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गुरुवार, 4 जुलाई 2019

शिक्षा किताबी ज्ञान नहीं, मानव निर्माण का साधनः डा. सुनील वर्णवाल

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल ने रामकृष्ण मिशन विवेकानंद एजुकेशनल एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट बेलूर मठ के 14वें दीक्षान्त समारोह के अवसर पर विद्यार्थियों को किया सम्बोधित
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★ बेलूर मठ भारतीय आध्यात्मिक विरासत और भारतीय चिंतन को की परंपरा को अक्षुण्ण रखते हुए वर्तमान वैज्ञानिक ज्ञान पद्धति का विश्वस्तरीय केंद्र

★ शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं, केवल मानव के ज्ञान कौशल का प्रशिक्षण मात्र नहीं, बल्कि मानव निर्माण का साधन है

★आइए हम राष्ट्र निर्माण के लिए कड़ी मेहनत करें--स्वयं को समर्पित करें

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कोलकाता। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार बर्णवाल ने कहा कि 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद के महासमाधि का दिन था और इसी दिन स्वामीजी ने बेलूर मठ में एक विश्वविद्यालय के विचार की कल्पना की थी, यह कहते हुए कि बेलूर मठ भारतीय आध्यात्मिक विरासत और भारतीय चिंतन को की परंपरा को अक्षुण्ण रखते हुए वर्तमान वैज्ञानिक ज्ञान पद्धति का विश्वस्तरीय केंद्र बनेगा। स्वामी विवेकानंद की शैक्षिक दृष्टि एक अनमोल विरासत है। जिसे रामकृष्ण मिशन वास्तविक बनाने की कोशिश कर रहा है। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने आज कोलकाता के बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन विवेकानंद एजुकेशनल एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट की गवर्निंग बॉडी की बैठक में चांसलर नॉमिनी के रूप में भाग लिया तथा उसके दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण से विद्यार्थियों को संबोधित किया। समारोह में विश्वविद्यालय के छात्रों को स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के ऑफ सेंटर रांची, झारखंड के भी विद्यार्थी सम्मिलित थे।

शिक्षा से ही व्यक्ति की पूर्णता की अभिव्यक्ति होती है
डॉ वर्णवाल ने कहा कि "शिक्षा क्या है? क्या यह पुस्तक-लर्निंग है? नहीं. क्या यह विविध ज्ञान है? वह भी नहीं है। जिस प्रशिक्षण के द्वारा वर्तमान और इच्छा की अभिव्यक्ति को नियंत्रण में लाया जाता है और जगत कल्याण का उपयोगी हो जाता है, वही वास्तविक शिक्षा है। शिक्षा जिसके द्वारा चरित्र का निर्माण होता है, मन और मानस की शक्ति दृढ़ होती है, बुद्धि का विस्तार होता है, और जिसके द्वारा मानव स्वयं और समाज को अपने पैरों पर खड़ा किया जा सकता है। शिक्षा से ही आदमी में पूर्णता की अभिव्यक्ति होती है।

आइए हम राष्ट्र निर्माण के लिए कड़ी मेहनत करें--स्वयं को समर्पित करें
डॉ वर्णवाल ने कहा की हम सबको मिलकर राष्ट्र निर्माण के लिए ...आने वाले भारत को एक समृद्ध ज्ञान संलयित आध्यात्मिक विरासत देने के लिए और विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करना होगा। हम कड़ी मेहनत करें.. हमें देश के लिए जगना और जागृत होना होगा।

अपनी साकारात्मक छवि स्थापित करने में मिली सफलता
डॉ वर्णवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने स्वयं बेलूर मठ में एक विश्वविद्यालय की कल्पना की थी। स्वामी विवेकानंद की शैक्षिक दृष्टि को वास्तविक बनाने के लिए रामकृष्ण मिशन द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय कई मामलों में अद्वितीय है। यह पश्चिम बंगाल का पहला और एकमात्र विश्वविद्यालय है, जो प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित धर्मार्थ और परोपकारी आध्यात्मिक संगठन, रामकृष्ण मिशन द्वारा स्वामी जी के आदर्श वाक्य के साथ स्थापित किया गया है। रामकृष्ण मिशन विश्वविद्यालय के प्रायोजक समाज है, शिक्षण और अनुसंधान के साथ ही शैक्षिक प्रशासन में मामलों के शीर्ष पर समर्पित योग्य भिक्षुओं के साथ लगभग एक दशक की अल्प अवधि के भीतर स्वामी विवेकानंद के पवित्र नाम वाले इस विश्वविद्यालय ने एक छाप बनाने में सफल रहा।

झारखण्ड संस्था कर रही है कार्य, सरकार भी कर रही है मदद
प्रधान सचिव ने बताया कि रामकृष्ण मिशन रांची में अपने ऑफ-कैम्पस केन्द्र के माध्यम से राज्य की ग्रामीण जनता जल जाती है और पिछड़े हुए लोगों को आगे लाने का कार्य कर रही है। कृषि, ग्रामीण और जनजातीय विकास के क्षेत्र में बहुत ही उत्कृष्ट कार्य किया गया है। संस्था को शिक्षा व अन्य क्षेत्र में कार्य करने हेतु झारखंड सरकार ने वार्षिक आवर्ती अनुरक्षण अनुदान 2.94 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी है। रामकृष्ण मिशन को स्वामी विवेकानंद के शैक्षणिक विज़न को समाज में चरितार्थ करने की ओर संघर्ष करते हुए देखना अत्यन्त ही संतोष प्रदान करता है।

इस अवसर पर डॉ. सुनील कुमार वर्णवाल ने स्नातक छात्रों को भविष्य के कैरियर के लिए शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम में विश्वभर के दो संगठनों के महासचिव स्वामी सुविरानंदजी, रामकृष्ण मिशन के कुलाधिपति, रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलपति स्वामी अतोमानन्दजी, विश्वविद्यालय के कुलपति स्वामी अतींद्रानंदजी, स्वामी सर्वभूतेश्वरानंदजी, उपकुलपति, स्वामी अमतेश्वरानंदजी, विश्वविद्यालय के अन्य सम्मानित भिक्षु, स्टाफ के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।.

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