देवेंद्र गौतम
रांची।
रमजान का महीना अपने समापन की ओर पहुंच रहा है। ईद का त्योहार करीब है और ऐसे
में रांची की शांति व्यवस्था को भंग करने की सुनियोजित साजिश चल रही है। पुलिस और
प्रशासन की सतर्कता के कारण षडयंत्रकारियों के मंसूबे पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
लेकिन तनाव बना हुआ है। इसे गहराने और भड़काने की कोसिश हो रही है। लेकिन यह साजिश
कहां किसी संस्था की ओर से रची जा रही है, पता नहीं चल पा रहा है। रविवार 10 जून
को भाजयुमो की मोटरसाइकिल रैली में शामिल कुछ लोगों ने अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में
भड़काऊ नारे लगाकर टकराव की कोशिश की। रांची मेन रोड से लेकर शहर के की इलाकों में
माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया। मेन रोड पर दोनों ओर से पत्थरबाजी हुई जिसमें
तीन पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए। सुरक्षा बलों ने आधे घंटे के अंदर
स्थिति पर काबू पा लिया।
रविवार
की ही रात को शहर के दलादिली चौक पर दो मौलानाओं पर कुछ असामाजिक तत्वों ने जानलेवा
हमला कर दिया। वे अस्पताल में इलाजरत हैं। पुलिस ने हमलावरों को अगले ही दिन
गिरप्तार कर लिया। इस घटना के दो दिन बाद मंगलवार को नगड़ी में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश की
गई। सुरक्षा बलों ने इसे भी नियत्रित कर लिया।
सीधे
तौर पर देखा जाए तो इसे भाजपा समर्थित संगठनों की 2019 के चुनाव की तैयारी का
हिस्सा कहा जा सकता है। निश्चित रूप से सांप्रदायिक हिंसा भड़कने से ध्रुवीकरण की
प्रक्रिया तेज होगी और इसका चुनावी लाभ भाजपा को मिलेगा। भाजपा के लिए इस तरह के
हथकंडे अपनाना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन रांची में आतंकी संगठनों से जुड़े लोग भी
चिन्हित किए गए हैं। हिरासत में लिए गए हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकी देश को अशांत
करने को कोई मौका चूकते नहीं। संभव है कोई आतंकी संगठन सांप्रदायिक सद्भाव को
बिगाड़ने के लिए भाजपा के कंधे पर बंदूक चला रहा हो। खुफिया संस्थाओं को इस मामले
की जांच करनी चाहिए और राज्य सरकार को षडयंत्रकारियों की नकेल कसनी चाहिए। पुलिस
प्रसासन के लोग जिस सतर्कता के साथ स्थिति को नियंत्रित कर रहे है इसके लिए उनकी
सराहना की जानी चाहिए। झारखंड में भाजपा की सरकार है। लेकिन सरकार चुनावी लाभ के
लिए आंख मूंदने की जगह शांति व्यवस्था को बनाए रखने को प्राथमिकता दे रही है।
सुरक्षा बलों को काम करने की पूरी स्वतंत्रता दी जा रही है। रघुवर सरकार इसके लिए बधाई
की पात्र है।
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