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सोमवार, 17 जून 2019

दिव्यांग भाई-बहन ने संगीत की दुनिया में लहराया परचम


रांची। दिल में कुछ बेहतर करने का जज्बा और जुनून हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी इंसान सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में कामयाब हो जाता है। मुश्किल हालात में भी मंजिल हासिल करने में सफलता मिल जाती है। इसे सच साबित कर दिखाया है झारखंड के धनबाद जिलांतर्गत भूली निवासी सगे भाई - बहन सौरभ सुमन व बरखा राय ने। सौरभ और बरखा झारखंड सरकार के राजस्व व भूमि सुधार मंत्री अमर कुमार बाउरी के ओएसडी व विभागीय संयुक्त सचिव अवध नारायण प्रसाद की संतान हैं। बचपन से ही दिव्यांगता की शिकार दोनों भाई - बहन का  पढ़ाई के अलावा गीत- संगीत के प्रति भी लगाव बना रहा। सौरभ सुमन वाणिज्य स्नातक व चार्टर्ड अकाउंटेंट की सीपीटी परीक्षा पास हैं। वहीं बरखा बीएससी (जूलाॅजी आॅनर्स) है। पढ़ाई में  हमेशा अव्वल रहने वाले दोनों भाई बहन पर संगीत का जादू सिर चढ़कर बोलता है। बचपन से ही दिव्यांगता (पोलियो) की शिकार दोनों भाई बहन  ने कभी हिम्मत नहीं हारी।  पढ़ाई के अलावा संगीत के प्रति रूझान बढ़ा। संगीत की दुनिया में  दोनों की मखमली आवाज का जादू ऐसा चला कि उसकी गूंज मुंबई के गलियारों तक पहुंच गई। अपनी सुरीली गायन क्षमता का प्रदर्शन कर दोनो भाई- बहन ने बाॅलीवुड में दस्तक दिया। दोनों बच्चों की बेहतर परवरिश करने और उनकी प्रतिभा निखारने में माता पुष्पा प्रसाद ने अथक प्रयास किया। पिता अवधनारायण प्रसाद और माता पुष्पा प्रसाद के उत्साहवर्धक सहयोग के बलबूते दोनों भाई बहन ने संगीत की दुनिया में ऐसा जादू बिखेरा, जिसकी खुशबू झारखंड के गलियारों से होते हुए बाॅलीवुड की चकाचौंध में भी रौशनी फैला रही है। सौरभ व बरखा ने गायन के क्षेत्र में कदम बढ़ाने मुंबई का रुख किया, तो वहां प्रख्यात फिल्मकार व निर्माता सुबोध पांडेय ने पार्श्व गायक के रूप में उनका चयन कर लिया। लगभग पन्द्रह दिन गायन के क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। इसमें दोनों भाई बहन ने अपनी सुरीली आवाज से श्रोताओं व उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जल्द ही सौरभ व बरखा के गाये गीतों का एलबम रिलीज होने वाला है। अपने बच्चों की इस अद्भुत क्षमता व सफलता पर पिता अवधनारायण प्रसाद और माता पुष्पा प्रसाद सहित अन्य परिजन गौरवान्वित हैं। झारखंड की माटी के लाल की बाॅलीवुड में दस्तक और गायकी के क्षेत्र में कदम रखने से पूरे झारखंड का मान-सम्मान बढ़ा है। सौरभ और बरखा की इस उपलब्धि पर झारखंड गौरवान्वित है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों बच्चों को मेरा सलाम। जिनका आँख, नाक, कान संगीत हो उनके लिए दिव्यांग शब्द का प्रयोग करना अपमानजनक है। याद रखें एक दिन संगीत ही इन दोनों को दौङाएगा।

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