पत्थलगड़ी समर्थकों ने फिर दी कानून व्यवस्था को चुनौती
रांची। खूंटी
में उग्रवादियों की अराजक कार्रवाइयां बदस्तूर जारी हैं। पांच आदिवासी रंगकर्मी महिलाओं
के साथ गैंगरेप की घटना के बाद आज मंगलवार को सांसद कड़िया मुंडा के तीन
अंगरक्षकों को अगवा कर अपने साथ ले गए और उन्हें बंधक बनाकर सरकार पर बात करने के
लिए दबाव डालने लगे। वे खूंटी के कुछ गांवों मे पत्थलगड़ी कर रहे थे कि पुलिस
पहुंच गई और उन्हें रोकने की कोशिश की। इसपर उन्होंने पुलिस पर हमला बोल दिया।
पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज कर दिया। इस झड़प में दोनों तरफ
कुछ लोग घायल हुए। पत्थलगड़ी समर्थक इसके विरोध में सांसद कड़िया मुंडा के आवास पर
गए और उनके तीन अंगरक्षकों को उनकी राइफलों समेत अपने साथ बंधक बनाकर ले गए।
उन्होंने बंधकों की रिहाई के लिए सरकार से वार्ता की शर्त रखी है। वे पहले भी कई
बार पुलिस जवानों को बंधक बना चुके हैं और अपनी शर्तों पर रिहा किया है। झारखंड
सरकार का प्रशासनिक अमला उनके प्रभाव क्षेत्रों में जाने का साहस नहीं करता। पुलिस
की सक्रियता हाइवे के आसपास तक ही सीमित रहती है। पूरा सरकारी तंत्र उनकी अराजकता
के सामने बेबस नज़र आता रहा है। कारण भौगोलिक भी है। यह इलाके सड़क मार्ग से दूर
घने जंगलों में स्थित हैं। इसी कारण खूंटी गॆगरेप की जांच के लिए पुलिस घटनास्थल
तक जाने से परहेज़ करती रही। वहां भारतीय संविधान और इंडियन पेनल कोड नहीं बल्कि पीएलएफआई,
पत्थलगड़ी समर्थकों और मिशनरियों का कानून चलता है। झारखंड सरकार को उन इलाकों से
जबर्दस्त चुनौती मिल रही है। वहां कानून का राज स्थापित करना जीवट का काम है।
जारखंड पुलिस के पास इच्छाशक्ति का अभाव दिखता है। रघुवर दास सरकार इस मसले को
कैसे हल करती है यही देखना है।
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