बेरमो।
इंटक नेता विकास कुमार सिंह ने श्रमिक संगठन के दो शीर्ष नेता राजेंद्र प्रसाद
सिंह और चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे के बीच वर्षों से चली आ रही तनातनी की
समाप्ति को समय की मांग और स्वागतयोग्य बताया है। श्री सिंह ने पंडित जवाहरलाल
नेहरू का हवाला देते हुए कहा कि नेहरू जी कहते थे..अगर हमलोग एक साथ खड़े नही हुये
तो एक साथ मिट जायेँगे। अतः .देर से ही सही इंटक के दो केन्द्रों के ऐतिहासिक
परिप्रेक्ष्य में समय की जरूरत को ध्यान मे रखते हुये एक साथ खड़े होने का निर्णय
लेकर तमाम मेहनतकश मजदूरो एवं राष्ट्रहित मे चिंतित आमजनो के लीए आशाएक नई ज्योति
जलाई है ..
आपसी विवाद के कारण वेतन समझौतो से इंटक
को अलग कर दिया गया था। इसका लाभ उटाते हुए प्रबंधन ने मजदूरों की पूर्व मे जारी बहुत
सारी सुविधाओ को समाप्त कर दिया था या उसमें कटौती कर दी थी। इसमें मृत या सैद्धांतिक रूप से वीमार मजदूरो के आश्रितों के नियोजन
पर रोक लगाना सबसे गंभीर मसला है। साथ ही केप्टिव खदानों के मालिको को
खुले बाजार मे कोयला बेचने की अनुमति देकर कोयला उद्योग के निजीकरण का मार्ग
प्रशस्त करना। इंटक की मौजूदगी में इस तरह के निर्णय कदापि नहीं लिए जाते।
पूर्व मे जारी सारी सुविधाओ का जनक इंटक ही
रहा है आज भी लगभग सभी मजदूरों की आस्था , विश्वास
और ऊम्मीद इंटक से ही है इसलिए इस ऐतिहासिक जरूरत के मद्देनजर इन नेताओ का खुले दिल से एक साथ एक मँच पर आना स्वागत योग्य
कदम है।
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