देवेंद्र गौतम
दुनिया भर के मुस्लिम अब पवित्र हज़यात्रा के बहिष्कार का आह्वान कर
रहे हैं। ट्विटर पर बाजाप्ता इसका अभियान चल रहा है। उनका कहना है कि सऊदी अरब के
प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान हज़ यात्रा को को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना चाहते
हैं। यात्रियों को सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं लेकिन वे इससे होने वाली भारी-भरकम आय
का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं। मक्का मदीना के नाम पर अरब
के प्रिंस पूरे इस्लामी समाज का संरक्षक मानते हैं। इस अघोषित ओहदे को बनाए रखने
के लिए वे मस्जिदों के निर्माण और रखरखाव के नाम पर धन प्रदान करते हैं लेकिन वे
मुख्य रूप से आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।
पिछले वर्ष अप्रैल माह में लीबिया के प्रख्यात सुन्नी मौलवी ग्रैंड
मुफ्ती सादिक अली धरीआनी ने दुबारा हज यात्रा को पाप बताते हुए बहिष्कार का आह्वान
किया था। लेकिन अब उन्होंने अपनी अपील का खुलासा करते हुए कहा है कि हज से अरब की
अर्थ व्यवस्था को जो मजबूती मिल रही है उसका इस्तेमाल दहशतगर्दी के लिए किया जा
रहा है। उससे हथियारों की खरीद की जा रही है और उन्हें आतंकी संगठनों को आपूर्ति
की जा रही है। उन हथियारो का शिकार खाड़ी देशों के मुस्लिम समाज के लोग ही हो रहे
हैं। लीबिया के मौलवी के अलावा सऊदी अरब के युसूफ अल काराडावी ने बाजाप्ता फतवा
जारी कर हज के बहिष्कार का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि इससे बेहतर है कि
भूखो को भोजन कराएं, बेसहारों को सहारा दें।
एक आंकड़े के मुताबिक हर वर्ष 23 लाख से अधिक लोग हजयात्रा करते हैं।
उनसे सऊदी अरब के खरबों की आमदनी होती है। अरब के प्रिंस इसे ज्यादा से ज्यादा
बढ़ावा देने चाहते हैं। हज के बहिष्कार के आह्वान को दबाने के लिए वे किसी स्तर पर
उतर सकते हैं। लेकिन फिलहाल यह एक वैश्विक मुहिम का रूप धारण कर चुका है। आने वाले
समय में यह क्या रंग लाएगा, कहना कठिन है।
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