्य पूरा करें
★ जल संचयन पर जोर रहे
रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने का कार्य पूरा करें। 6,676 जनजाति बहुल टोलों में पाइप लाइन से पेय जल कार्य प्रगति पर है। 75% जनजातीय टोलों में 15 अक्टूबर तक कार्य पूरा करें। नदियों पर वीयर योजना के तहत 6 से 10 फीट के बांध बनाकर वर्षा के जल को रोकने की योजना बनाएं। मुख्यमंत्री ने झारखण्ड मंत्रालय में पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन विभाग की समीक्षा करते हुए यह निदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 में झारखंड में पेयजल एक चुनौती थी। अलग राज्य बनने के बाद 14 सालों में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई थी। 2015 के शुरू में महज 12% आबादी तक पेयजल की सुविधा थी जो साढ़े 4 साल में बढ़कर कर 34.77% हो गई.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015 से पहले किसी आदिम जनजाति टोलों के लिए पेयजल कार्यक्रम नहीं था. 2015 के बाद योजनाएं बनीं और काम शुरू हुआ। 2,251 आदिम जनजातीय दोनों में पेयजल पहुंचाने का कार्य शुरू हुआ है.162 टोलों में कार्य पूरा हो गया है तथा 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइप लाइन से जल जाए यह सुनिश्चित करें।
इसी तरह राज्य गठन के 14 साल बाद पहली बार मुख्यमंत्री जन जल योजना के तहत आदिवासी बहुल 11,124 टोलों के लिए पेयजल का अभियान शुरू हुआ है. इनमें 6676 टोलों में कार्य शुरू हो गया है. 15 अक्टूबर तक 75 % लगभग 5000 से अधिक टोलों में पाइप लाइन से पेयजल पहुंच जाए यह सुनिश्चित करें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गैर जनजातीय आबादी के 28469 गांव में पाइप लाइन से जल पहुंचाने का कार्य डीएमएफटी, 14वें वित्त आयोग के फंड, आकांक्षी जिलों के लिए प्राप्त आवंटन, विधायक निधि से कार्य हो रहा है. इसकी लगातार मोनिटरिंग होनी चाहिए।
पिछले साढे 4 वर्षों में बढ़ कर शत-प्रतिशत घरों में शौचालय उपलब्ध
बैठक में स्पष्ट हुआ कि 2 अक्टूबर 2014 को 16.25% घरों में टॉयलेट था जो उस समय के राष्ट्रीय औसत 38.7% से पीछे था और आज झारखंड आज शत-प्रतिशत हो गया है, जो राष्ट्रीय औसत 99.26% से अधिक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी घर परिवार छूटे हुए पाए जाते हैं अथवा पुराने स्लिप शौचालय हैं उन सब को तत्काल पूरा करें.
6 से 10 फीट के बांध बनाकर वर्षा के जल को रोेकें
जल संसाधन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों पर वीयर योजना के तहत 6 से 10 फीट के बांध बनाकर वर्षा के जल को रोकने की योजना बनाएं इससे भूगर्भ जल स्तर भी बढ़ेगा तथा पेयजल और सिंचाई भी संभव हो सकेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015-16 में लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 6 चेक डैम की योजनाएं पूर्ण थी, जिससे केवल 290 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी लेकिन 2019 तक लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 1300 चेक डैम का निर्माण हुआ जिससे 70,067 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु सिंचाई प्रक्षेत्र क्षेत्र में 2015- 16 में 239 मध्यम सिंचाई योजना लागू थी, जो 2016 से 2018-19 तक 571 मध्यम सिंचाई योजनाएं लागू हुई, जिससे सिंचाई क्षमता बढ़कर 30,700 हेक्टेयर भूमि हो गई.
बैठक में पेयजल स्वच्छता एवं जल संसाधन विभाग के मंत्री रामचंद्र सहिस, मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी, अपर मुख्य सचिव सह जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉक्टर सुनील कुमार वर्णवाल, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव आराधना पटनायक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
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