यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 12 जून 2019

तारों में करंट नहीं दौड़ा, मगर बिल पहुंचते रहे




देवेंद्र गौतम
केंद्र और राज्य सरकारें गांव-गांव, घर-घर बिजली पहुंचाने का दावा करती रही हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाएं इस दिशा में कार्यरत हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि बहुत से ग्रामीण इलाके सिर्फ कागज पर विद्युतीकृत हुए हैं। कई गांव, कई कस्बे ऐसे हैं जहां बिजली के खंभे पहुंचे, तार भी खींचे गए लेकिन बिजली का करंट नहीं दौड़ा। कमाल तो यह है कि बिजली आपूर्ति किए बगैर बिल भी वसूले जा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों के पास शिकायतें पहुंचती हैं लेकिन वे अनसुनी कर देते हैं। दरअसल विद्युतीकरण एक राजनीतिक मुहिम है और आपूर्ति पूरी तरह तकनीकी मामला। इसका सीधा संबंध उत्पादन और वितरण से है। बिजली का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश नहीं की गई और विद्युतीकरण का अभियान चलाया जाता रहा। मोदी सरकार और भाजपा नीत एनडीए सरकारें विद्युतीकरण के बड़े-बड़े आंकड़े पेश कर अपनी पीठ आप थपथपाती रहीं। एक तरफ उपभोक्ताओं को कई-कई घंटे लोडशेडिंग का दंश झेलना पड़ रहा है और दूसरी तरफ पूर्ण विद्युतीकरण की मुहिम के तहत बिजली की मांग बढ़ाई जा रही है। यह सोचे बिना कि उत्पादन बढ़ाए बिना बिजली कहां से दी जाएगी।
दैनिक जनसत्ता ने विद्युतीकरण से संबंधित एक दिलचस्प रिपोर्ट प्रकाशित की है। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के भीकनपुर गांव में 9 साल पहले ही बिजली के खंभे और तार पहुंच चुके हैं। विद्युतीकरण का काम पूरा हो चुका है। लेकिन आज तक बिजली नहीं आई। गांव का एक घर भी रौशन नहीं हो सका। लेकिन ग्रामीणों को कनेक्शन और मीटर के किराए का बिल नियमित रूप से थमाया और वसूला जा रहा है। ग्रामीण अधिकारियों के समक्ष लिखित और मौखिक शिकायत करते रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। अभियंताओं को पता ही नहीं कि वहां बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है। सरकार मौन है। न अखिलेश सरकार ने इस गांव की सुधि ली न योगी सरकार ने। भीकमपुर तो एक उदाहरण है। देश में ऐसे कितने ही गांव हैं जो सरकारी योजनाओं की बाजीगरी का दंश झेल रहे हैं। राजधानियों को छोड़ दें तो दूर-दराज के इलाकों की हालत बद से बदतर है। लेकिन चिंता किसे है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...