रांची। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि विस्थापन के सवाल पर केंद्र व झारखंड सरकार संवेदनहीन है। सरकारी परियोजनाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों को उनका वाजिब हक नहीं दिया जा रहा है। श्री सहाय रविवार को राजधानी के पुरुलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में आयोजित विस्थापन पर संवाद कार्यक्रम में बतौर वक्ता बोल रहे थे। इसका आयोजन अखिल भारतीय किसान सभा की राष्ट्रीय परिषद द्वारा किया गया था। श्री सहाय ने अपने वक्तव्य में कहा कि विस्थापित अपने हक के लिए वर्षों से लड़ रहे हैं। विस्थापितों की जमीन अधिग्रहित की गई, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा और संविधान सम्मत अधिकारों के तहत देय सुविधाएं नहीं मिली। वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार इस दिशा में पूरी तरह संवेदनहीन है। विस्थापितों के हक के प्रति उदासीन है। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में विस्थापन जैसे महत्वपूर्ण विषय को कामन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चुनावी घोषणा पत्र में लाएंगे। उन्होंने राज्य व केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विस्थापन का मुद्दा सुलझाने का प्रयास नहीं कर रही है। कहा कि यदि विकास के लिए विस्थापन जरूरी है तो सरकार क्यों नहीं विस्थापितों के हित के लिए वर्ष 2013 में बनाए गए कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाती है। उन्होंने कहा कि विस्थापितों की समस्या का समाधान जल्द हो, इसके लिए सभी दलों को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है। इस अवसर पर अतुल कुमार अंजान सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये। संवाद कार्यक्रम में काफी संख्या में विस्थापन आंदोलन से जुड़े लोग और विस्थापित मौजूद थे।
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रविवार, 24 जून 2018
विस्थापन के मुद्दे पर सरकार संवेदनहीन : सुबोधकांत सहाय
रांची। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि विस्थापन के सवाल पर केंद्र व झारखंड सरकार संवेदनहीन है। सरकारी परियोजनाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों को उनका वाजिब हक नहीं दिया जा रहा है। श्री सहाय रविवार को राजधानी के पुरुलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में आयोजित विस्थापन पर संवाद कार्यक्रम में बतौर वक्ता बोल रहे थे। इसका आयोजन अखिल भारतीय किसान सभा की राष्ट्रीय परिषद द्वारा किया गया था। श्री सहाय ने अपने वक्तव्य में कहा कि विस्थापित अपने हक के लिए वर्षों से लड़ रहे हैं। विस्थापितों की जमीन अधिग्रहित की गई, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा और संविधान सम्मत अधिकारों के तहत देय सुविधाएं नहीं मिली। वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार इस दिशा में पूरी तरह संवेदनहीन है। विस्थापितों के हक के प्रति उदासीन है। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में विस्थापन जैसे महत्वपूर्ण विषय को कामन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चुनावी घोषणा पत्र में लाएंगे। उन्होंने राज्य व केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विस्थापन का मुद्दा सुलझाने का प्रयास नहीं कर रही है। कहा कि यदि विकास के लिए विस्थापन जरूरी है तो सरकार क्यों नहीं विस्थापितों के हित के लिए वर्ष 2013 में बनाए गए कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाती है। उन्होंने कहा कि विस्थापितों की समस्या का समाधान जल्द हो, इसके लिए सभी दलों को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है। इस अवसर पर अतुल कुमार अंजान सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये। संवाद कार्यक्रम में काफी संख्या में विस्थापन आंदोलन से जुड़े लोग और विस्थापित मौजूद थे।
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