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रविवार, 2 जून 2019

प़ॉलिसी धारक को क्लेम देने से इनकार कर रही फ्यूचर जेनरली इंश्योरेंस कंपनी

रांची। सरकार सबकुछ निजी क्षेत्र के हवाले करती जा रही है। लेकिन इस सेक्टर की कंपनियों की क्या हालत है इसका नमूना इंश्योरेंस सेक्टर में देखने को मिल रहा है। निजी क्षेत्र की बीमा कंपनी फ्यूचर जेनेरली इंश्योरेंस वाहन दुर्घटना बीमा के दावे का भुगतान करने से इंकार कर रही है। यह आरोप राजधानी के हरमू निवासी व्यवसायी उपेन्द्र कुमार ने लगाया है। श्री कुमार ने बताया कि उन्होंने राजधानी के बजरा स्थित जयश्री साह ऑटो से  एक बोलेरो पिक अप वैन खरीदी थी। जिसका निबंधन संख्या जेएच 01डीसी-0980 है। इस वाहन का बीमा भी उक्त ऑटोमोबाइल कंपनी द्वारा ही कराया गया। बीमा की रसीद उन्हें दे दी गई। वाहन का बीमा पॉलिसी संख्या वी-5810540 है।  उपेन्द्र कुमार के मुताबिक उक्त वाहन बोकारो के उखीद मोड़ में 4 अप्रैल 2019 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पिक अप वैन को एक अन्य वाहन ने पीछे से धक्का मार दिया। जिससे वाहन को आंशिक रूप से क्षति हुई और पीछे का दो टायर अकस्मात फटकर  बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इस संबंध में फ्यूचर जेनेरली इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करते हुए दावा किया गया। उनके मुताबिक बीमा कंपनी के अधिकारी ने बिना स्पाॅट वेरिफिकेशन किए बताया कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन के  टायर के क्षतिग्रस्त होने से टायर का क्लेम कंपनी नहीं देती है। उपेन्द्र कुमार ने इस संबंध में अन्य बीमा कंपनियों से संपर्क कर जानकारी प्राप्त किया। अन्य बीमा कंपनियों की ओर से उन्हें बताया गया कि दुर्घटना में क्षतिग्रस्त टायर का क्लेम भी मिलता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में फ्यूचर जेनेरली इंश्योरेंस कंपनी की ओर से एक पत्र भेजकर बताया गया कि दुर्घटनाग्रस्त टायर की क्षतिपूर्ति कंपनी नहीं करेगी। वहीं ,उल्टे उन्ही पर क्लेम की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनके दावे को ख़ारिज कर दिया गया। उपेन्द्र ने कहा कि बीमा कंपनी के अधिकारी से उन्होंंने स्पाॅट वेरिफिकेशन के लिए मोबाइल फोन के जरिए आग्रह किया तो इससे इंकार कर दिया गया। इस वार्ता को उन्होंने अपने मोबाइल में प्रमाणस्वरूप टेप कर रखा है। उन्होंने वाहन आपूर्तिकर्ता आॅटोमोबाइल कंपनी जयश्री साह आॅटो के संचालक पर भी ग्राहकों को सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। कहा कि निजी क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनी से सांठ-गांठ कर अधिक कमीशन के चक्कर में ऑटोमोबाइल एजेंसी वाले ग्राहकों के हितों की परवाह नहीं करते।

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