देवेंद्र गौतम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्र में कई विभागों के मंत्री रह चुके
सुबोधकांत सहाय जन समस्याओं के समाधान के प्रति समर्पित ज़मीन के नेता हैं।
रांचीवासी अपनी किसी भी परेशानी को रखने के लिए धुर्वा सेक्टर-3 में ई-39 स्थित
उनके आवास पर दस्तक देते हैं और हमेशा उन्हें अपने साथ खड़ा पाते हैं। चाहे
फ्लाइओवर निर्माण से विस्थापित होने वाले रैयत हों या जनवितरण प्रणाली के राशन पर
निर्भर करने वाले गरीब तबके के लोग। रविवार को भाजयुमो की रैली को लेकर मेन रोड
में हुए टकराव के बाद उनसे लंबी बातचीत हुई। बातचीत के प्रमुख अंश...
सवालः मेन रोड पर आधे घंटे तक जो हुड़दंग हुआ उसे किस रूप में देखते
हैं।
जवाबः यह वोटों के ध्रुवीकरण के लिए सांप्रदायिक दंगा कराने का प्रयास
था। भाजपा के चुनावी अभियान का एक हिस्सा। मोटरसाइकिल रैली मोदी के चार वर्ष की
उपलब्धियों का बखान करने के लिए निकाली गई थी और मुसलिम बहुल इलाके में भड़काऊ
नारे लगाए जा रहे थे। उन्होंने आपत्ति व्यक्त की तो मारपीट पर उतर आए। यह
सांप्रदायिक दंगा कराने की कोशिश थी जो विफल हो गई। मोदी सरकार के पास चुनाव में
जाने के लिए कुछ है नहीं। चार वर्ष की उपलब्धि सिर्फ सांप्रदायिक माहौल तैयार करने
की कोशिश रही है। अभी देखिए 2019 तक क्या-क्या होता है। कैराना की हार से भी
इनलोगों ने कुछ नहीं सीखा।
सवालः कांग्रेस की तैयारी कैसी चल रही है।
जवाबः कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने में लगी है। कर्नाटक चुनाव और
उसके बाद लोकसभा की चार तथा विधानसभा की 10 सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम बताते
हैं कि प्रयास सही दिशा में चल रहा है। देशवासी शाह और मोदी की नौटंकी को ज्यादा
समय बर्दाश्त नहीं करने वाले। 2019 में उनके बड़बोलेपन का जवाब मिल जाएगा।
सवालः रघुवर दास सरकार के बारे में आपका क्या कहना है।
जवाबः वे शाह और मोदी के लिलिपुटिया संस्करण हैं। डींगे हांकने के
अलावा कोई काम नहीं करते।
सवालः रांची में बिजली और पानी का संकट गहरा रहा है। आप इस समस्या के
निदान के लिए आवाज उटाते रहे हैं। लेकिन समाधान नहीं निकल पा रहा।
जवाबः सभी लोग जानते हैं कि गर्मी के मौसम में बिजली का खपत बढ़ जाती
है। बिजली नहीं होने से पानी की आपूर्ति बाधित होती है। फिर तयशुदा समस्या के
समाधान के लिए क्या तैयारी की गई। रांची पहाड़ी इलाका है। यहां आंधी-पानी का
प्रकोप होता रहता है। पेड़ गिरते रहते हैं। मौसम बिगड़ता है और बिजली काट देनी
पड़ती है। यहां के भूगोल और मौसम को देखते हुए अंडरग्राउंड वायरिंग की जानी चाहिए।
लेकिन सरकार को इसकी चिंता नहीं है। अभी जितने उपभोक्ता हैं उनको बिजली की नियमित
आपूर्ति नही हो पा रही है और गांव-गांव बिजली पहुंचाने की बात हो रही है।
विद्युतीकरण होनी चाहिए लेकिन उत्पादन बढ़ाने पर पहले जोर देना चाहिए। ऐसा नहीं हो
रहा है।
सवालः रघुवर सरकार का दावा है कि नक्सलियों का सफाया हो चुका है।
समस्या समाधान के करीब है।
जवाबः रोज लेवी के लिए वाहन फूंके जा रहे हैं। धमकियां दी जा रही हैं।
अपहरण, फिरौती और हत्याएं हो रही हैं। पुलिस बल के साथ मुठभेड़ हो रही है। और
सरकार कह रही है नक्सली आंदोलन समाप्त हो गया है। चारों तरफ भय और तंक का माहौल
बनाने वाले नक्सली नहीं तो कौन हैं...।
सवालः निवेश की गति तो बढ़ी है।
जवाबः राज्य के गठन के बाद अबतक लाखों करोड़ के एमओयू हो चुके हैं।
रघुवर सरकार ने भी मोमेंटम झारखंड का आयोजन कर बहुत सारे एमओयू किए। निवेश और
रोजगार के सब्जबाग दिखाए। धरातल पर कहीं कुछ दिख रहा है क्या। सब राजनीतिक
स्टंटबाजी है और कुछ नहीं।
सवालः 2019 में क्या होगा।
जवाबः विपक्षी गठबंधन को जनता का आशीर्वाद मिलेगा। मोदी एंड कंपनी की
दुकान हमेशा के लिए बंद हो जाएगी। झारखंड में भी भाजपा हाशिए में चली जाएगी। बस
देखते जाइए।
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