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शनिवार, 16 जून 2018

उत्सवधर्मिता पर मंडराते काले साए





पाकिस्तान के मशहूर शायर जफर इकबाल का एक शेर है-

तुझको मेरी न तुझे मेरी खबर जाएगी.
ईद अबके भी दबे पांव गुजर जाएगी.

गूगल से साभार
जफर इकबाल ने यह शेर महंगाई के कारण उत्सवधर्मिता पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव पर इशारा करते हुए कहा था जो ईद ही नहीं सभी समुदायों के पर्व त्योहारों पर लागू होता है। लेकिन भारत में सामाजिक तत्वों की एक जमात ऐसी है जो किसी भी पर्व-त्योहार को दबे पांव नहीं गुजरने देती। हर मौके पर वैमनस्य बढ़ाने और तनाव का माहौल बनाने की कोशिश करती है। यह जमात तकरीबन सभी समुदायों में मौजूद है। इसका एकमात्र लक्ष्य सौहार्द को बिगाड़ना रहता है। इनके कारण कोई पर्व शांति से दबे पांव नहीं गुजर पाता। ऐसे ही तत्वों के कारण आज रांची में ईद का त्योहार निषेधाज्ञा के अंतर्गत मनाना पड़ रहा है।
    
गूगल से साभार
असामाजिक तत्वों ने ईद के कई दिन पहले से शहर के कई इलाकों में सांप्रदायिक टकराव की कोशिश की। कुछ जगहों पर पत्थरबाजी की घटना भी हुई। लेकिन प्रशासन की सतर्कता के कारण तुरंत स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया। असामाजिक तत्व अपने कुत्सित इरादों में सफल नहीं हो सके। लेकिन खुशियों के इस त्योहार में भय और आशंकाओं का माहौल तो बना ही दिया। त्योहार के उमंगों में खलल तो डाल ही दिया। त्योहार के दिन चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती करनी पड़ी। सतर्कता बढ़ानी पड़ी। अब सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी पड़ी। ईद के दिन लोग एक दूसरे को बधाइयां देने, सेवियां खाने आराम से जा सकते हैं।
     माहौल को नियंत्रण में रखने के लिए झारखंड पुलिस-प्रशासन की सतर्कता की सराहना की जानी चाहिए। लेकिन अफवाहें फैलाने वाले और सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वाले लोगों की पहचान जरूरी है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इंसान के लिए पहला और सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है। इसके बाद ही दूसरी धार्मक आस्थाएं हैं। इस बात को जबतक लोगो नहीं समझेंगे तबतक किसी सभ्य समाज के आदर्श नागरिक नहीं बन सकते।

-देवेंद्र गौतम

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